जहा स्वंय पढे वही शिक्षक बनकर शिक्षा दे रहे हैं गांव धुलेट के रवीन्द्र लछेटा

विनोद सिर्वी धुलेट। हम बात कर रहे हैं एक ऐसे व्यक्ति की जिन्होंने अपने शिक्षक के शब्दों को मन मे में रखा और कड़ी मेहनत कर स्वयं शिक्षक बन कर जहा स्वंय पढे वही शिक्षक बनकर शिक्षा दे रहे हैं। गांव धुलेट के रवीन्द्र लछेटा

गांव धुलेट में 4 फरवरी 1988 को मांगीलाल लछेटा के घर जन्मे रवींद्र लछेटा। प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में ली। कक्षा 1-5 तक गांव के सरकारी स्कूल मे पढे । उस समय रवींद्र स्कूल में मस्ती तथा शिक्षकों की बातें नहीं मानने के कारण कई बार स्कूल से शिक्षकों ने रवीन्द्र के माता पिता से शिकायत की। बहुत बार समझाने के बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आए। स्कूल के शिक्षक उन्हें कहते थे। तुम कुछ नही कर पाओगे । कई बार शिकायत मिलने के बाद रवींद्र के पिता ने उनका एडमिशन मोहनखेडा स्कूल में करवा दिया। सहपाठी जब भी मिलते थे। तो कहते थे कि तुझे तो स्कूल से निकाल दिया है। दुसरी स्कूल में इसी तरह रहेगा तो और निकाल देंगे। तब रवीन्द्र ने कुछ कर दिखाने की ठानी और कक्षा दसवी मे फर्स्ट डिविजन पास कर विज्ञान संकाय लेकर 12 कक्षा भी फर्स्ट डिविजन से पास की। और धार पिजी कालेज से विज्ञान संकाय से बिएससी फर्स्ट डिविजन पास कर 2013 एम एस सी कर उसी वर्ष शिक्षा विभाग में उनकी नोकरी लग गई और आज धुलेट के हि सरकारी स्कूल में शिक्षा दे रहे हैं। तथा समय समय पर गांव के बच्चों का मार्गदर्शन करते हैं। रवींद्र सर से पढ़ कर व मार्गदर्शन लेकर आज बच्चे एमबीबीएस, तथा इंजीनियरिंग कर रहे हैं। रवींद्र सर ने बताया कि मेरे अंदर हमेशा शिक्षक द्वारा कहीं गई बात याद आती थी कि तुम कुछ नहीं कर पाओगे ।

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