राजस्थान:– मारवाड़ जंक्शन से लगभग 12 किमी दूर बाड़सा पंचायत में स्थित राजकीयावास खुर्द, पड़ासला खुर्द, आकड़ावास कलां, गोदावास के मध्य बसा हुआ मात्र 175 घर की बस्ती है – *राजकीयावास कलां।*

मारवाड़ जंक्शन से लगभग 12 किमी दूर बाड़सा पंचायत में स्थित राजकीयावास खुर्द, पड़ासला खुर्द, आकड़ावास कलां, गोदावास के मध्य बसा हुआ मात्र 175 घर की बस्ती है – *राजकीयावास कलां।*
छत्तीस कौम में यहां पर सीरवी समाज के अलावा राजपूत, देवासी,जाट, घांची, कुम्हार, मेघवाल, सरगरा, हरिजन और मिरासी बसते हैं।
यहां पर सीरवी समाज के तीन गौत्र के मात्र 12 घर है जिनमें देवड़ा, गहलोत और परिहार यहां पर बसे हुए हैं।
आज से लगभग पच्चीस वर्ष पूर्व जमादारी श्री देवाराम जी गहलोत ने रावले के सामने 30 गुणा 60 फीट का भूखंड श्री आई माताजी मंदिर बडेर हेतु सीरवी समाज को सुपुर्द कर दिया लेकिन अभी तक सीरवी समाज की नींद नहीं उड़ी है। और अभी तक यह भूखंड जस का तस है उसमें मात्र एक चबूतरा बना हुआ है कोई तस्वीर, मूर्ति,पाट कुछ भी नहीं है,किनको दीपक किया जाता है, पर एक समय यहां पर दीपक किया जाता है कभी कभी वह भी नहीं होता है यह कार्य विकलांग और मंद बुद्धि जवान श्री रमेश गहलोत कर रहे है।
यहां पर कोटवाल श्री डूंगाराम जी देवड़ा और जमादारी श्री देवाराम जी गहलोत है, सीरवी समाज द्वारा मंदिर निर्माण नहीं हो पाने से दोनों बहुत दुःखी हैं।
सरकारी नौकरी में यहां के सीरवी समाज ने अभी तक कोई प्रयास ही नहीं किया इसलिए कोई सरकारी कर्मचारी या अधिकारी नहीं है।
राजनीति में जरूर यहां पर घरों की कम संख्या होते हुए देवाराम जी गहलोत राजकीयावास से वार्ड पंच बनकर बाड़सा पंचायत के उप सरपंच रहे।
यहां से व्यापार व्यवसाय के लिए वापी, मुंबई, पूना, हैदराबाद और बेंगलुरु में सीरवी बंधु निवास कर रहे हैं राजकीयावास कलां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में देवाराम जी गहलोत पूना और गोमाराम जी देवड़ा बंगलौर गये एवं इन नगरों में अपने गांव का नाम रोशन किया।
इस गांव में श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल का आगमन नहीं होता है और एक बाबाजी यहां से जात इक्ट्ठी कर ले जाते हैं इस बार यहां पर श्री महेन्द्र जी राठौड़ कापसी एवं मुझे जात लेने हेतु मौका मिला तब ये जानकारी प्राप्त हुई।
ग्राम विकास के कार्य में यहां सीरवी समाज आगे नहीं आया है अब सबसे पहले श्री आई माताजी मंदिर बडेर निर्माण की आशा करते हैं कि शीघ्र मंदिर निर्माण हो एवं श्री आई माताजी यहां विराजमान हो। गांव के प्रवासी सीरवी बंधु इस पर विचार कर कमर कसेंगे तब भूखंड तैयार है उस पर छोटा ही सही माताजी का स्थान बने ऐसी कामना करते हैं- दीपाराम काग गुड़िया।

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