राजस्थान:– मारवाड़ जंक्शन तहसील मुख्यालय से 09 किमी दूर चवाड़िया, राजकीयावास कलां, पड़ासला खुर्द, बाणियावास, खारड़ी और जोगड़ावास के मध्य बाड़सा पंचायत का रेल्वे स्टेशन और छोटा सा ग्राम है- *राजकीयावास खुर्द।*

मारवाड़ जंक्शन तहसील मुख्यालय से 09 किमी दूर चवाड़िया, राजकीयावास कलां, पड़ासला खुर्द, बाणियावास, खारड़ी और जोगड़ावास के मध्य बाड़सा पंचायत का रेल्वे स्टेशन और छोटा सा ग्राम है- *राजकीयावास खुर्द।*
छत्तीस कौम के लगभग 100 घर की बस्ती में सीरवी,जाट, गुर्जर, देवासी, कुम्हार, मेघवाल, सरगरा और खठीक जातियां यहां पर बसी हुई है।
यहां पर सीरवी समाज के मात्र दो गौत्र पंवारों के 11 और चोयलों के 07 घर कुल 18 घर है।
श्री आई माताजी का बहुत प्राचीन पाट स्थापित है लेकिन स्थिति बहुत विकट है। जहां श्री आई माताजी के पाट की स्थापना की हुई थी वह परिवार गांव छोड़कर अन्यत्र चला गया बचे हुए सीरवी बंधु वहां पूजा करते रहे।बाद में उस परिवार ने मात्र श्री आई माताजी का पाट स्थान 10 गुणा 10 फीट को छोड़कर अपना मकान भी पड़ौसी जाट बंधु को बेच दिया।अब माताजी तक पहुंचने के लिए जाट बंधु के दरवाजे में से गुजरना पड़ता है,इस तरह श्री आई माताजी विराजमान हैं।
यहां पर वर्तमान में कोटवाल श्री पेमाराम जी पंवार और जमादारी श्री वजारामजी जी चोयल और पूजा अर्चना भी श्री वजारामजी चोयल ही कर रहे हैं।
यहां पर सरकारी नौकरी और राजनीति में सीरवी समाज ने अभी तक खाता ही नहीं खोला है।
राजकीयावास खुर्द से व्यापार व्यवसाय में सीरवी बंधु सूरत, मुंबई, पुणे और बंगलौर में अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं।
यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में नारायण लाल जी पंवार, कानाराम जी चोयल पूना,दलपत जी पंवार बंगलौर अब मुम्बई,खींवजी, वोराराम जी एवं अमराराम जी पंवार ने सूरत, खंगार जी, मोहनलाल जी, सुजाराम जी चोयल ने बंगलौर में अपनी पहचान बनाई।
श्री खींवाराम जी दुर्गाराम जी पंवार द्वारा 1,80,000 रुपए व्यय कर स्थानीय विद्यालय का सम्पूर्ण रंग रोगन करवाया और लगभग तीन लाख की लागत से राजकीयावास से जोगड़ावास प्याऊ तक वृक्षारोपण कर ट्री गार्ड लगवाये। श्री दुर्गाराम जी वेनाराम जी पंवार की स्मृति में पंवार परिवार द्वारा गांव के चौराहे पर प्याऊ का निर्माण करवाया। पंवार परिवार द्वारा ही सीरवी छात्रावास मारवाड़ जंक्शन में एक दुकान का निर्माण करवाया।इस प्रकार छोटे गांव के बड़े काम यहां देखने को मिले हैं।
यहां पर श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल का आगमन नहीं होता है एवं एक बाबाजी यहां से जात इक्ट्ठी कर ले जाते हैं इस बार यह दायित्व मुझे मिला तब कोटवाल श्री पेमाराम जी पंवार के निवास पर जात के समय पड़ताल करने पर यह जानकारी प्राप्त हुई,जिसे आपके समक्ष प्रस्तुत किया है।
अब सीमित परिवार होने से माताजी के वर्तमान पाट स्थान को क्रय कर बडेर निर्माण की बजाय सीरवी समाज के गांव के पास बेरे पर बडेर निर्माण की योजना है यहां निमंत्रण पर एक बार दीवान साहब का बधावा किया गया तब एक राय नहीं हो पाई और बडेर स्थल का दीवान साहब के कर कमलों से चिन्हीकरण नहीं हो पाया और एक मौका चूकने पर लम्बा समय बीत गया अब शीघ्र तैयारी की योजना है।
धर्म कर्म में आस्थावान, विकास कार्य में सबसे अग्रणी राजकीयावास के सीरवी समाज की खुशहाली की मां श्री आई माताजी से कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया

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