तहसील मुख्यालय देसूरी से लगभग 13 किमी दूर ढालोप, वीरमपुरा माताजी, उन्दरथल और गिराली के मध्य ढालोप पंचायत का मात्र 165 घरों का गांव है – *पदमपुरा।*
*पदमपुरा सीरवी बाहुल्य गांव है* जिनमें अन्य कौम में राजपूत, मेघवाल, वैष्णव, देवासी, रावणा राजपूत, ढोली, सरगरा और मोयला निवास कर रहे हैं।
*यहां पर सीरवी समाज के 109 घर है जिनमें आधे से अधिक सिन्दड़ा है*अन्य में केवल बरफा और सोलंकी बसे हुए हैं।*
*विक्रम संवत २०७४ जेठ बदी दशम् वार रविवार 21 मई 2017 का दिन केवल पदमपुरा ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्र वासियों के लिए आज भी यादगार बना हुआ है।*
शाम के समय श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल और परम पूज्य दीवान साहब श्री माधव सिंह जी का भव्य बधावा किया गया, रात में भजन संध्या अपने पूरे चरम पर श्रद्धालु भक्तों को आनन्दित कर रही थी, दीवान साहब माधव सिंह जी और पूना बाबाजी भी मंच पर विराजमान थे यही कोई रात के ग्यारह साढ़े ग्यारह बजे का समय हुआ होगा कि तभी इन्द्र और पवन देव का प्रकोप हुआ, बहुत मजबूत बनाये हुए डोम के पांव भी उखड़ने लगे तब श्रद्धालु भक्तों ने दीवान साहब एवं पूना बाबाजी को डोम से सुरक्षित स्थान पर चलने का निवेदन किया, दीवान साहब माधव सिंह जी जैसे ही डोम से बाहर पधारे डोम धराशाई हो गया। पूना बाबाजी भैल के पास ही रहने के लिए अड़े रहे तब तक आपके ऊपर भी टेंट के गिरने से बेहोशी छा गई गनीमत यह रही कि आपके सिर पर साफा से बचाव हो गया। सभी को सुरक्षित बाहर निकाला गया पर भैल डोम में ही खड़ी रह गई, चारों ओर जलाकार ही जलाकार।गुप अंधेरे में चमकती बिजलियां और गरजते बादल डरावने लग रहे थे सभी को यही फ़िक्र कि श्री आई माताजी धर्म रथ भैल का क्या हुआ होगा?
*पदमपुरा की युवा टीम ने हिम्मत नहीं हारी एवं सभी को व्यवस्थित कर रात में फिर से बोली कार्यक्रम जारी रखा और रात में ही बोली पूरी की गई।*
*प्रातः कालीन बेला में चाकू से टेंट को फाड़ते हुए लोग जब भैल के पास पहुंचे कि सभी के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल के तीन ओर एंगल इस तरह से खड़े रहे कि माताजी की भैल से तीनों ओर उनकी दूरी एक इंच, और भैल के कोई खरोंच तक नहीं आई*।
श्री आई माताजी ने अपने *श्री मुख से फरमाया था कि इस धर्म रथ भैल में मैं सदैव विराजमान रहूंगी और एक पल के लिए भी दूर नहीं होऊंगी।इस सत्य घटना में श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल का सुरक्षित मिलना सभी को नत मस्तक होने के लिए मजबूर कर दिया। हे! मां आपकी लीला अपरम्पार है।*
इस घटनाक्रम को इसलिए विस्तार से लिखा गया कि *श्री आई माताजी का धर्म रथ भैल कोई साधारण बैलगाड़ी नहीं, बल्कि इसमें आज भी सूक्ष्म रूप में श्री आई माताजी विराजमान हैं एवं जहां जहां पर भैल का पहिया घूम जाता है वहां वहां पर सभी तरह के रोग,शोक,भूत प्रेत, बाधाएं अपने आप टल जाती है एवं दूर हो जाती है*।
पदमपुरा में विक्रम संवत २०७४ जेठ बदी ग्यारस सोमवार दिनांक *22 मई 2017* को परम पूज्य दीवान साहब माधव सिंह जी के कर कमलों से श्री आई माताजी के *बडेर की प्राण प्रतिष्ठा* हर्षोल्लास से संपन्न हुई।
यहां पर वर्तमान में *कोटवाल श्री श्री शेषाराम जी डूंगाजी बरफा, जमादारी श्री श्री नेनारामजी चमनाजी बरफा और पुजारी श्री नेनारामजी पीथारामजी बरफा* अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं। *विशेष कर कोटवाल शेषाराम जी युवा एवं उर्जावान व्यक्ति हैं* जिन्हें सीरवी समाज का पूरा सहयोग मिलता रहे तो आप पदमपुरा में विकास की गंगा बहाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
यहां से सरकारी सेवा में श्री वरदाराम जी मोतीजी सिन्दड़ा बाली ट्रेज़री से सेवानिवृत है, श्री पोकरराम जी पूनाजी बरफा बाली सिनीयर विद्यालय बाली में उप प्रधानाचार्य पद पर सेवा दे रहे हैं। श्री शेषाराम जी नेतीजी सिन्दड़ा उदयपुर जिले में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं आपकी धर्मपत्नी श्रीमती उमा शेषाराम जी सिन्दड़ा उदयपुर जिले में ही अध्यापिका पद पर कार्यरत हैं। श्रीमती मीना कुमारी धर्मपत्नी महेन्द्र जी बरफा मोकमपुरा बाली में अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। श्रीमती अनिता (गुड्डी) धर्मपत्नी सुरेश जी बरफा ग्राम पंचायत विकास अधिकारी के पद पर आसीन है। *सुश्री मानसी पुत्री श्री रामलाल जी बरफा दिल्ली में पायलट ट्रेनिंग* के अंतिम वर्ष में अध्ययनरत हैं। डाक्टर श्री हरीश जी वरदाराम जी सिन्दड़ा पूना में सेवा दे रहे हैं।
*राजनीति में मात्र श्री भेराराम जी मोतीजी सिन्दड़ा कोपरेटिव सोसाइटी ढालोप के चेयरमैन है*। बाकी यहां से किसी ने कोई चुनाव नहीं लड़ा और न ही जीता।
यहां से व्यापार व्यवसाय में सूरत,वापी, मुंबई, पूना और अलीबाग रायगढ़ में सीरवी बंधु सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं।
यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में स्वर्गीय श्री पूनाराम जी पेमाजी सिन्दड़ा, श्री भूराराम जी पेमाजी सिन्दड़ा,श्री पीथारामजी मोतीजी सिन्दड़ा और चुन्नीलाल जी मोटाजी सिन्दड़ा मुम्बई गये थे।
ग्राम विकास के कार्य में श्री ओगड़राम जी देवाजी सिन्दड़ा द्वारा मामाजी का थान और अवाला बनवाया गया। श्री रामलाल जी डूंगाजी बरफा ने विद्यालय में बेंचें भेंट की।
श्री शेषाराम जी हिराजी बरफा सीरवी समाज पदमपुरा के रियल हीरो हैं, आपके अथक प्रयासों से बडेर निर्माण एवं प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम सम्पन्न हुआ था।
दक्षिण भारत के संगठनों के पदाधिकारी रूप में *श्री रमेश जी पीथारामजी सिन्दड़ा नेहरू नगर पूना बडेर के सचिव है* *श्री वीरमराम जी जीवाजी सोलंकी सूरत बडेर के निर्माण समिति के उप सचिव रहे हैं।*
पदमपुरा के *जस्सा महाराज सिन्दड़ा श्री भंवर महाराज नारलाई के शिष्य हैं* जिन्होंने एक वर्ष तक भैल पर भी समय दिया था, वर्तमान में अपने गांव में ही बेरे पर बाबा रामदेव जी का मंदिर बनवा कर सेवा पूजा कर रहे हैं।
पदमपुरा में श्री आई माताजी धर्म रथ भैल का भव्य बधावा किया गया रात में धर्म सभा का आयोजन भी हुआ जिसमें माताओं बहनों और बांडेरुओं ने पूर्ण मनोयोग से श्री आई माताजी के इतिहास को सुना एवं प्रसन्नता व्यक्त की।
ग्राम पदमपुरा के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।