तहसील मुख्यालय देसूरी से लगभग 20 किमी दूर उन्दरथल,बड़ौद, भीटवाड़ा, पांचलवाड़ा,रमणिया और माताजी वारा के मध्य बड़ौद पंचायत का गांव है – *सरथूर।*
लगभग 400 घर की बस्ती सरथूर में *सीरवी बहुत कम* है अन्य जातियों में राजपूत, देवासी, मेघवाल, घांची, कुम्हार,जाट, माली,नाई, ब्राह्मण, सुथार, रावणा राजपूत, वैष्णव सरगरा, ढोली और भील आदि यहां निवास करते हैं।
सरथूर में सीरवी समाज की केवल *चार गौत्र लचेटा, काग, मुलेवा और परमार के मात्र 30 घर है*।
सरथूर में श्री आई माताजी बडेर बहुत पुरानी है एवं विधिवत रूप से प्राण प्रतिष्ठा समारोह नहीं किया गया। यहां पर सीरवी समाज के घरों की संख्या कम होने से एक बाबाजी द्वारा जात प्राप्त की जाती थी। यहां भैल का आगमन नहीं होता था।
*वर्ष 2006 में बेरा रावला अरहट पर काग परिवार द्वारा श्री आई माताजी मंदिर बडेर का निर्माण करवाया एवं प्राण प्रतिष्ठा अवसर पर श्री आई माताजी धर्म रथ भैल और परम पूज्य दीवान साहब को निमंत्रित कर भव्य बधावा किया गया तब से प्रति वर्ष भैल का आगमन बेरा रावला अरहट पर होता है*।
सरथूर में वर्तमान में *कोटवाल श्री हेमाराम जी पुकाजी लचेटा, जमादारी श्री मगाराम जी कलाजी लचेटा और पुजारी श्री फरसा महाराज वैष्णव* अपनी सेवा दे रहे हैं।
यहां पर सरकारी सेवा में श्री *डूंगाराम जी भूराराम जी लचेटा सेवानिवृत अध्यापक* हैं। आपके अलावा यहां से कोई सरकारी सेवा में नहीं है।
यहां से राजनीति में मात्र श्रीमती *छोगीदेवी पुखाराम जी लचेटा बड़ौद पंचायत की उप सरपंच* रही है।
सरथूर से व्यापार व्यवसाय में सीरवी बंधु पिण्डवाड़ा, सूरत, मुंबई और हैदराबाद में अपने गांव का नाम रोशन कर रहे हैं।
यहां से सर्वप्रथम बाहर जाने वालों में श्री पेमारामजी लालाजी काग बाली और बाद में पिण्डवाड़ा गये, श्री नरेन्द्र जी प्रमोद जी नाथाजी लचेटा तथा स्वर्गीय वक्ताराम जी कलाजी लचेटा मुम्बई गये।
ग्राम विकास के कार्य में लचेटा एवं काग परिवार का पूरे क्षेत्र में नाम दर्ज है। दोनों भाई *श्री नरेन्द्र जी एवं प्रमोद जी लचेटा* द्वारा दूदेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण करवाया,हाल बनवाई,प्राण प्रतिष्ठा करवाई और यहां पर हर साल मेला लगवाते हैं।
लचेटा परिवार द्वारा ही विद्यालय खेल मैदान का द्वार बनवाया, श्री मोतीबाबा छात्रावास रानी में एक कमरा निर्माण करवाया गया, हरिद्वार और उज्जैन में भी कमरा निर्माण करवाया गया।
काग परिवार में *पेमारामजी काग जय भवानी मार्बल पिण्डवाड़ा* समाज में लम्बे समय से मंदिर निर्माण के शिल्पी और भामाशाह के रूप में अपनी पहचान रखते हैं।
श्री गलाराम जी खूमाजी काग द्वारा बहुत पहले विद्यालय में कमरा निर्माण करवाया गया तब आपका जयपुर में मुख्यमंत्री द्वारा भामाशाह सम्मान किया गया।
श्री पेमारामजी काग ने श्री जीजीवड़ आई माता गौशाला देवली पाबूजी में शेड निर्माण करवाया, श्री मोतीबाबा अंग्रेजी विद्यालय रानी में विद्यार्थियों हेतु बस भेंट की गई, डायलाना मंदिर पर फर्श करवाया, उज्जैन मंदिर पर एक कमरा निर्माण करवाया गया, रानी मोती बाबा छात्रावास में सीरवी संदेश के राष्ट्रीय सम्मान समारोह को आयोजित करवाने में भोजन एवं पुरस्कार के प्रायोजक बने, सीरवी जागृति संस्थान जवाली पाली का बाली में सम्मान समारोह आयोजित करवाया। सीरवी संदेश कार्यालय में फर्श हेतु मार्बल भेंट किया।
स्वर्गीय राजाराम जी भूराजी लचेटा द्वारा सरथूर विद्यालय हेतु 20 गुणा 50 फीट का भूखंड भेंट किया गया।
*मंदिर निर्माण में शिल्पकार के रूप में पहचान बनाने वाले सीरवी समाज के गौरव हैं श्री पेमारामजी काग।*
आपके पुत्र राजेश काग द्वारा अब तक एक से बढ़कर एक श्वेत मार्बल एवं बंशी पहाड़ पत्थर से निर्मित मंदिर एवं श्री आई माताजी के बडेर भारतवर्ष के चैन्नई, बंगलौर, हैदराबाद में शोभायमान हो रहे हैं जिनमें सर्वप्रथम नाम नारलाई *श्री जैकलजी आई माताजी मंदिर* की भव्यता की प्रशंसा हर श्रद्धालु द्वारा की जाती है।
आपके द्वारा शिल्पकारी के उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में अन्य मंदिरों में गोड़वाड़ में *किशनपुरा (नाडोल), इटन्दरा चारणान, उन्दरथल,नाडोल में गुमानिंग पीर मंदिर, सोजत रोड के पास में सियाट,तण्डियार पेट चैन्नई, बिबवेवाडी पुणे, शमसाबाद हैदराबाद,सांगारेड्डी हैदराबाद, सतलाणा, जेलवा (बिलाड़ा), बाबा रामदेव मंदिर गुड़िया, अलखजी मंदिर बाळी, मध्यप्रदेश में कुक्षी, सिंघाना बड़वानी,आली, राजगढ़, हरियाणा के करनाल में जैन मंदिर, बिलाड़ा बडेर में सिणगार चौकी के अलावा वर्तमान में गरनीया तथा पिपलिया कला* में मंदिर निर्माण का कार्य प्रगति पर है।
दक्षिण भारत में संगठनों के पदाधिकारी रूप में *श्री प्रमोद नाथारामजी लचेटा खारघर मुम्बई बडेर के अध्यक्ष रहे* हैं,आप श्री *मोतीबाबा शिक्षण संस्थान के उपाध्यक्ष है। श्री नरेन्द्र जी नाथारामजी लचेटा ऊं आश्रम जाडन के कोषाध्यक्ष है।*
*श्री पेमारामजी लालाजी काग श्री आई माता सीरवी समाज आमथला आबूरोड के अध्यक्ष पद* को सुशोभित कर रहे हैं।
श्री आई माताजी धर्म रथ भैल का बेरा रावला अरहट सरथूर में भव्य स्वागत किया गया। रात्रि में विशाल रुप में धर्म सभा का आयोजन हुआ उसके बाद भजन संध्या हुई।
सीरवी समाज सरथूर के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की मां श्री आई माताजी से कामना करता हूं-दीपाराम काग गुड़िया।