मुम्बई- फसलो के लिए हानिकारक एवं मच्छर समान कई अन्य रोगजनक कीट-पतंगों का अपने भोजन स्वरूप सफाया कर किसानों को आर्थिक एवं आमजन को स्वास्थ्य सहायता पहुंचाते हुए पर्यावरण संतुलन में अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली पर्यावरण एवं किसान मित्र वन्यजीव चमगादड़ों को विगत दिनों अपने देश के कई टेलीविजन समाचार चैनलों एवं समाचार पत्रो द्वारा कोरोना (कोविड – 19) महामारी की उत्पत्ति एवं मनुष्य में सर्वप्रथम संक्रमण अथवा फैलाव के लिए जिम्मेवार बताया गया था। इस वजह से देश के कई इलाकों में स्थानीय लोगों द्वारा भयभीत होकर चमगादड़ों को उनके रहवासी बसेरो पर आगजनी, पत्थरबाजी एवं अन्य अमानवीय तरीकों से हमला कर दूर भगाने के प्रयास में मौत के घाट उतारे जाने की घटनाएं लगातार सामने आ रही है।
जबकि मुंबई स्थित “इंडियन बेट कंजर्वेशन फाउंडेशन” से संबंधित वन्यजीव वैज्ञानिक एवं देश के अग्रणी चमगादड़ विशेषज्ञों में से एक डाॅ. के. आर. सेणचा के अनुसार इस संबंध में अभी तक कोई भी पुख्ता वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है जिससे यह सिद्ध होता हो की कोरोना (कोविड-19) महामारी की उत्पत्ति एवं मनुष्य में सर्वप्रथम संक्रमण अथवा फैलाव के लिए पर्यावरण एवं किसान मित्र चमगादड़े जिम्मेवार है।
डॉ. सेणचा बताते हैं कि संपूर्ण विश्व से दर्ज की गई कुल 1450 से अधिक चमगादड़ प्रजातियों में से 128 प्रकार की भारत में पाई जाती है। खानपान की दृष्टि से विश्व की कुल 1450 से अधिक चमगादड़ प्रजातियों में से लगभग 19% फलखोर (फल, फूल, पत्तियां खाने एवं मकरंद पीने वाली) यानी शाकाहारी प्रवृत्ति की है और वहीं शेष 80% कीटखोर व अन्य 1% में से अधिकतर मछलीखोर जबकि केवल 3 प्रजातियां खून-पीशाच (केवल अमेरिका में पाई गई है) यानी मांसाहारी प्रवृत्ति की है। वहीं भारत में पाई गई कुल 128 प्रकार की चमगादड़ प्रजातियों में से 19 फलखोर यानी शाकाहारी प्रवृत्ति की है जबकि शेष 109 कीटखोर यानी मांसाहारी प्रवृत्ति की है।
गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, द्वारका, नई दिल्ली के यूनिवर्सिटी स्कूल आफ एनवायरमेंट मैनेजमेंट में कार्यरत सहायक आचार्य एवं वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ सुमित डुकिया के अनुसार स्वभाव से शांत एवं एकांत में निवास पसंद वन्यजीव चमगादड़े पर्यावरण सुरक्षा, पारिस्थितिकीय संतुलन, किसान द्वारा बोई गई फसलों एवं मानव स्वास्थ्य के लिए रोगजनक एवं नुकसानदायक मच्छर समान अन्य कई प्रकार के कीट-पतंगों के जैविक नियंत्रण, 500 से अधिक प्रजातियों के पेड़-पौधों में परागीकरण रूपी आवश्यक प्रजनन क्रिया एवं बीज विकिरण के माध्यम से फल-फसल पैदावार एवं वनीकरण में न केवल अप्रत्याशित योगदान के माध्यम से अतिमहत्वपूर्ण भूमिका निभाती है बल्कि चमगादड़ों का अपशिष्ट बहुत ही उत्तम किस्म का जैविक उर्वरक है। अतः हमें “कोविड-19” वैश्विक महामारी की उत्पत्ति एवं फैलाव अथवा संक्रमण संबंध में पर्यावरण एवं किसान मित्र चमकादड़ों को लेकर लोगों के बीच फैले भ्रम और पूर्व में प्रचलित अन्य मिथ्या धारणाओं तथा भ्रांतियों को एक जनजागृति अभियान के माध्यम से यथाशीघ्र मिटाकर उनकी सुरक्षा एवं संरक्षण सुनिश्चित करने का मानवीय प्रयास करना चाहिए
प्रेषक:- नारायणलाल सैणचा बेंगलूर