राजस्थान :– 29 अगस्त 2023 मंगलवार को ग्राम इसाली में श्री आई माताजी धर्म रथ भैल का भव्य बधावा किया गया……
जननी जने तो ऐसा जने, के दाता के सूर।
नी तो रहीजे बांझड़ी, मती गंवाजे नूर।।
इस कहावत को जिस हस्ती ने चरितार्थ किया वह है सीरवी समाज के अमूल्य रत्न श्री पोकरराम पुत्र श्री टीकम जी बरफा निवासी- इसाली।
मारवाड़ जंक्शन तहसील में पंचायत मुख्यालय ग्राम इसाली आसपास के जैतपुरा, देवली, जाणूंदा, गुड़ा दुर्गा, धनला और गुड़ा केशरसिंह के मध्य मारवाड़ जंक्शन से लगभग 22 किमी की दूरी पर बसा हुआ है। लगभग 1000-1200 घर की बस्ती में बहुलता सीरवी, राजपुरोहित, देवासी, मेघवाल, राजपूत आदि की हैं। जिनमें लगभग एक तिहाई आबादी सीरवी समाज की है।
सीरवी समाज के लगभग 400 घर है जिनमें लचेटा, सोलंकी, बरफा, गहलोत, पंवार, हाम्बड़, चोयल, काग, सेपटा, आगलेचा और सानपुरा गौत्र के बंधु निवास करते हैं।
यहां पर श्री आई माताजी का मंदिर बडेर पक्का बना हुआ है जिसकी प्राण प्रतिष्ठा विक्रम संवत २०५६ की जेठ सुदी ३ दिनांक 16 जून 1999 को सीरवी समाज के धर्मगुरु परम आदरणीय दीवान साहब माधव सिंह जी के कर कमलों से संपन्न हुई थी।
श्री आई माताजी मंदिर के सामने सीरवी समाज का सभा भवन बना हुआ है साथ में शौचालय स्नानागार की सुविधा उपलब्ध है,बडेर से कुछ दूरी पर अलग से बड़ा न्याती नौहरा है जिस पर शानदार हाल मय कमरे,रसोई घर, भट्टियां आदि बनाये हुए है, यहां बड़े बड़े कार्यक्रम शादी विवाह आदि किये जाते हैं।श्री शेषाराम जी बरफा ठाणे में अपना व्यवसाय अपने पुत्रों को सुपुर्द कर सीरवी समाज के विकास कार्यों की तन मन धन से देखरेख कर रहे हैं आपके प्रयास से लगभग 25-30 लाख रुपए लगाकर शमशान घाट का काया पलट हुआ है। आपने भी गांव में प्याऊ का निर्माण करवाया है।
यहां पर वर्तमान में कोटवाल श्री रामलाल जी लचेटा, जमादारी श्री ओगड़ राम जी लचेटा एवं पुजारी चौकड़िया के नारायण नाथ जी है।
इस गांव में नौकरी में मात्र खेताराम जी सोलंकी थे जो नगर पालिका पाली से सेवा निवृत होकर पाली में ही निवास कर रहे हैं। इनके बाद स्थानीय ग्राम से कोई सीरवी बंधु नौकरी में नहीं है।
इस इसाली ग्राम पंचायत के सरपंच रूप में प्रेमी बाई धर्मपत्नी खरताराम जी पंवार सरपंच रहे, इनसे पहले गुड़ा मोकम सिंह के देवाराम जी सीरवी लंबे समय तक सरपंच रहे। मेघाराम जी सोलंकी उप सरपंच रहे आप वर्तमान में जिला परिषद सदस्य है।
इस गांव से व्यापार व्यवसाय में हैदराबाद, पुणे, थाने, मुंबई, सूरत, बेंगलुरु, चेन्नई, हरिद्वार, इंदौर, उड़ीसा और जम्मू में सीरवी बंधु सफलतम रूप से व्यापार कर रहे हैं।
दक्षिण भारत में बडेर संगठनों के पदाधिकारी रूप में श्री ओका राम जी सोलंकी पारसी गुट्टा हैदराबाद बडेर के 30 वर्ष तक उपाध्यक्ष रहे, श्री पूनम जी गहलोत शिक्षा समिति के कोषाध्यक्ष रहे, श्री मांगीलाल जी पंवार सहसचिव रहे, श्री सुरेश जी बर्फा ठाणे बडेर के वर्तमान में अध्यक्ष हैं। इसाली के ही श्री हीरालाल जी सैणचा करमन घाट हैदराबाद बडेर के वर्तमान में सचिव पद पर है। कोथरूड पुणे में भूराराम जी भारमल जी बर्फा सचिव है। अमराराम जी बर्फा नचाराम मल्लापुर के पूर्व अध्यक्ष है।
इस गांव में सन् 2012 में एक इतिहास लिखा गया जब बिन बाप के अनाथ बेटे रुप में बचपन गुजारने वाले, मां अचली बाई के लाडले ने अपनी मातोश्री के नाम को इतिहास में अंकित कर दिया। छः महीने की उम्र में जिनके सिर से पिता टीकम जी का साया उठ गया हो तीन वर्ष बड़ी बहन के साथ मां के कष्टों को नित्य देखते हुए बड़े हुए हों, हैदराबाद में जाणूंदा के ख्यातनाम भूराराम जी चोयल के पास व्यवसाय व्यापार की बारिकियों को सीख कर आपने अपने गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के नये भवन का निर्माण करवा कर पूरे राजस्थान के शिक्षा विभाग में सीरवी श्रीमती अचली बाई वरपा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय इसाली का नाम सात पीढ़ी के लिए अमर कर दिया एवं सीरवी समाज में एक आदर्श प्रस्तुत किया है। आपसे पहले सीरवी समाज में कई बड़े पैसे वाले हुए होंगे तथा आगे भी होंगे पर जैन समाज की सोच रखते हुए आपने जो मिसाल कायम की है वह सदियों तक चिर स्थाई रहेगी। आपसे प्रेरणा पाकर हमारे सीरवी बंधु अवश्य अपनी पसीने की गाढ़ी कमाई का सदुपयोग इस तरह से कर अपना,अपने मां बाप का तथा अपने समाज का नाम रोशन करेंगे।
यहां पर भैल के आगमन पर भव्य बधावा किया गया रात में उपस्थित श्रद्धालु माताओं बहनों एवं बांडेरु को श्री आई माताजी का इतिहास सुनाया गया दूसरे दिन फिर से धर्म सभा का आयोजन रखा गया, रक्षाबंधन होने के बावजूद बांडेरु रुके एवं सीरवी समाज का इतिहास और श्री आई माताजी के इतिहास को दो घंटे तक सुना एवं प्रसन्नता व्यक्त की।
इसाली ग्राम के गौरवशाली अतीत और सुनहरे वर्तमान के साथ निरंतर इतिहास कायम करने की कामना करता हूं सीरवी समाज इसाली की खुशहाली की कामना करता हूं – दीपाराम काग गुड़िया।