पाली जिला और तहसील मुख्यालय से 16 किमी दूर सोडावास, सापुनी, सपरा, केनपुरा, सोनाईमांजी और गुन्दोज के मध्य सोनाईमांजी पंचायत का छोटा सा गांव है- *गुड़ा नारकान*।
यहां पर छत्तीस कौम के लगभग 200 घर है, जिनमें राजपूत, मेघवाल, सीरवी, कुम्हार, देवासी, नाई, वैष्णव, गोस्वामी, नायक और सरगरा निवास करते हैं।
यहां पर सीरवी समाज के *एकमात्र सोलंकी गोत्र के 16 घर* थे जिनमें अब सोलहवां घर एक घर जमाई रुप में आने से आगलेचा का हुआ है।
यहां पर श्री आई माताजी का पुराना स्थान छोटा सा मंदिर लूंबाराम जी सोलंकी की गवाड़ी में स्थित है। *जहां पर पाट स्थापना भी नहीं है केवल तस्वीर रखी हुई है*।इस पुराने स्थल के सामने ही अब भव्य मंदिर निर्माणाधीन है, जो करीब करीब पूर्ण हो चुका है और अतिशीघ्र प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी है।
नव निर्माणाधीन मंदिर से 50 कदम दूर 40 × 45 फिट का भूभाग न्याति नौहरा हेतु लिया हुआ है, जो कम घरों के द्वारा किया हुआ सराहनीय कार्य है।
यहां पर वर्तमान में *कोटवाल श्री भानाराम जी ढलाजी सोलंकी, जमादारी और पुजारी श्री लुंबाराम जी नेनाजी सोलंकी* अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे है।
यहां पर सरकारी नौकरी में अभी तक किसी में खाता ही नहीं खोला है।
व्यापार व्यवसाय में यहां से पुणे और मुंबई में सीरवी बंधु अपने गांव का नाम रोशन कर रहे हैं।
यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में स्वर्गीय गमनाराम जी खंगारजी सोलंकी और स्वर्गीय चुन्नीलाल जी लूम्बाराम जी सोलंकी मुम्बई तथा कुकारामजी जोगाजी सोलंकी पूना गये।
यहां पर ग्राम विकास के कार्य में सीरवी समाज के बन्धुओं द्वारा कोई कार्य नहीं करवाया गया है।
दक्षिण भारत के बडेरों के पदाधिकारी रुप में भी यहां से कहीं कोई पदाधिकारी नहीं है।
*रामबा, डूंगोबा और नरिंगबा पुत्र श्री हीरोबा सोलंकी यहां के माने हुए पंच* थे जिनका आसपास के गांवों में बड़ा नाम था।
श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल का यहां पर आगमन नहीं होता है एक बाबाजी द्वारा जात प्राप्त की जाती है,इस बार सोनाईमांजी के कोटवाल मोहनलाल जी गहलोत के साथ गुड़ा नारकान से यह जानकारी प्राप्त की।
सीरवी समाज गुड़ा नारकान के श्री आई माताजी के प्रति पूर्ण आस्था और श्रद्धा का भाव है आपके पूरे गांव के लिए चंहुमुखी विकास और खुशहाली की कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।