सोजत से 11 किमी दूर धिनावास,धाकड़ी, सुरायता, संडारड़ा, हिंगावास और बिलावास के मध्य बसा हुआ मात्र डेढ़ सौ घर की आबादी वाला छोटा सा गांव है- *अजीतपुरा।*
यहां पर बसी हुई जातियों में सर्वाधिक चौकीदार है इनके अलावा राजपूत,सीरवी, चारण, देवासी, कुम्हार, मेघवाल एवं सरगरा जातियां बसी हुई है।
अजीतपुरा में समाज के मात्र 23 घर है, जिनमें मात्र पांच गौत्र है उनमें भी सोलह घर हाम्बड़ों के है, तीन परिहार,दो चोयल एवं एक एक सिन्दड़ा और लेरचा है।
यहां पर श्री आई माताजी मंदिर बडेर की प्राण प्रतिष्ठा सन 1981 में जति श्री मोती बाबा जी के हाथों से संपन्न हुई थी। इससे अधिक जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई। श्री आई माताजी के पाट की स्थापना की हुई है, मंदिर गांव के रावले के सामने गली में सामान्य बना हुआ है, सामने बरामदा और चौक है।
इस समय यहां पर कोटवाल श्री दौलाराम जी चोयल, जमादारी एवं पुजारी दोनों सेवा श्री लच्छाराम जी सिंदड़ा दे रहे हैं।
यहां से सरकारी नौकरी में डॉक्टर नरेश जी पुत्र श्री पारसमल जी हाम्बड़ पाली बांगड़ चिकित्सालय में अपनी सेवा दे रहे हैं, तथा हेमाराम जी हाम्बड़ पुत्र श्री करणाराम जी अध्यापक पद पर गुड़ा सूरसिंह अपनी सेवा दे रहे हैं।
राजनीति में अजीतपुरा के सीरवी बंधुओं ने अधिक रुचि नहीं दिखाई, मात्र ग्राम सेवा सहकारी समिति धिनावास के अध्यक्ष पद को स्वर्गीय भीकाराम जी पुत्र श्री मगाराम जी हाम्बड़ ने सुशोभित किया। आपके बाद यहां से राजनीति में अभी तक कोई सक्रिय भूमिका में नहीं है।
दक्षिण भारत में मैसूर, शिमोगा, हैदराबाद, अहमदाबाद और चेन्नई में सीरवी बंधुओं ने अजीतपुरा का नाम किया है।
अजीतपुरा से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में मांगीलाल जी हाम्बड़, छगनलाल जी हाम्बड़ मैसूर और भीकाराम जी पुत्र श्री इन्दाराम जी हाम्बड़ कोयंबटूर गए थे।
सीरवी समाज के भामाशाह में सर्वप्रथम नाम स्वर्गीय पुनाराम जी खेताराम जी हाम्बड़ का आता है जिन्होंने आज से पैंतालीस साल पहले 1980 में गांव के पास की कीमती एक बीघा जमीन विद्यालय के लिए भेंट कर शिक्षा के महत्व को साबित किया। इसी राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में सीरवी समाज द्वारा कमरा निर्माण करवाया गया, श्री मांगीलाल जी हाम्बड़ द्वारा विद्यालय में प्याऊ का निर्माण करवाया गया। गांव के हर धार्मिक, सामाजिक कार्य एवं दान पुण्य में श्रीमांगीलाल जी हाम्बड़ मैसूर का मुक्त हस्त से सर्वाधिक योगदान रहता है। आप अपने गांव अजीतपुरा से बाहर भी सभी जगह पर यथायोग्य दान पुण्य में आगे रहते हुए अजीतपुरा का नाम रोशन कर रहे हैं।
दक्षिण भारत की संस्थाओं में पदाधिकारी रूप में एक मात्र गांव का नाम रोशन करने में श्री मांगीलाल जी हाम्बड़ ही है।आप मैसूर सीटी बडेर के उर्जावान कोषाध्यक्ष रहे, आपके कोषाध्यक्ष पद पर रहते हुए ही मैसूर बडेर की शानदार प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी एवं सीरवी संदेश का शानदार मैसूर बडेर प्रतिष्ठा विशेषांक प्रकाशित करवाया। उसके बाद में आपने मैसूर बडेर के अध्यक्ष पद का दायित्व निर्वहन भी एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में पूरा किया आपमें अहम् ने कभी स्थान नहीं पाया ये आज भी आपकी विशेषता है।आप वर्तमान में सीरवी छात्रावास सोजत नगर निर्माण कमेटी के अध्यक्ष पद का भी दायित्व निर्वहन कर रहे हैं। आप सीरवी समाज आई माता ट्रस्ट अजीतपुरा के प्रेरक भी है।
सीरवी समाज आई माता ट्रस्ट अजीतपुरा के अध्यक्ष पद पर वर्तमान में श्री शिवलाल जी हाम्बड़, उपाध्यक्ष श्री मेहराराम जी हाम्बड़, सचिव श्री करणारामजी परिहार एवं कोषाध्यक्ष पद पर श्री दौलाराम जी चोयल आसीन है एवं सीरवी समाज अजीतपुरा के भावी विकास के लिए कमर कसे हुए हैं। श्री छोगाराम जी हाम्बड़ कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में अजीतपुरा सीरवी समाज के नींव के पत्थर है जो सकारात्मक सोच के साथ सदैव अग्रणी रहते हैं।
श्री आई माताजी धर्म रथ भैल के हिंगावास से गागूड़ा प्रस्थान करने पर पूना बाबाजी द्वारा मुझे अजीतपुरा से जात लाने के लिए भेजा यहां पर सीरवी समाज अजीतपुरा से बहुत ही अच्छा मान सम्मान मिला सकारात्मक चर्चा की गई। मां श्री आई माताजी से अजीतपुरा ग्राम की खुशहाली की कामना करता हूं-दीपाराम काग गुड़िया।