तहसील मुख्यालय बाली से 20 किमी दूर माताजी वारा,बमणिया,मोकमपुरा और धाणदा के मध्य गुड़ा लास पंचायत में स्थित छोटा सा गांव है- *फताहपुरा*।
लगभग 175 घर की छोटी सी बस्ती में सीरवी,राजपूत, मेघवाल,देवासी,कुम्हार, सरगरा, ढोली,गाडोलिया लोहार और गोस्वामी यहां निवास कर रहे हैं।
*सीरवी बाहुल्य गांव फताहपुरा में मात्र दो गौत्र चोयल और बरफा के लगभग 100 घर है जिनमें चोयल गौत्र का डंका है यहां 92 चोयलों के और 08 बरफा गौत्र के घर हैं।*
यहां पर श्री आई माताजी के *बडेर की प्राण प्रतिष्ठा आषाढ़ बदी बीज सोमवार दिनांक 28 जून 2010* को श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल और दीवान साहब के कर कमलों से संपन्न हुई थी।
यहां पर वर्तमान में *कोटवाल श्री मोटाराम जी मकनाजी चोयल, जमादारी और पुजारी श्री मेघाराम जी पूनाजी चोयल* अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे है।
*सरकारी सेवा में इस गांव का नाम सीरवी समाज के लाल ने पूरे राजस्थान में रोशन किया है। कृषि विभाग राजस्थान जयपुर के सबसे बड़े अधिकारी निदेशक पद से सेवानिवृत श्री मानाराम जी वजाराम जी चोयल का नाम फताहपुरा के इतिहास में सबसे ऊपर लिखा जायेगा*। श्री नत्थाराम जी टुआराम जी माताजी वारा में वरिष्ठ अध्यापक है। श्री पोमाराम जी सुजाजी चोयल सेवानिवृत्त आयुर्वेदिक कंपाउंडर है। श्री सुरेश जी पकाजी चोयल रेलवे पोस्ट ऑफिस में मारवाड़ जंक्शन में बाबू है।
राजनीति में इस गांव से श्री मानाराम जी खीमाजी चोयल गुड़ा लास के उपसरपंच रहे हैं, *श्रीमती बबली गणारामजी चोयल गुड़ा लास सरपंच रही है*। श्री हेमाराम जी पुनाजी चोयल आशा महिला मिल्क प्रोड्यूसर के संचालक है।
व्यापार व्यवसाय में यहां से माताजी वारा, अहमदाबाद, सूरत,पुणे,नासिक और जयपुर में सीरवी बन्धु सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं।
सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में स्वर्गीय पुनाराम जी भीकाजी चोयल एवं श्री कानाराम जी गमनाजी चोयल मुंबई गए।
ग्राम विकास कार्य में श्री मानाराम जी वजाराम जी चोयल द्वारा गोचर में नाडी के किनारे निजी भूमि पर पशु पक्षियों के लिए अवाला निर्माण करवाया गया। श्री मोडाराम जी बगदाजी चोयल द्वारा भी गोचर में अवाला निर्माण करवाया गया। श्री चेलाराम जी रामाजी चोयल द्वारा रानी मार्ग पर अवाला निर्माण करवाया गया, श्री मांगीलाल जी भीकाजी चोयल द्वारा रानी मार्ग पर अवाला निर्माण करवाया गया। श्री मेगाराम जी पूनाजी चोयल द्वारा रानी मुंडारा मार्ग पर चौराहे पर प्याऊ बनवाई गई। श्री धन्नाराम जी कूपाजी चोयल द्वारा विद्यालय द्वार का निर्माण करवाया गया।
*फताहपुरा में श्री दल्लेर गिरी महाराज की जीवित समाधि है जहां पूरा गांव नमन करता है*।
दल्लाजी परिहार नाडोल के मूल निवासी थे अपने पिता के देहान्त पर अपनी माता के साथ ननिहाल दादाई में छोटे से बड़े हुए। दादाई में आप पाणत कर रहे थे तब महादेव जी ने आपको दर्शन देकर कहा कि मैं पीपल में दबा हुआ हूं इसलिए भगत मुझे बाहर निकाल कर स्थापित करो। दल्लाजी ने महादेव से विनती की कि पीपल को काटने पर राजाजी मुझे मृत्युदंड दे देंगे इसलिए मैं आपको कैसे बाहर निकाल सकता हूं। महादेव ने कहा कि पीपल के चारों ओर आठ दस चोट से पीपल गिर जायेगी और उसमें से मेरी चार मुखी प्रतिमा निकलेगी उसे अच्छी जगह स्थापित कर देना तुम्हारे ऊपर कोई हमला नहीं कर सकेगा मैं रक्षा करुंगा। आपने महादेव जी के आदेशानुसार बहुत ही आसानी से पीपल काट कर गिरा दिया,वही हुआ जो होना था। राजाजी के आदमी पकड़ने आये पर नजदीक पहुंचने से पहले अंधे हो जाते दूर जाने पर फिर से दिखाई देता,इस चमत्कार से आपने चार मुखी महादेव को फताहपुरा में स्थापित कर मठ की स्थापना की। मोकमपुरा के खेताराम जी परिहार आपके शिष्य बने एवं बाद में वे दीक्षित होकर खेती गिरी बने। खेती गिरी जी का परिवार अब गोस्वामी बना हुआ है और इनका परिवार मठ की व्यवस्था देखते हैं।आज भी यहां के मठ में पीपल में से निकले श्री महादेव की शिव पार्वती संग मूर्ति और चार मुखी महादेव की स्थापना की हुई है।
फताहपुरा में श्री आई माताजी धर्म रथ भैल का भव्य बधावा किया गया। कोटवाल जमादारी से अनुरोध कर रात्रि भोजन प्रसाद का आयोजन सेवा निवृत्त कृषि निदेशक मानाराम जी चोयल द्वारा किया गया। रात्रि में धर्म सभा का आयोजन हुआ जिसमें माताओं बहनों और बांडेरुओं ने पूर्ण मनोयोग से श्री आई माताजी के इतिहास को सुना एवं प्रसन्नता व्यक्त की।
फताहपुरा सीरवी समाज के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की मां श्री आईजी से कामना करता हूं-दीपाराम काग गुड़िया।