तहसील मुख्यालय बाली से मात्र 08 किमी की दूरी पर बारवा,बोया, गुड़ा सीरवियान, सेवाड़ी और मिरगेसर पंचायत में स्थित छोटा सा गांव है *-पातावा*।
लगभग 500 घर की बस्ती में राजपुरोहित, सीरवी, जणवा, मेघवाल, सरगरा, कुम्हार, सुथार और गाडोलिया लौहार यहां पर बसे हुए हैं।
यहां पर सीरवी समाज के मात्र लचेटा गौत्र के 08 घर है गहलोत गौत्र का गांव के पास मुख्य सड़क मार्ग पर बेरा और जमीन है पर ये बाली निवास करते हैं।
पातावा में श्री आई माताजी का बडेर पक्का बना हुआ है भैल की उपस्थिति में 1987-88 में जति श्री मोतीबाबा के कर कमलों से प्राण प्रतिष्ठा एवं पाट स्थापना सम्पन्न हुई उस।
यहां पर वर्तमान में कोटवाल श्री केसाराम जी दरगाजी लचेटा तथा जमादारी एवं पुजारी श्री गोमाराम जी रताजी लचेटा विकलांग होते हुए भी अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं।
पातावा के इन आठ परिवार में से किसी ने सरकारी सेवा में जाने की इच्छा या कोशिश ही नहीं की।
पातावा में सीरवी बहुत कम है फिर भी मिरगेसर पंचायत के उप सरपंच रुप में श्री गोमाराम जी रताजी लचेटा सीरवी समाज का नाम रोशन कर रहे हैं।
यहां से व्यापार व्यवसाय में सीरवी बंधु मुम्बई तथा पूना में अपने गांव का नाम रोशन कर रहे हैं।
पातावा से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में स्वर्गीय श्री जोधाराम जी रताजी लचेटा मुम्बई, श्री खेतारामजी केसाजी लचेटा पोर बड़ौदा गुजरात गये।
सीरवी समाज द्वारा फिलहाल ग्राम विकास के कार्य में योगदान नहीं है तथा दक्षिण भारत के बडेर संगठनों में पदाधिकारी रूप में भी स्थान नहीं पाया है।
पहले पातावा में सीरवी अधिक थे यहां से पलायन कर अन्यत्र बसने से अब बहुत कम सीरवी परिवार रहे हैं।
पातावा सीरवी समाज के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की मां श्री आई माताजी से कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।