तहसील मुख्यालय सुमेरपुर से लगभग 30 किमी दूर धणा, बाबा गांव, दौलपुरा, बीरामी, केनपुरा और लापोद के मध्य धणा पंचायत का छोटा सा गांव है *-बड़ली।*
छत्तीस कौम के मात्र 150 घर की बस्ती में सीरवी समाज के अलावा राजपूत, देवासी, मेघवाल, लौहार, गोस्वामी, वैष्णव, मीणा, सरगरा, कुम्हार और जोगी यहां पर बसे हुए हैं।
*बड़ली में सीरवी समाज के काग और सोलंकी गौत्र के पुराने मात्र पांच घर थे अब अलग अलग बेटों के हिसाब से 08 सोलंकी और 04 कागों के कुल 12 घर हैं।*
इनमें *सोलंकी गांव के पास बेरा गामणिया पर और काग बेरा निम्बड़िया पर निवास कर रहे हैं।*
*यहां पर श्री आई माताजी की बडेर बहुत प्राचीन है* पर बहुत सुरम्य वातावरण है पास में चौक भी है अब जीर्णोद्धार की आवश्यकता है जिसकी तैयारियां चल रही है।उस समय मोतीबाबा के कर कमलों से पाट स्थापना की हुई है।
यहां पर *वर्तमान में श्री रामलाल जी लालाराम जी काग कोटवाल और श्री जगारामजी रुपाजी सोलंकी जमादारी एवं पुजारी के पद पर सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं।*
यहां से अभी तक किसी भी सीरवी बंधु ने सरकारी सेवा अथवा राजनीति में कोई भी पद प्राप्त नहीं किया है।
यहां से व्यापार व्यवसाय में सीरवी बंधु मात्र मुम्बई और हैदराबाद में अपने गांव का नाम रोशन कर रहे हैं।
यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में श्री जीवाराम जी चूनाजी काग मुम्बई, श्री देवारामजी लालाजी काग मुंबई और श्री मन्नाराम जी डूंगाजी सोलंकी मुम्बई गये।
सीरवी समाज के द्वारा स्थानीय ग्राम विकास के किसी प्रकार के कार्य नहीं करवाए गए है एवं दक्षिण भारत के बडेरों में कोई पदाधिकारी नहीं है।
बड़ली में भैल का आगमन नहीं होता है यहां से सीरवी बंधु धणा में भैल आगमन पर धणा में जात करवाते हैं इस बार यहां जाकर यह सूचना संकलित की गई।
सीरवी समाज बड़ली के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की मां श्री आईजी से कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।