वोपारी ग्राम आईमाता मंदिर प्राण प्रतिष्ठा-महोत्सव छटा दिवस, संत कृपाराम जी द्वारा श्रीमद्भागवत कथा

पाली/ मारवाड़ जंक्शन की पावन पुण्य धरा गांव वोपारी में नव निर्मित आईधाम एवं जगत जननी श्री आईमाताजी मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव एवं अखंड ज्योति स्थापना के शुभ अवसर पर चल रही सात दिवसीय भागवत कथा के छठे दिवस पर कथा वाचक संत श्री कृपारामजी महाराज ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण अपने मन के अंदर हमेशा निवास करते हैं हमें उनको पहचानना होगा।

वोपारी गांव की वडेर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के उपलक्ष्य में श्री आई माताजी ट्रस्ट मंडल वोपारी गांव एवं संत श्री कृपारामजी महाराज के सान्निध्य में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत (भगवान श्री कृष्ण की कथा) के पांचवें दिन नंदोत्सव के रूप में मनाया गया।

आज छठे दिवस की कथा प्रारम्भ होने से पूर्व में भागवत कथा के लाभार्थी परिवार स्व. श्री नारायण लालजी चोयल, श्री वेनारामजी धर्मपत्नी हेमादेवी, श्री मांगीलालजी धर्मपत्नी मिश्री देवी, श्री तिलोकरामजी धर्मपत्नी नाजुबाई, श्रीमान मुकेशजी धर्मपत्नी श्रीमती खुशबू देवी एवं समस्त सीरवी समाज वोपारी के तत्वाधान में चल रहे सात दिवसीय श्री भागवत कथा में पधारे हुए सीरवी समाज बंधुओं, पिता तुल्य, बुर्जुगों युवा साथियों वात्सल्यमयी, भगवतीमयी माताएं बहने आसपास एवं दूर-दराज से पधारे हुए सभी भागवत भगत जन, ग्रामवासी, अतिथि जन, सभी का यथा योग संत श्री कृपारामजी द्वारा अभिनंदन अभिवादन करते हुए श्रीमद् भागवत महापुराण का मंत्रोच्चार के साथ कथा के छठे दिवस में प्रवेश किया।

सर्वप्रथम बालकलाकार श्री जगदीश द्वारा चेत रे नर चेत रे, चिड़िया चुग गई खेत नर नुगरा रे, अरे अब तो मुर्ख चेत अब तो दिल में चेत… जैसे शानदार भजन की प्रस्तुति दी गई।

इसी दौरान आईमाता मंदिर परिसर में बने टीन शेड के लाभार्थी भामाशाहों का संत श्री कृपारामजी द्वारा उन सभी भामाशाहों का माला साफा एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर उनका स्वागत अभिनन्दन किया गया।

श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के छठे दिवस प्रवेश कर रहे हैं भगवान श्री कृष्ण की कथा हम सभी सुंदरिया हो कल भगवान श्री कृष्ण का आनंद उत्सव मनाया भगवान रहने पर लोगों को अश्मित आनंदित होते हैं

सतगुरु ने कहा कि वेद और व्याख्या में लिखते हैं कृष्ण भगवान अपने जीवन में अपने साथ है इसका एहसास कैसा होता है इस पर विस्तार से बताया की इस कलयुग में साक्षात भगवान कृष्ण भगवान मुरली बजाते हुए सामने आएंगे यह जरूर नहीं है, चक्कर घुमाते हुए आएंगे यह भी जरूरी नहीं है, पितांम्बर धोती-कुर्ता पगड़ी पहन कर अपने रुप में आये यह भी जरूरी नहीं है, अगर भगवान ऐसे ही रूप में सामने आ भी जाये तो हम उन्हें भगवान नहीं मानेंगे लोग कहेंगे कि यह तो कोई फेरी वाला है या फिर करेंगे कि यह कोई झांकी वाला है, उसको भगवान नहीं मानेंगे ऐसे बहुत घूमते हैं तो हम कैसे पहचानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण यही है! इसके प्रमाण बताएं ! इस संत कृपारामजी महाराज ने कहा कि श्री कृष्ण नाम उत्साह का है आपके जीवन में उमंग उत्साह आनंद खुशी जब जब महसूस हो, ह्रदय के भीतर तक बड़ी खुशी आ जाएं कि आज मैं बहुत खुश हूं उस दिन समझना कि भगवान कृष्ण हमारे साथ हैं।

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