पाली। कहते है कि हौंसले बुलंद हो तो शारिरीक अक्षमता भी आड़े नही आती, इसको सच कर दिखाया पाली जिले के रानी तहसील के छोटे से गांव जीवन्द खुर्द के छगनलाल सीरवी ने। जीवन्द खुर्द के बेरा नवोड़ा के किसान परिवार में जन्में श्री छगनलाल पुत्र श्री पैमाराम जी चोयल सीरवी का जीवन बचपन से सँघर्ष भरा रहा। अल्प आयु में छगनलाल जी की माताजी के स्वर्गवास होने के कारण पिताश्री पेमाराम जी चोयल ने बचपन को सँवारा। अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्राम जीवन्द खुर्द के ही उच्च प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त की। इसके बाद श्री छगनलाल जी ने अपनी बड़ी बहन के पास रहकर पाली में सेकंडरी उतीर्ण की। इसके बाद रोजगार पाने की लालसा में मुम्बई चल पड़े।
श्री छगनलाल जी के जीवन में बड़ा हादसा घटित हुआ जिसमें मुम्बई से मारवाड़ ट्रेन में आते समय हुए हादसे में दोनों पैर कट गये। इस दर्दनाक घटना ने छगनलाल जी के जीवन को झकझोर कर रख दिया। इसके बावजूद छगनलाल जी ने उम्मीदों के दामन को थामें हुए, घर पर रहकर स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में आपने 2013 में उच्च माध्यमिक परीक्षा उतीर्ण की। इसके बाद स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में 2016 में स्नातक एवं 2018 में स्नातकोत्तर परीक्षा उतीर्ण की।
अपने दिव्यांग होने के बावजूद जीवन में कुछ कर गुजरने का हौंसला रखते हुए श्री छगनलाल जी ने कड़ी मेहनत और लगन से वर्ष 2018 में आयोजित कनिष्ठ सहायक संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा उतीर्ण कर पिताश्री पेमाराम जी को सौगात प्रदान की। हाल ही में आपने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय केसुली में कनिष्ठ सहायक(LDC) के रूप में कार्यभार ग्रहण किया, इस अवसर जीवन्द खुर्द के सभी स्वजातीय बन्धुओं ने आपका गर्मजोशी से स्वागत कर मुँह मीठा करवाया।
सँघर्ष का सामना कर सफलता पाने वाले श्री छगनलाल जी सीरवी की उपलब्धि पर सम्पूर्ण सीरवी समाज गर्व करता है। दिव्यांग छगनलाल जी ने जो यह मुकाम प्राप्त किया, वो सभी युवा शक्ति के लिए प्रेरणा है। श्री छगनलाल जी सीरवी को सीरवी समाज सम्पूर्ण भारत डॉट कॉम परिवार की तरफ से हार्दिक बधाई देते हैं और माँ आईजी से श्री छगनलाल जी एवं उनके परिवार की उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।