तहसील मुख्यालय देसूरी से लगभग 12 किमी दूर कोटड़ी, गुड़ा पृथ्वीराज, छोड़ा,वारा सोलंकियान,गिराली और ढालोप के मध्य कोटड़ी पंचायत का गांव है – *करणवा*।
छत्तीस कौम की लगभग 500 घर की बस्ती करणवा में सीरवी,जाट, मेघवाल, देवासी, सरगरा, राजपूत, सुथार, कुम्हार, सुनार, लौहार,मीणा, गोस्वामी, वैष्णव,जोगी, बावरी, वादी, तेली और राजपुरोहित यहां पर बसे हुए हैं।
यहां सीरवी समाज के लगभग 100 घर है जिनमें परमार, मुलेवा, परिहार,काग और सोलंकी गौत्र के सीरवी यहां निवास कर रहे हैं।
यहां पर सीरवी समाज की बडेर बहुत प्राचीन है जिसकी प्राण प्रतिष्ठा आज से लगभग 50-55 वर्ष पूर्व उस समय के *जति मोती बाबा जी, श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल और परम पूज्य दीवान साहब माधव सिंह जी के कर कमलों से हर्षोल्लास से सम्पन्न हुई।*
वर्तमान में यहां पर *कोटवाल श्री जगाराम जी ओगड़राम जी परमार, जमादारी श्री खूमाराम जी धूलाजी परमार और पुजारी श्री डूंगरदास जी* अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं।
सरकारी नौकरी में यहां पर अभी तक अकाल ही रहा है मात्र *श्री रमेश जी कूपाराम जी मुलेवा पाली में एडवोकेट है। आप सीरवी छात्रावास पाली के वार्डन* पद का दायित्व निर्वहन कर रहे हैं।
यहां से व्यापार व्यवसाय में सीरवी बंधु अहमदाबाद, सूरत, मुंबई, पुणे और नाशिक में अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं।
यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में श्री धन्नाराम जी सरुप जी मुलेवा, रामलाल जी भूदरजी परमार मुख्य है।
ग्राम विकास के कार्य में श्री पन्नाराम जी वनाजी मुलेवा और श्री कूपाराम जी खूमाजी मुलेवा द्वारा विद्यालय में प्याऊ बनवाई, मुख्य द्वार बनवाया, खेड़ा देवी वराह माताजी मंदिर निर्माण में सर्वाधिक योगदान किया। श्री जगदीश जी दूदाजी परिहार द्वारा श्री आईजी विद्यापीठ जवाली में बस भेंट की,बडेर के लिए भूखंड क्रय करने में विशेष सहयोग किया।
श्री सोहनलाल जी पन्नाजी मुलेवा छत्तीस कौम के खेड़ा देवी वराह माताजी ट्रस्ट के अध्यक्ष पद को सुशोभित कर रहे हैं।
यहां पर *श्री करमा बाबा जी परमार ने सैकड़ों वर्षों पूर्व जीवित समाधि ली*, जहां श्रद्धालु आज भी नत मस्तक होते हैं।
*करणवा में 8 नवंबर 2023 को श्री आई माताजी धर्म रथ भैल आगमन पर बधावा कर बडेर के सामने श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल को खड़ा किया गया।बडेर के पास में बहुत बड़ा भूभाग सीरवी समाज के लिए क्रय किया हुआ है लेकिन विवाद के कारण ताला लगा रहता है। बुद्धिजीवी की नहीं मानने पर भैल को प्लाट में सुरक्षित जगह की जगह कीचड़ में खड़ा करवाया जाता है वहीं बाबा मंडली को नालियों की महक के साथ रात गुजारनी पड़ती है, धन्य है सीरवी समाज करणवा। रात्रि में हरजस के लिए माताओं बहनों को निवेदन कर-कर मानाराम जी परमार थक गए तब जाकर चार हरजस हुए पर धर्म सभा के लिए सभी को समाचार के बावजूद कोई उपस्थित नहीं हुए*।
यहां मुलेवा गौत्र के सीरवी चारभुजा जी की पूजा करते हैं और शानदार मंदिर बना कर पूजा अर्चना कर रहे हैं जबकि आपसी प्रेम की अधिकता से श्री आई माताजी मंदिर के लिए लिया हुआ भूखंड उजाड़ हो रहा है।
सीरवी समाज करणवा की खुशहाली की मां श्री आई माताजी से कामना करता हूं-दीपाराम काग गुड़िया।