मारवाड़ जंक्शन तहसील का सीमावर्ती गांव मात्र 100घरों की छोटी सी बस्ती में भी सीरवी बाहुल्य गांव है- मुकनपुरा।
यह गांव जाणूंदा के पास नदी के दूसरे किनारे बसा हुआ जाणूंदा का संयोजक गांव है, यहां पर छत्तीस कौम में आधे सीरवी परिवार है, सीरवी समाज में पंवार, गहलोत, काग, आगलेचा, परिहार, देवड़ा, चोयल और खंडाला गौत्र के बंधु यहां निवास करते हैं।इस गांव के सीरवी बंधुओं की भैल आगमन पर आज भी जात जाणूंदा में ही होती है इस गांव में एक वर्ष पूर्व तक जमादारी के घर में पूजा होती थी यहां पर 1 वर्ष पूर्व भादवी बीज के शुभ अवसर पर सीरवी समाज के भवन का निर्माण कर बडेर रुप में श्री आई माताजी की तस्वीर स्थापना की गई।जिसे आगामी भादवी बीज पर एक वर्ष पूरा होगा। सीरवी समाज भवन विशाल और भव्य बनाया गया है जिसमें सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं पुजारी जी भवन की देखरेख भी करते हैं एवं सूचना पर आगंतुकों के लिए भोजनशाला में भोजन की व्यवस्था भी चल रही है जो सराहनीय है।
यहां पर कोटवाल श्री गमनाराम जी पंवार जमादारी छोगालाल जी काग एवं पुजारी चंपालाल जी वैष्णव है।
यहां पर नौकरी में नथाराम जी परमार देवली आउवा से इतिहास के व्याख्याता पद से चौदह वर्ष पूर्व सेवानिवृत हो चुके हैं, आप इतिहास के व्याख्याता रहे हैं और सूचना संग्रह के समय सीरवी समाज एवं श्री आई माताजी के इतिहास को तथ्य सहित खोजकर आम जन को बताये जाने की बात कही।जो बताया जा रहा है आपका मानना है कि ये तथ्य सहित नहीं है।
यहां से नरेश आगलेचा पुत्र श्री पुखराज जी इंडिगो में पायलट है, आपका ही पुत्र मुकेश/ पुखराज जी आगलेचा हैदराबाद में सीए है।
यहां से व्यापार व्यवसाय में हैदराबाद सूरत और बेंगलुरु में सीरवी बंधु सफलतम रूप से व्यापार कर रहे हैं दक्षिण भारत की राह दिखाने वालों में श्री हीरालाल जी पंवार सूरत, श्री भानाराम जी आगलेचा, श्री मोतीराम जी आगलेचा और केसाराम जी परिहार हैदराबाद आदि मुख्य है।
इस गांव से श्री नंदाराम जी आगलेचा ने जाणूंदा पंचायत के दो बार सरपंच पद को सुशोभित किया और विकास के कार्य करवाए आज भी लोग आपको याद करते हैं।
संगठन के पदाधिकारी में श्री हीरालाल जी पंवार सूरत में सीरवी समाज के नींव के पत्थर और समाज के पथ प्रदर्शक है, आपने पूरे भारतवर्ष में सीरवी समाज सूरत की एक अलग पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। धुन के पक्के श्री केसाराम जी परिहार ने सीरवी समाज सांगारेड्डी के सह सचिव पद पर रहते हुए नींव के पत्थर रुप में कर्मठता से श्री आई माताजी मंदिर बडेर की प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न करवाई।
छोटे से गांव के बड़े भवन एवं दक्षिण भारत में बड़े नाम पर हार्दिक बधाई- दीपाराम काग गुड़िया।