तहसील रानी मुख्यालय से 40 किमी दूर सेपटावा, भादरलाऊ, रुंगड़ी, रायपुरिया, इंदरवाड़ा आदि के मध्य सोमेसर रेलवे स्टेशन के पास आया हुआ छोटा सा गांव है- *गुड़ा जैतसिंह जी।*
छत्तीस कौम की लगभग 350 घर की बस्ती में सीरवी, राजपूत, राजपुरोहित, मेघवाल, जैन, वैष्णव, कुम्हार, दर्जी, सुनार ब्राह्मण, सरगरा, ढोली, देवासी आदि यहां निवास करते हैं।
गुड़ा जैतसिंह में सीरवी समाज के लगभग 125 घर है जिनमें राठौड़, परमार, सिंदड़ा, काग, मुलेवा, देवड़ा, बरफा, लचेटा और सोलंकी यहां निवास करते हैं।
यहां पर श्री आई माता जी का मंदिर बडेर पक्का बना हुआ है, *यहां बिलाड़ा लाल गादी की पूजा है,* जिसकी प्राण प्रतिष्ठा 2003 में बिठौड़ा पीर श्री रावत सिंह जी के कर कमलों से संपन्न हुई थी,उस समय श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल और परम पूज्य दीवान साहब माधव सिंह जी को नहीं बुलाया गया तब से लेकर आज तक *गुड़ा जैतसिंह में भैल बंद है।* सीरवी बंधुओं ने अब गुड़ा जैतसिंह में प्रतिवर्ष भैल पुनः चालू करने का निवेदन किया है, अतः पुनः भैल के यहां आगमन की आशा है। फिलहाल यहां के सीरवी बंधुओं की जात भी नहीं होती है,बडेर प्राण प्रतिष्ठा से पहले यहां पर भैल का नियमित रुप से आवागमन होता था।आसपास के गांव के लोग भी यहीं पर जात करवाते थे।
वर्तमान में यहां पर बडेर के *कोटवाल जस्साराम जी चंदाजी राठौड़, जमादारी तेजाराम जी चेनाजी राठौड़ और पुजारी श्रवण कुमार सेवग है।*
यहां से सरकारी नौकरी में अभी तक किसी ने खाता ही नहीं खोला है।
राजनीति में यहां से *श्रीमती कन्या दल्लाराम जी राठौड़ वर्तमान में इन्दरवाड़ा पंचायत की सरपंच* है।
व्यापार व्यवसाय में यहां से सीरवी बंधु मुंबई, पुणे और सूरत में मुख्य करके अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं।
दक्षिण भारत की संस्थाओं के पदाधिकारी रूप में *श्री खीमराज चमनाजी परमार 15 वर्ष तक कासरवाड़ी पुणे बडेर के कोषाध्यक्ष रहे, बिबवेवाडी पुणे बडेर के सचिव और अध्यक्ष रहे।आप वर्तमान में सीरवी छात्रावास उदयपुर के उपाध्यक्ष पद पर आसीन रहते हुए मील का पत्थर स्थापित कर रहे हैं। आपके निर्देशन में सामूहिक प्रयास से उदयपुर छात्रावास का भूमि विवाद समाप्त हुआ एवं रजिस्ट्रेशन का काम पूरा हुआ है।*
यहां से श्रीमान *स्वर्गीय चेनाराम जी परमार पुत्र श्री पन्नाराम जी परमार (गायत्री प्लास्टिक गोरेगांव मुम्बई) का पूरे भारत में दानवीर भामाशाह के रुप में प्रथम स्थान पर नाम रहता है।* आपके द्वारा दिये गये दान की गिनती ही नहीं की जा सकती है।
आपने संपूर्ण भारत में हर जगह मुक्त हस्त से दान दिया था, इसलिए भारत के कोने-कोने में आज भी लोग याद करते हैं।
गुड़ा जैतसिंह जी से ही *खीमराज चमनाजी परमार एवं श्री हीरालाल कलाजी राठौड़* का पूरे भारतवर्ष में दानवीरता में नाम दर्ज है।आप दोनों ने भी भारत की सभी संस्थाओं को यथायोग्य दान दिया है।
किन्हीं कारणों से बडेर प्राण प्रतिष्ठा पर श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल को नहीं बुलाना और अब तक भैल का गुड़ा जैतसिंह जी में बंद रहना सोचनीय है, यहां के सीरवी बंधु भैल आगमन एवं दर्शन लाभ के लिए लालायित हैं अतः आशा करते हैं कि गांव वालों के सद्प्रयासों से गुड़ा जैतसिंह जी में पुनः भैल का आगमन प्रारंभ हो।
दानवीरों की धरती को नमन करते हुए गांव गुड़ा जैतसिंह जी के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की कामना करता हूं-दीपाराम काग गुड़िया।