मारवाड़ जंक्शन से 06 किमी दूर चवाड़िया पंचायत का छोटा सा ग्राम है- *बिठौड़ा खुर्द।*
छत्तीस कौम के लगभग 150 घर की बस्ती में नायक, बंजारा, माली, राजपूत, देवासी, सीरवी, वैष्णव, मेघवाल, मिरासी आदि जातियां यहां बसी हुई है।
*बिठौड़ा खुर्द में सीरवी समाज के एक मात्र सोलंकी गौत्र के 03 घर है,जो उमाराम जी, डूंगाराम जी और पुखाराम जी पुत्र श्री भारम जी सोलंकी के परिवार है।*
बताया जाता है कि यहां से बाकी सोलंकी परिवार सूर्यनगर में बेरे होने से वहां बस गये एवं अन्य सीरवी यहां आकर नहीं बसे पर इन तीन परिवार ने बिठौड़ा खुर्द में सीरवी समाज का नाम रखा है। अब तीनों भाइयों के छः पुत्र हैं अतः अगली पीढ़ी के बिठौड़ा खुर्द में छः घर होंगे।
वर्तमान में उमाराम जी के तीन पुत्र हैं बड़े पुत्र शिवलाल जी है आपका कोयंबटूर में व्यापार व्यवसाय है, *श्री डूंगाराम जी के सुपुत्र श्री जगदीश जी सोलंकी अपने गांव में ही किराणा स्टोर का व्यवसाय कर रहे हैं।* और पुखाराम जी के पुत्र श्री चुन्नीलाल जी चैन्नई तथा श्री रामलाल जी सूरत में व्यवसायी है।
*बिठौड़ा खुर्द में श्री आई माताजी का बहुत प्राचीन मंदिर है* जो चारभुजा जी मंदिर के साथ है। मंदिर के बाहर चारभुजा जी का ही नाम है लेकिन अंदर अलग अलग दो मंदिर है जिनमें ठाकुर जी ( चारभुजा जी) और *श्री आई माताजी विराजमान हैं। श्री आई माताजी का पाट स्थापित किया हुआ है।* दोनों की पूजा अर्चना गांव के वैष्णव परिवार द्वारा की जा रही है।
श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल एवं दीवान साहब का बहुत पहले आगमन हुआ था पिछले कई बरसों से भैल का गांव में आगमन भी नहीं होता है तथा यहां पर और सूर्यनगर के सीरवी बंधुओं की जात भी कहीं नहीं होती है।
बिठौड़ा खुर्द गांव में केवल एक गौत्र के तीन ही परिवार होने से ये सीरवी समाज सूर्यनगर के साथ जुड़े हुए हैं जहां कोटवाल जमादारी थापन किये हुए हैं यहां अलग से नहीं है।
इन तीन परिवार में से सरकारी नौकरी और राजनीति में रुचि नहीं रही और पारम्परिक रूप से खेती के बाद व्यवसाय में सफलता हासिल कर अपने गांव का नाम रोशन कर रहे हैं।
बाड़सा भैल आगमन पर बिठौड़ा खुर्द जाकर श्री जगदीश जी सोलंकी से यह जानकारी प्राप्त की। बिठौड़ा खुर्द गांव की खुशहाली और चंहुमुखी विकास की कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।