तहसील मुख्यालय रानी से लगभग 15 किमी दूर ढोला हाईवे से 05 किमी दूरी पर,केनपुरा, पुनाड़िया, चांचोड़ी एवं खुणी का गुड़ा के मध्य पंचायत मुख्यालय का गांव है *- मांडल।*
छत्तीस कौम के लगभग 1600 घर की बस्ती *मांडल को आम बोलचाल की भाषा में मोरड़ी* भी कहा जाता है। यहां पर जणवा,भील और बागरी नहीं है बाकी सभी जातियों का यहां पर निवास है।
मांडल बड़ा कस्बा है लेकिन *सीरवी समाज के यहां पर मात्र 25 घर है* जिनमें से परमार को छोड़कर काग,बरफा, राठौड़ और लचेटा के 19 घर डोरा बंद है ।
*श्री आई माताजी का बडेर यहां पर बना हुआ नहीं है फिलहाल पाट केसाराम जी वरदाजी काग के घर में स्थापित है,अभी तक फला खुला हुआ भी नहीं है इसलिए सीरवी बंधु ढोला जाकर जात करवाते हैं* इस बार खुणी के गुड़ा में भैल आगमन पर मांडल सूचनाएं प्राप्त करने हेतु यहां का दौरा किया श्री दीपाराम जी काग के निवास पर सभी बंधु इक्ट्ठे हुए एवं जानकारी प्रदान की।
यहां पर *वर्तमान में कोटवाल श्री दीपाराम जी भीकाजी काग, जमादारी और पुजारी श्री केसाराम जी वरदाजी काग* अपनी सेवा दे रहे हैं।
यहां पर सरकारी सेवा और राजनीति में अभी तक किसी ने खाता ही नहीं खोला है।
यहां से व्यापार व्यवसाय में मुम्बई और पूना में सीरवी बंधु अपने गांव का नाम रोशन कर रहे हैं।
यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में श्री जीवाराम जी भीकाजी काग मुंबई गये थे।
*ग्राम विकास के कार्य में श्री दीपाराम जी भीकाजी काग एवं काग परिवार द्वारा श्री मल्लिनाथ जी मंदिर का द्वार बनवाया गया।*
दक्षिण भारत के संगठनों में पदाधिकारी रूप में एकमात्र *श्री जीवाराम जी भीकाजी काग घाटकोपर मुम्बई बडेर के कोषाध्यक्ष रहे हैं।*
मांडल गांव के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की मां श्री आई माताजी से कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।