बेंगलुरु- सीरवी समाज के आई माता मंदिर में चल रहे चतुर्थ मास में संत राजा राम ने कहा कि एक व्यक्ति ने किसी संता से पूछा, ‘जीवन को सुंदर बनाने की इच्छा है ,इसलिए मुझे कोई ऐसा उपदेश दीजिए जिससे जीवन को मैं अच्छा बना सकूं’
संत ने अपने पास रखी तीन चीज है उठाकर उस व्यक्ति को दे दी,’ थोड़ी सी रूई, एक मोमबत्ती और एक सुई |’ तीनों चीजें उसके हाथ में देने के बाद संत ने कहा ,’ बस हो गया हमारा उद्देश्य अब जाओ|’ वह आदमी वहां से चल पड़ा ,पर उसकी समझ में नहीं आ रहा था किस संत ने उसे यह चीजें क्यों दी| वह व्यक्ति वापस संत के पास आकर बोला ,’महाराज यह जो कुछ अपने दिया है यह मेरी समझ में नहीं आ रहा है।’ संत ने कहा , ‘यह जो रुई दी है ,इसकी खासियत यह है, कि यह धागा बनकर हर व्यक्ति की लाज रखती है|
मेरे परमात्मा का प्यारा इंसान भी वही है जो दूसरों की लाज ढका करता है और दूसरों को संरक्षण देता है|’
सुई के बिना संसार का काम नहीं चलता| टुकड़ों को फटे हुए को , कटे हुओ को जोड़ने का काम करती है । सुई के बिना कोई जुड़ा नहीं करता । तो दुनिया मे भी परमात्मा का प्यारा वही है, जो फटे हुए दिल को सिला करता है।