तहसील मुख्यालय रानी से मात्र 06 किमी दूर बिजोवा, भगवानपुरा स्टेशन,नादाणा जोधान, चांचोड़ी, इटन्दरा चारणान के मध्य इटन्दरा चारणान पंचायत का छोटा सा गांव है – *भगवानपुरा।*
छत्तीस कौम के 450 घर की बस्ती में सीरवी समाज के अलावा देवासी मेघवाल,भाट, गवारिया, घांची, लौहार, कुम्हार, बावरी, वादी,मीणा,सैन, सरगरा, वैष्णव और राजपूत यहां पर बसे हुए हैं।
*भगवानपुरा में सीरवी समाज के लगभग 70 घर है* जिनमें आगलेचा, परमार, राठौड़, गहलोत, मुलेवा और भायल यहां पर निवास कर रहे हैं।
*बडेर बहुत प्राचीन है जिसके जीर्णोद्धार के साथ गांव के कोटवाल द्वारा ही पाट रखा गया पाट स्थापना के समय गांव में थोड़ा विवाद हुआ जो अभी तक आपसी सहमति से पूर्णतया एकता नहीं हो पाई है।* यहां पर भैल का आगमन होता है।
वर्तमान में यहां पर *कोटवाल श्री शेषारामजी दरगाजी आगलेचा, जमादारी श्री दीपाराम जी रूपाजी परमार एवं पुजारी श्री वीरम देव जी लकमाजी मुलेवा* अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं।
यहां से सरकारी सेवा में *स्वर्गीय रघाराम जी दरगाजी आगलेचा शिक्षा विभाग में रानी के बीईईओ रहे, स्वर्गीय घीसारामजी भगाजी परमार गणित के वरिष्ठ अध्यापक थे, श्री जगदीश जी लच्छाराम जी आगलेचा जवाहर नवोदय विद्यालय जसवंतपुरा जालौर में अर्थशास्त्र के व्याख्याता है।* श्री राजीव जी रघाराम जी आगलेचा बीईईओ कार्यालय रानी में वरिष्ठ लिपिक है। श्रीमती सोनी देवी घीसारामजी परमार सेवानिवृत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं, *श्री मदनलाल जी घीसाजी परमार केसूली राजसमंद जिले में राजनीति विज्ञान में व्याख्याता पद पर कार्यरत हैं, श्री रमेश जी लालाराम जी आगलेचा औरंगाबाद सेना में मेडिकल विभाग में सेवा दे रहे हैं।*
राजनीति में भगवानपुरा से श्री पेमारामजी मोतीजी परमार रानी गांव सोसाइटी के अध्यक्ष रहे हैं।
यहां से व्यापार व्यवसाय में भगवानपुरा, रानी, अहमदाबाद, बड़ौदा, सूरत, मुम्बई और पूना में सीरवी बंधु अपने गांव का नाम रोशन कर रहे हैं।
यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में श्री दीपाराम जी रुपाजी परमार पचास साल पहले आबूरोड गये थे। श्री हीराराम जी दरगाजी आगलेचा मुंबई गये थे।
*ग्राम विकास के कार्य में श्री शंकर लाल जी डूंगाजी मुलेवा द्वारा भगवानपुरा विद्यालय में शेड निर्माण करवाया गया।*
यहां पर *श्री आई माताजी के नाम से बडेर की डोली की 307 बीघा जमीन है,जिस पर सीरवी ही काश्त कर रहे हैं एवं भोग की राशि भगवानपुरा बडेर में जमा करवाते हैं।इस जमीन का भोग पहले जति मोती बाबा जी द्वारा वसूल किया जाता था एवं बिलाड़ा जमा होता था, भगाबाबा जी द्वारा जति बनने के बाद भोग को लेकर विवाद हुआ लेकिन अब भोग की राशि भगवानपुरा में ही जमा हो रही है।*
भगवानपुरा में राम मंदिर अयोध्या की प्राण प्रतिष्ठा का विशेष उत्साह था अतः भव्य बधावा किया गया, भैल के ठहराव स्थल पर टेंट की व्यवस्था की गई।रात्रि में पूरा गांव राममय होकर ढोल थाली,डीजे के साथ नाच गान और भजन हुए।
दूसरे दिन दिन में धर्म सभा का आयोजन हुआ एवं शाम को राम भक्तों के द्वारा डीजे के साथ *श्री आई माताजी की भव्यतम विदाई हुई।*
*भगवानपुरा में श्री आई माताजी बडेर के जीर्णोद्धार की आवश्यकता है, आवश्यक सुविधाओं का अभाव है,कुछ भले बंधुओं को विकास कार्य नहीं होने का दुःख है लेकिन आपसी सहयोग का अभाव है, माताजी के नियम पालन में उदासीनता है अतः श्री आई माताजी से कामना करता हूं कि भगवानपुरा पर आपकी कृपा हो एवं गांव का चंहुमुखी विकास हो तथा सभी ख़ुशहाल रहें और श्री आई माताजी का भव्य बडेर बनकर प्राण प्रतिष्ठा हो।*
जय आईजी री सा।
– दीपाराम काग गुड़िया।