तहसील मुख्यालय रानी से लगभग 20 किमी दूर खौड़, चांगवा, खरोकड़ा, नादाणा भाटान, गुड़ा गांगांण और जवाली के मध्य किरवा पंचायत का मात्र 65 घर का गांव है *-कल्याणपुरा।*
यहां पर सीरवी समाज के अलावा मात्र देवासी, मीणा, मेघवाल और गोस्वामी बसे हुए हैं।
*इस गांव में सीरवी समाज का इतिहास बड़ा दिलचस्प है।* यहां पर श्री कूपाजी सोलंकी ने सीरवी समाज की छड़ी रोपी। आपके केवल बेटियां ही थी अतः सब बेटियों को ससुराल भेज दिया लेकिन सबसे छोटी बेटी सुखी बाई के लिए *निम्बाड़ा से शेराराम जी (हेराजी) भायल घर जवांई आये।* आपके तीन पुत्र हुए जिनके नाम हैं श्री अचलारामजी, दौलाराम जी और नेनारामजी भायल।
*श्री शेराराम जी का स्वर्गवास हो जाने पर भादरलाऊ से श्री सोनाराम जी राठौड़ घर जवांई आये* जिनसे श्री उमाराम जी राठौड़ पुत्र हैं।
इस प्रकार सोलंकी परिवार की जायदाद पर वर्तमान में भायल और राठौड़ के रूप में दो गौत्र के सीरवी का एक ही परिवार यहां निवास कर रहा है।
कल्याणपुरा में इनके बेरे का नाम चौधरियों का बेरा है, यहां पर इनके पास लगभग 200 बीघा जमीन है एवं भरपूर जल है।
श्री दौलाराम जी भायल के घर में तस्वीर स्थापना कर बडेर माना गया है इन भाइयों में से ही कोटवाल जमादारी का दायित्व निर्वहन किया जाता है।
अब तक इनके परिवार से सरकारी सेवा में किसी ने खाता ही नहीं खोला है लेकिन अब श्री महेन्द्र पुत्र श्री दौलाराम जी भायल ने डी फार्मा किया है।
यहां इस परिवार ने अब तक राजनीति में भी कोई पद नहीं पाया है।
इस परिवार का व्यापार मुम्बई में है जिनमें सर्वप्रथम श्री दौलाराम जी भायल दक्षिण भारत गये थे।
बताया जाता है कि यहां पर फला खोला हुआ है लेकिन घरों की संख्या नगण्य होने से यहां भैल का आगमन नहीं होता है एवं ये परिवार खौड़ में भैल आगमन पर अपनी जात करवाते हैं।
*कल्याणपुरा को स्थानीय भाषा में कलोंपुरा भी कहा जाता है।* सीरवी समाज कल्याणपुरा के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की मां श्री आईजी से कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।