गणगौरी तीज को विशाल शोभायात्रा के साथ गणगौर की 200 काष्ठ प्रतिमाओ का चल समारोह पहुँचेगा माता की मुख्य बाड़ी मे ज्वारों को लेने
कुक्षी – नवरात्रों के तीसरे दिन यानी की चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तीज को गणगौर माता याने की माँ पार्वती की पूजा की जाती है|पार्वती के अवतार के रूप में गणगौर माता व भगवान शंकर के अवतार के रूप में ईशर जी की पूजा की जाती है।प्राचीन समय में पार्वती ने शंकर भगवान को पती ( वर) रूप में पाने के लिए व्रत और तपस्या की | शंकर भगवान तपस्या से प्रसन्न हो गए और वरदान माँगने के लिए कहा | पार्वती ने उन्हें वर रूप में पाने की इच्छा जाहिर की | पार्वती की मनोकामना पूरी हुई और उनसे शादी हो गयी । बस उसी दिन से कुंवारी लड़कियां मन इच्छित वर पाने के लिए ईशर और गणगौर की पूजा करती है | सुहागिन स्त्री पति की लम्बी आयु के लिए पूजा करती है |गणगौर की पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि से आरम्भ की जाती है
गणगौरी तीज को माता की मुख्य बाड़ी धान मण्डी मे ज्वारों के दर्शन ,पूजा अर्चना आदि की जाती है। बाड़ी में पूजन करने वालों की कतार प्रातः 4 बजे से ही लग जाती है । ज्वारों पर पूजा आदि के पचात वस्त्र चढाया जाता है तथा नेवैद्य आदि के साथ नारियल आदि की प्रसादी बांटी जाती है । प्राचीन मान्यता है कि माता की बाड़ी में उल्टा स्वस्तिक बनाने तथा मन्नतपूरी होने पर यहां यथाक्ति मन्नत अनुसार चढावा चढाकर सीधा स्वस्तिक बनाने से परिवार में सुख ,समृद्धि और वैभव की वृद्धि होती है । इस अवसर पर स्त्री या पुरूष के शरीर में देवी शक्ति प्रकट होती है । तथा जिन पूरूष स्त्रियों मे शक्ति प्रकट होती है उन्हे माता आना या झाड़ कहा जाता है ।
पर्व के दौरान नगर व आसपास के अंचल में खुशनुमा वातावरण के साथ भक्ती रस का भाव दिखाई देता है।
इन स्थानों पर बोई है माता की बाड़ी –
नगर में माता की मुख्य बाड़ी धान मण्डी मंगलवारिया -सोनी मोहल्ला में बोई जाती है । इसी के साथ दशा वैष्णव पोरवाड़ समाज की माता की बाड़ी रणछौड़राय मन्दिर में बोई जाती है एवं गजानन्दजी त्रिवेदी के यहॉ व सावरिया मंदीर में भी माता की बाड़ी बोई जाती है । इन स्थानों पर पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती हे।
गणगौर की 200 काष्ठ प्रतिमाओ का चल समारोह पहुँचेगा माता के ज्वारे लेने
सिर्वी समाज सकल पंच व समाज अध्यक्ष कान्तिलाल गेहलोत ने बताया कि ज्वारो को अपने अपने घरें में लाने हेतु गणगौर की 200 काष्ठ प्रतिमाओ का विशाल चल समारोह नगर के प्रमुख मार्गो से होता हुआ नगर की मुख्य बाडी धान मंडी मंगलवारियॉ में पहुंचता है और ज्वारों को रथ में या बॉस की नविन टोंकरियों में रख कर पूजा, आरती करके माता के ज्वारो व रथो को सिर पर रखकर बड़ी श्रद्धाभाव से अपने अपने घर ले जाया जाता है । घरों पर प्रसादी भोग लगाकर माता का पूजन किया जाता है । रात्रि में सभी रथो को नगर के मध्य स्थित जवाहर चौक में एकत्रित कर पानी पिलाया जाता है चार दिवसीय यह कार्यक्रम पहले दिन आई माता मंदिर प्रागंण में व दूसरे दिन बड़ी हथई तीसरे दिन पुनः आई माता मंदिर में और अंतिम दिन छोटी हथई में आयोजित होता हे। इस बार बुधवार आने से 11अप्रेल गुरुवार को माता की बिदाई होगी एवं इसी दिन शाम 7 बजे जवाहर चौक मे ढोल की धुन पर गणगौर की प्रतिमा लिए महिलाएॅं नृत्य करती है । जिसे देखने क्षेत्र के भारी संख्या में लोग एकत्रित होते है । इस प्रकार नगर में गणगौर महोत्सव के दौरान मैले के तरफ भीड़ भाड़ एवं धूम धाम रहती है ।
पर्व पर नगर पंचायत द्वारा भी विशेष सफाई तथा लाइटिंग आदि की व्यवस्था की जाती है । इस त्यौहार में बच्चे,बुढे, महिला, पुरूष सभी वर्ग के लोग उत्साह के साथ विशेष अपनी पोशाख धोती,कुर्ता व साफा आदि पहनते है ।
न्यूज़ :कांतिलाल काग,कुक्षी
प्रेषक प्रतिनिधि : मनोज सीरवी काग कुक्षी
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