तहसील मुख्यालय रानी से लगभग 22 किमी दूर किरवा, चांचोड़ी, कल्याणपुरा और खौड़ के मध्य किरवा पंचायत का छोटा सा गांव है *- चांगवा।*
छत्तीस कौम की लगभग 300 घर की बस्ती में सीरवी, घांची, कुम्हार, राजपूत, राजपुरोहित ,मेघवाल,भील, गोस्वामी, मोयला, वैष्णव, ब्राह्मण,नाई, गर्ग और ढोली यहां पर बसे हुए हैं।
*चांगवा में सीरवी समाज के मात्र 39 घर है* जिनमें काग, परमार,बरफा, हाम्बड़ और राठौड़ गौत्र के सीरवी यहां निवास कर रहे हैं।
बडेर बहुत प्राचीन है,पाट स्थापना की हुई है पास में न्याति नौहरा के लिए भरपूर जगह भी है बडेर का पुनः जीर्णोद्धार आवश्यक है।
*वर्तमान में यहां पर कोटवाल, जमादारी और पुजारी के तीनों पद को श्री सुरेश जी भीकाजी परमार* लिए हुए समाज सेवा कर रहे हैं और सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं।
यहां पर सरकारी सेवा और राजनीति में सीरवी समाज ने अभी तक खाता ही नहीं खोला है।
व्यापार व्यवसाय में यहां से पाली, मुंबई, पुणे, नाशिक, कोल्हापुर और सतारा में सीरवी बंधु सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं।
यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में श्री चुन्नीलाल जी लूम्बाजी परमार मुम्बई एवं स्वर्गीय नेमाराम जी पूराजी बरफा मुम्बई गये थे।
ग्राम विकास के कार्य में श्री चुन्नीलाल जी लूम्बाजी परमार एवं श्री दौलाराम जी रुपाजी परमार द्वारा श्री चामुण्डा माता का द्वार बनवाया, श्री चुन्नीलाल जी लूम्बाजी परमार द्वारा किरवा मार्ग पर अवाला निर्माण करवाया, श्री पूनाराम जी वीराजी राठौड़ द्वारा खरोकड़ा मार्ग पर अवाला निर्माण करवाया श्री मांगीलाल जी देवाजी बरफा द्वारा गांव के फला पर अवाला निर्माण करवाया गया।
दक्षिण भारत के बडेर संगठनों के पदाधिकारी रूप में *श्री चुन्नीलाल जी लूम्बाजी परमार कोल्हापुर बडेर के अध्यक्ष* पद को सुशोभित कर रहे हैं।
चांगवा हाईवे पर स्थित किरवा और खौड़ के मध्य स्थित सीरवी आबाद गांव है, जहां भैल का आगमन नहीं होता है अतः जात प्राप्त करने हेतु खेता बाबाजी के साथ जाकर यह सूचना संकलित की गई।
चांगवा गांव के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की मां श्री आई माताजी से कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।