आज अपना देश वैश्विक महामारी “कोरोना” की जंग से जुंझ रहा है और कोरोना वायरस की सेकंड स्टेज पर है।आज अपने देश में भी तेजी से कोरोना संक्रमित मरीजो की संख्या में वृद्धि हो रही है,कल ही सम्पूर्ण देश में 88 नए कोरोना संक्रमित मरीज जांच में पॉज़िटिव पाए गए।यह वृद्धि सम्पूर्ण राष्ट्र को चिंता में डालने जैसी है। हमारा देश इस वैश्विक महामारी “कोरोना” से तभी बचेगा,जब हर भारतीय “लॉकडाउन” की पालना ईमानदारी से करेंगा। “लॉकडाउन” इस महामारी के बचाव का ब्रह्मास्त्र है। यह आज की विषम परिस्थिति में हर भारतीय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत सरकार ने सम्पूर्ण देश को “लॉकडाउन” जैसा निर्णय लिया उसकी वजह सिर्फ और सिर्फ इस महामारी से होने वाली जनहानि से राष्ट्र को बचाना है। मानव जीवन में “जिंदगी” का क्या महत्व है।यह आप इस कहानी से समझ सकते है।
प्राचीन समय की बात है कि एक साधक ऋषिमुनि के आश्रम में गया और वहां जाकर उस ऋषिमुनि को दंडवत प्रणाम किया और ऋषि मुनि के पास बैठ गया।उसका यह सिलसिला निरन्तर जारी रहा ।एक दिन उस साधक ने जिज्ञाषावश पूंछा कि, “हे ऋषिमुनि जी! मुक्ति का मार्ग क्या है?”
ऋषिमुनि जी ने उस जिज्ञाषु साधक को कहा कि इसके लिए तुम्हे मेरे साथ एक दिन नदी पर चलना होगा। साधक ने तुरंत कहा कि,”गुरुवर, आज ही चले क्या!”
ऋषिमुनि जी ने अपना सिर हिलाकर हामी भर दी अर्थात अपनी सहमति दी।ऋषिमुनि और वह साधक दोनों नदी पर गए।ऋषिमुनि जी ने साधक को कहा कि, अब हम दोनों इस नदी में स्नान करेंगे। ऋषिमुनि जी ने साधक को अपने पास बुलाया जहाँ पानी गहरा था।साधक ऋषिमुनि जी के पास गया।ऋषिमुनि जी थोड़े मजबूत कदकाठी के थे।उन्होंने उस साधक के दोनों हाथ पकड़कर पानी में डुबाये रखा।साधक भी बड़ा मजबूत कदकाठी का और हष्ट-पुष्ट था। उसने अपनी सम्पूर्ण शक्ति से बाहर आने का जोर लगाया और वह बाहर आ गया।साधक ने बाहर आते ही ऋषिमुनि जी को भला-बुरा कहा कि,”क्या यह है आपके मुक्ति का तरीका? आप तो मुझे मार ही देते।” ऋषिमुनि जी ने उस साधक से कहा कि, “हाँ, यही है मुक्ति का तरीका।” साधक यह सुनकर शांत हुआ और गुरुवर से निवेदन किया कि ,गुरुवर कैसे?
ऋषिमुनि जी ने उस साधक से कहा कि,” तुम मेरी बात को ध्यान से सुनकर , उसे आत्मसात कर लोंगे तो तुम्हे भी मुक्ति मिल जाएगी और तुम जन्म-मरण से मुक्त हो जाओगे”
साधक ने गुरुवर से पुनः निवेदन किया कि, “गुरु जी ! अब आप मुझे बताइए मुक्ति का मार्ग क्या है?” गुरुवर ने कहा कि, “हे वत्स! जब मैंने तुम्हें पकड़कर नदी में डुबाया था तो तुम्हारा एक ही लक्ष्य था कि कैसे भी हो ,मैं अपने आपको बाहर निकाल लूं और बाहर आकर स्वास ले लूं और तुमने अपनी पूरी ताकत लगाकर ऐसा ही क्या? तुम्हारे सामने वे सब बातें कोई मायने नही रख रही थी,जो इस भौतिक जीवन में महत्व रखती है।तुम्हारा सिर्फ एक ही लक्ष्य था कि बाहर आना,बाहर आना।”
“यही मुक्ति का मार्ग है।” उस ऋषि मुनि जी ने साधक से कहा।
साधना कोई सहज मार्ग नही है।साधना के लिए ध्यान व एकाग्रता की जरूरत होती है। प्रभु से साक्षात्कार करने का एक मात्र लक्ष्य ही मुक्ति दिला सकता है। हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्रीमान नरेन्द्र मोदी जी का एकमात्र उद्देश्य यही है कि “अपने राष्ट्र भारत को इस कोरोना से संक्रमित होने से बचाना।” इसी एक मात्र लक्ष्य को लेकर उन्होंने राष्ट्र के आर्थिक नुकसान की परवाह किए बिना सम्पूर्ण राष्ट्र को “लॉकडाउन” करने जैसा इतना बड़ा निर्णय कर लिया।आज की वर्तमान परिस्थिति में हर हिंदुस्तानी को भी एकमात्र लक्ष्य “अपने आपको कोरोना वायरस से संक्रमित होने से बचाना है।” को लेकर अपना जीवन जीना है।यदि हर हिंदुस्तानी इस वैश्विक महामारी “कोरोना” से छिड़ी जंग में अपनी ईमानदारी व दिल की सच्चाई से “लॉकडाउन” की पालना में भूमिका निभा देंगे तो हम यह जंग जीत जायेंगे। यह कोई इतना कठिन कार्य नही है जो नही किया जा सकता है।मैंने अपने कल के आलेख में लिखा कि यह जंग अपने आपमें एक विचित्र जंग है,जिसमे किसी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र व सेना का प्रयोग नही है।इस विचित्र जंग में हर हिंदुस्तानी की संकल्पशक्ति व संयमशक्ति की आवश्यकता है।हर हिंदुस्तानी को एक अनुशासित सिपाई व राष्ट्रभक्त नागरिक बन “सोशल डिस्टनसिंग” की पालना करनी है।राष्ट्र के “लॉकडाउन” के नियमो की पालना शत प्रतिशत करनी है।” हम सब ऐसा करके ही कोरोना वायरस की चैन को तोड़ने में सक्षम हो जाएंगे और वैश्विक महामारी “कोरोना” की जंग में अपने महान राष्ट्र भारत को विजेता बना देंगे। हमारा यह नेक कार्य राष्ट्र को इस कोरोना महामारी से उभार देंगा।
को:- कोई भी।
रो:- रोड़ पर।
ना:- ना जाए।
कोरोना वायरस भी हम सबको यही कह रहा है,”जो मुझे बचेगा वह अपनी जिंदगी को बचा लेगा।”
अब प्रश्न उठता है कि क्या हमें अपनी जिंदगी से प्यार है?क्या हमें अपने परिवार जनों से प्यार है? क्या हमें अपने परेश व राष्ट्र से प्यार है?
जब आपको सभी से प्यार है तो फिर आप “सोशल डिस्टनसिंग” की पालना करो ना।
आप इतने समझदार हो,समझदार को समझाने की क्या जरूरत है। आप अपने आपको और अपने परिवार जनों को संक्रमित होने बचाने के लिए “लॉकडाउन” को दिल से अपनाए।राष्ट्र को संक्रमित होने से बचाने में अपने शत प्रतिशत योगदान देकर सच्चे भारतीय नागरिक होने का अपना फर्ज अदा करे।
आइये आप और हम सब पूर्ण ईमानदारी व दिल की सच्चाई से एक साधक बन “सोशल डिस्टनसिंग” की पालना करे।केंद्र व प्रदेश सरकार की एडवाइजरी की पालना करे और “लॉकडाउन” को सफल बनाने में अपना सर्वश्रेष्ठ कर्तव्यकर्म करे।
आप सभी के उज्ज्वल व निरोगमय जीवन की अनेकानेक शुभकामनाये।
आपका अपना
हीराराम चौधरी,सोनाई मांझी
अध्यापक
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,सोडावास (पाली)
संपादक
श्री आई ज्योति त्रैमासिक हिन्दी पत्रिका।
(श्री आईजी विद्यापीठ संस्थान, जवाली)