सिर्वी समाज निभा रहा परंपरा
गैर बजाकर गाते हैं फाग गीत,बडग्यार ( मध्यप्रदेश ) मे बरसो पुरानी पंरपरा आज भी कायम
बडग्यार / आधुनिकता के युग व परिवर्तन के बदलते दौर में जहां गैर ( ढपली ) बजाकर गीत गाते हुए नाचने व गाने की परंपरा लुप्त होती जा रही है। वहीं कुक्षी ब्लॉक के ग्राम बडग्यार में सीरवी समाज ने इस परंपरा को आज भी जीवित रखा हुआ है। सिर्वी गैर बडग्यार समिति के सदस्य व समाज के अध्यक्ष दुधालाल मुकाती ने बताया पिछले पाँच दशकों से यह परंपरा ग्राम में चल रही है। यहाँ पर प्रतिवर्ष पूर्णिमा को होली के डांडे की स्थापना के साथ ही फाल्गुन पर्व की शुरुआत होती है। जो शितला सप्तमी तक चलती है रोजाना शाम को 7 बजे से रात 9 बजे तक सभी सदस्य चांदनी चौक पर इकट्ठा होकर गैर बजाते हुए नाचते गाते गांव में भ्रमण कर होलिका दहन स्थल पर पहुंचे हैं। वही होलिका की परिक्रमा लगा कर गांव में सुख शांति समृद्धि की कामना करते हैं समिति के सदस्य रामेश्वर मुकाती, बद्रीलाल काग, संतोष मुकाती,भगवान मुलेवा, पन्नालाल मुलेवा, गोपाल लछेटा, रमेश काग, सुनील मुकाती, संतोष बरफा, रूखडिया काग, नराण नैनाजी, सौहन काग आदि का योगदान रहता है।
पन्नालाल मुलेवा,बड़ग्यार
प्रेषक : प्रतिनिधि-मनोज सीरवी,कुक्षी (मध्यप्रदेश )
सीरवी समाज सम्पूर्ण भारत डॉट कॉम