तहसील मुख्यालय रानी से 07 किलोमीटर दूर बिजोवा, धाणदा,दादाई, वारका, और विंगरला के मध्य पंचायत मुख्यालय का गांव है- *वरकाणा।*
किसी समय में शिक्षा के क्षेत्र में पाली जिले में जैन विद्यालय के रूप में यह गांव आसपास के क्षेत्र में प्रसिद्ध रहा है, छत्तीस कौम की इस बस्ती में लगभग 400 घर है, जिनमें सीरवी, राजपुरोहित, राजपूत, माली, घांची, देवासी, मेघवाल, सरगरा, कुम्हार, मीणा, सुथार, लोहार, वैष्णव, सोमपुरा, धोबी, जोगी, बिश्नोई आदि है, जैन पेढ़ी है जिनमें 90 गांव के जैन समाज का यहां पर मुख्यालय है पर एक भी जैन परिवार यहां निवासरत नहीं है, यह वल्लभ गुरु का पंच तीर्थ कहलाता है।
*सीरवी समाज के वरकाणा में लगभग 70 घर है जिनमें सोलंकी, गहलोत, मुलेवा, परमार और काग यहां निवास करते हैं।*
यहां पर श्री आई माताजी का बडेर श्वेत मार्बल में बहुत ही शानदार बना हुआ है, पर वहां पर गली संकरी होने से भैल का ठहराव समाज के न्याति नौहरे में होता है समाज भवन भी शानदार बना हुआ है जहां सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध है।
श्री आई माताजी बडेर की *प्राण प्रतिष्ठा विक्रम संवत् २०६६जेठ बदी बारस दिनांक 04 जून 2009 को श्री आई माता जी के धर्मरथ भैल और दीवान साहब के कर कमलों से हर्षोल्लास से संपन्न हुई थी।*
वरकाणा में वर्तमान में *कोटवाल और पुजारी श्री कूपाराम जी केसाजी गहलोत, जमादारी लच्छाराम जी भूराजी गहलोत* अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं।
*सरकारी सेवा में स्वर्गीय जोधाराम जी वरदाजी सोलंकी फौजी रहे हैं और आप युद्ध में पठानकोट तैनात रहते हुए शहीद हुए थे। श्री फुआराम जी चेनाजी सोलंकी कृषि मंडी सुमेरपुर में इंजीनियर है*, पोकरलाल जी पीथाजी सोलंकी बड़ौद में वरिष्ठ अध्यापक गणित है।
*राजनीति में मात्र स्वर्गीय मानाराम जी वरदाजी सोलंकी वरकाणा के उप सरपंच रहे हैं।*
व्यापार व्यवसाय में यहां के सीरवी रानी,अहमदाबाद, सूरत, मुंबई, पुणे और चित्तौड़ में अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं।
यहां से दक्षिण भारत जाने वालों में सर्वप्रथम नाम स्वर्गीय कलारामजी मेघाजी सोलंकी फिरोजाबाद, स्वर्गीय वजाराम जी कैसाजी सोलंकी मुंबई, श्री पूनाराम जी हेमाजी सोलंकी मुंबई, श्री मोडाराम जी लूम्बाजी गहलोत मुंबई गए थे।
*ग्राम विकास के कार्य में शहीद जोधारामजी की पुण्यस्मृति में आपकी धर्मपत्नी श्रीमती हीरीबाई द्वारा नारलाई में श्री जैकलजी धाम पर शानदार प्याऊ का निर्माण करवाया गया। श्री भरत कुमार जी फुआराम जी सोलंकी द्वारा महादेव मंदिर के निर्माण के साथ में टांका और ट्यूबवेल करवाया गया। श्री मोडाराम जी लूम्बाजी गहलोत द्वारा श्री आई माता द्वार का निर्माण करवाया गया। श्री पकाराम जी हेमा जी सोलंकी द्वारा देवली पाबूजी गौशाला में शेड का निर्माण करवाया गया। स्वर्गीय लूम्बाराम जी हेमाजी सोलंकी द्वारा तालाब के पास अवाला निर्माण करवाया गया।*
आई पंथ के *दीवान जी का वरकाणा से गहरा सम्बन्ध रहा है, चमत्कारी दसवें दीवान हरिदास ने एक विवाह वरकाणा में काग गौत्र में किया था, नर्मदा के तट पर जब हरिदास जी ने शरीर छोड़ा था तब बिलाड़ा में कागण जी का चूड़ा टूट कर बिखर गया था तब कागण जी ने नर्मदा के तीर से दीवाण जी का मोळिया(साफा) मंगवाया और आप बिलाड़ा के माटमौड़ के बाग में सती हुए थे जिनकी पुण्य स्मृति में आज भी पूर्व दिशा की छतरी आपकी याद दिलाती है एवं यहां पर आज भी जात,जड़ूले के कार्यक्रम सम्पन्न होते हैं और श्रद्धालु भक्तों की मनौती पूरी होती है।*
वर्तमान में वरकाणा से *सती कागण माजी के पीहर पक्ष वाले मध्यप्रदेश के धार जिले की सरदारपुर तहसील के छड़ावद गांव में जाकर बस गए हैं* इसलिए वरकाणा में इनके पीहर पक्ष का कोई स्थान स्मृति के लिए नहीं है।
वरकाणा में इस समय काग गौत्र के सीरवी बसे हुए हैं लेकिन ये सती कागण माजी के पीहर पक्ष के मध्यप्रदेश चले जाने के बाद आकर बसे हुए हैं जिनका कागण माजी से कोई सम्बन्ध नहीं है।
वरकाणा में श्री आई माताजी धर्म रथ भैल का भव्य बधावा किया गया रात में माताओं बहनों द्वारा हरजस भी किये गये और धर्म सभा भी हुई जिसमें रात के साढ़े बारह बजे तक श्रद्धालु माताऐं बहने और बांडेरु रुके रहे।
वरकाणा गांव के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की मां श्री आईजी से कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।