गणगौर पर्व के गीतो से क्षेत्र सहित नगर कुक्षी मे छाया उल्लास प्रतिदिन लाई जा रही श्रंगारित फुल पाती

  1.  कुक्षी । नगर सहित क्षैत्र में इस समय गणगौर पर्व का उत्साहभरा वातावरण बना हुआ है। पर्व के अन्तर्गत माता की बाड़ी में ज्वारे बोये गये है। तथा वहा पर प्रतिदिन भक्ती भाव का दौर चलने के साथ जल सिंचन एवं धुप ध्यान किया जा रहा है। यह क्रम चैत्र कृष्ण एकादषी से चैत्र सुदी छठ तक निरंतर चलेगा। महिलाओं द्वारा गणगौर गीत’’रनुबाई-रनुबाई खोलो किवाड़ो, बाहर उबा म्हे पूजन वाला ’’जवरा-ज्वारा माता कंकुरा क्यारा, जव म्हारा लेरा लेहराया। ’’झमरालीया रो घर म्हारी माता, नेड़ो बसे के दुर ओ’ ’’हंस-हंस पूछे दिवाणजी वात, कण ने वाया माता रा जाग। ’’घाटी चड़ी न हव हारी म्हारी चंदा’’ आदि से घर मोहल्लो को गुंजायमान बना दिया गया है।

*बालिकाओं द्वारा लाई जा रही प्रतिदिन श्रृंगारित पातियॉं ।*

गणगौर पर्व के दौरान सिर्वी समाज सकल पंचो के नेतृत्व मे समाज की बालिकाओं व महिलाओं के द्वारा जवाहर चौक से प्रतिदिन फुल तथा पत्तियों से श्रृंगारित पातियॉं चल समारोह के साथ लाई जा रही है। बालिकाएँ अपनी सखी सहेलियो के साथ बाग बगीचे व विशेष स्थान से ढोल व तासे के साथ फुल व पात्तियॉ से सुसज्जीत कलश को लकड़ी के बाजोट पर रख सिर पर धारण कर पाँतिया लाती है। तथा महिलाएॅ रात्रि के समय माता की बाड़ी में झालरिये गाकर धानी, पतासे व बेर की प्रसादी का वितरण करती जिसे तम्बोल कहा जाता है। 8 अप्रेल को अंतिम बड़ी पाती के दिन बालिकाओं के द्वारा दुल्हा -दुल्हन बनकर विशष श्रृंगारित पातियॉं लाई जाती है । इस मनमोहक दृश्य को देखने नगर में भारी भीड़ उमड़ती है।

*गुड़ी पड़वा को लाये जायेंगे गुलले*

पर्व के दौरान नव वर्ष गुड़ी पड़वा के दिन रात्री मे 8 बजे सिर्वी समाज की महिलाओं द्वारा नगर के जवाहर चौक से मिट्टी के गुड़लो का पूजन कर उसमे दीप जलाकर अपने सिर पर धारण करते हुए चल समारोह के साथ घरों पर लै जाया जायेगा। जो की विवाह परम्परा का एक हिस्सा होता हे और यह गणगौर पर्व भी शिव पार्वती के विवाह का ही प्रतीक पर्व है। महीलायें इसमे बढ़ चढ़ कर अपनी भागीदारी निभाती है।

*अखण्ड सौभाग्य व सुख समृद्धि का प्रतिक*

अखण्ड सौभाग्य व सुख समृद्धि का प्रतीक पर्व गणगौर राजा धनियार व रणुमा के गृहस्थ प्रेम एवं शिव पार्वती के पूजन आराधना से जुड़ा हुआ आस्था के अनेक रंगो का प्रतीक पर्व है । इस पर्व पर जहॉ विवाहीत महिलाये अपने पति की लम्बी उम्र व परिवार की सुख सम्द्वि की कामनाऐ करती है वही कन्याओ के योग्य वर की प्राप्ति के लिये गौरी माता की आराधना करती है ।

न्यूज़ अपडेट कर्ता – मनोह सीरवी काग ( कुक्षी )

प्रतिनिधि – सीरवी समाज सम्पूर्ण भारत डाॅट काॅम

 

 

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