सशक्त नारी, सशक्त समाज यों ही देश री प्रगति रों आधार
खम्मा घणी सा हुकुम आज बात कर रियाँ हाँ नारी शक्ति री जो सदियों सूं समाज में एक खास भूमिका निभावती आ रही है। वा सृजन री जननी है, प्रेम और संवेदना री मूरत है, और जरूरत पड़े तो नारी शक्ति और संघर्ष रो प्रतीक भी बण जावें। आज री आधुनिक नारी खुद री क्षमता रे बलबूते हर क्षेत्र में आपरी प्रतिभा रो लोहो मनवा रही है।
महिला शक्ति केवल शारीरिक बल तक सीमित नहीं है, बल्कि मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक शक्ति भी कूट कूट ने भरयोड़ी हैं। एक माँ रे रूप में वा परिवार ने संजोयें, एक शिक्षिका रे रूप में समाज को दिशा देवे, और एक नेता के रूप में बदलाव रा नया सूत्र भी पिरावे ।
कोई भी समाज में महिलाओं री वास्तविक शक्ति विनी शिक्षा और ज्ञान में रहवें। जण एक महिला शिक्षित हुवे, तो वा न केवल खुद रो जीवन सुधारें बल्कि अपणे परिवार और समाज ने भी उन्नति री राह पर ले जावे।
हुकुम आज नारीयाँ विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, राजनीति और खेल जैड़ा क्षेत्रों में अपणी जगह बणा रही हैं और उद्यमिता, स्टार्टअप और कई व्यवसायों में सफलता प्राप्त कर रही हैं। आज री नारी न केवल आत्मनिर्भर बण रही हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र री अर्थव्यवस्था में भी योगदान दे रही हैं।
अगर इतिहास पलट ने देखा नारी शक्ति ने हमेशा सामाजिक सुधारों में आपरी अहम भूमिका निभाई है। चाहे वा स्वाधीनता संग्राम में झांसी री रानी लक्ष्मीबाई हों, या आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन लावण वाळी किरण बेदी और कल्पना चावला जैड़ी महिलाएँ, या सभी प्रेरणा री स्रोत रही हैं। आज री नारी घरेलू हिंसा, दहेज प्रथा, शिक्षा और लैंगिक समानता रे मुद्दों पर अपणी आवाज़ बुलंद कर रही हैं।
आज आवश्यकता इण बात री है कि सब वाणि क्षमता ने पहचाणों, उन्हें समान अवसर देवों और उने योगदान ने सराहो ।
‘सशक्त नारी, सशक्त समाज यों ही देश री प्रगति रों आधार ।’
प्रस्तुति : मनोहर सीरवी
पूर्व सम्पादक : सीरवी समाज सम्पूर्ण भारत डॉट कॉम