रानी तहसील मुख्यालय से 22 किमी दूर ढारिया, खारडा, जीवंद कलां, सांवलता और गुड़ा भीम सिंह के मध्य पंचायत मुख्यालय का गांव है- *देवली पाबूजी*।
छत्तीस कौम के लगभग 1000 की बस्ती में सीरवी, मेघवाल, राजपुरोहित, राजपूत, सरगरा, नायक, जैन, कुम्हार, सुथार, नाई, दरजी, सुनार, वैष्णव, ब्राह्मण, हरिजन, देवासी, गाडोलिया लौहार, जोगी सहित छत्तीस कौम के लोग यहां पर निवास करते हैं।
यहां पर सीरवी समाज के लगभग 500 घर है, जिनमें मुलेवा, लचेटा, हाम्बड़, बरफा, काग, सानपुरा, सोलंकी, गहलोत, परमार, परिहार और राठौड़ गौत्र के सीरवी यहां बसे हुए हैं।
यहां पर *श्री आई माता जी का बडेर श्वेत मार्बल में निर्माणाधीन* है,जिसको पूर्ण होने में लगभग एक डेढ साल का समय लगेगा। फिलहाल वर्तमान में श्री आई माताजी का पाट जिस स्थान पर रखा हुआ है, उसे वर्तमान जमादारी गहलोत परिवार द्वारा श्री आई माताजी की बडेर हेतु भेंट किया है। और वर्तमान जमादारी श्री पूनाराम जी गहलोत बिना किसी सुविधा श्री आई माताजी के वर्तमान पाट स्थल पर रात में सोते हैं कि मेरी मां (श्री आई माताजी ) को असुविधा नहीं हो भले ही आसपास के सभी घर बंद है और बिना आवश्यक सुविधाओं के घोर अंधेरे में बडेर में सोते हैं।
यहां पर वर्तमान में *कोटवाल श्री राजाराम भीकाजी बरफा, जमादारी और पुजारी श्री पूनारामजी बेलाजी गहलोत* सेवा पूजा कर रहे हैं।
*बिठौड़ा गादी की बडेर अलग है जिनके जमादारी और पुजारी श्री भानाराम जी हकाजी लचेटा* है। पूरे गांव के कोटवाल एक ही है।
गांव में सीरवी समाज द्वारा खेतलाजी और चारभुजा जी को भी पूजा जाता है इसलिए *श्री खेतलाजी तथा श्री चारभुजा जी के अलग-अलग जोधपुर पत्थर में मंदिर लगभग दस वर्ष पूर्व पक्के बने हुए* एवं प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है।
सीरवी समाज द्वारा एक अच्छी पहल के तहत एक दो नहीं तीन न्याति नौहरे बनाये गये हैं जिनमें दो न्याति नौहरे मय समाज भवन नदी के दोनों किनारों पर बने हुए हैं और एक समाज भवन गांव में विशाल रुप से बना हुआ है पर आवश्यक सुविधाओं के लिए तरस रहा है और *भैल आगमन पर बाबा मंडली के नित्य कर्म से निवृत्त होने हेतु आज भी नदी में जाना और पीचके पर नहाने की व्यवस्था रहती है।*
यहां पर सरकारी नौकरी में रेलवे से सेवानिवृत श्री मांगीलाल सवाजी हाम्बड़ है, श्री मांगीलाल केसाजी काग सहायक कृषि अधिकारी से सेवानिवृत है, आसारामजी गलाजी बरफा सेवानिवृत कृषि पर्यवेक्षक है, पेमारामजी केसाजी मुलेवा सेवानिवृत नायब तहसीलदार है, स्वर्गीय ओगड़राम जी हाम्बड़ फौजी रहे। इस समय यहां पर मानाराम जी मुलेवा व्याख्याता हिन्दी है, और पुखराज जी परमार डुठारिया में अध्यापक के पद पर अपनी सेवा दे रहे हैं।
देवली पाबूजी में सीरवी समाज का राजनीति में नाम रहा है जिनमें *श्री नेमाराम जी हकाजी सानपुरा रानी के उप प्रधान* रहे,आप तीन बार ग्राम पंचायत देवली पाबूजी के *सरपंच* रहे, श्रीमती *कन्या देवी पेमाराम जी मुलेवा देवली पाबूजी के सरपंच* रहे, श्रीमती *देवीका रमेश कुमारजी सानपुरा आप भी यहां से सरपंच रहे।*
स्वर्गीय गुलाराम जी बरफा और श्री नाथू लाल जी केराजी मुलेवा देवली पाबूजी के उप सरपंच रहे हैं।
*श्री बदाराम जी मुलेवा और श्री भेराराम जी परमार यहां से स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं*।
व्यापार व्यवसाय में यहां से मुंबई, पुणे, हैदराबाद, सूरत, अहमदाबाद और देवली पाबूजी में भी शानदार होलसेल हार्डवेयर इंडस्ट्रीज सीरवी बंधुओं की मेहनत का फल है।
सीरवी समाज के पदाधिकारी रूप में *श्री नारायण लाल मुलेवा पुत्र श्री गोमाराम जी मुलेवा अखिल भारतीय सीरवी युवा परिषद के महासचिव है*, किसान संघ के जिला उपाध्यक्ष और कोऑपरेटिव सोसाइटी देवली पाबूजी के निर्विरोध उपाध्यक्ष है। आपके द्वारा स्थापित आशापुरा स्टोन इंडस्ट्रीज देवली पाबूजी आसपास के क्षेत्र में बड़ा नाम है
यहां के बिल्डर के रूप में श्री *मोहन सिंह तारारामजी बरफा* का भी बड़ा नाम है,आप सीरवी समाज के बडेर निर्माण में अग्रणी होकर तथा सबसे बड़े भामाशाह के रूप में आगे आए हैं।
यहां पर श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल का *बधावा* अद्वितीय था। बधावे के समय *भैल के पांच बाबा और गांव के मात्र चार बांडेरू*। कोतवाल और जमादारी ने ही भैल का बधावा किया, जमादारी ने स्वयं भैल को टीकने की रस्म पूरी की बेटे की बहूओं या गांव में से किसी माता बहन को हरजस के लिए भी नहीं बुलाया था। मैंने कभी कल्पना भी नहीं की कि देवली पाबूजी जैसे बड़े नामचीन गांव में बिना मातृशक्ति और बांडेरुओं के बधावा किया जाता है।
भविष्य में सीरवी समाज देवली पाबूजी से श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल बधावे में माताओं बहनों और बांडेरुओं की भरपूर संख्या में उपस्थिति की आशा करते हैं। गांव के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की मां श्री आईजी से कामना करता हूं-दीपाराम काग गुड़िया।