सीरवी समाज की अनगिनत अच्छाइयां है जो सबसे जुदा और अन्य समाजो की अपेक्षा अलग, थलग देखने को मिलती है।।सर्व प्रथम में बताना चाहूंगा कि सीरवी समाज की बुनियाद वर्षो से एक दूसरे व्यक्ति के विस्वास और भाई चारे पर टिकी हुई है , और मेहनत को प्रथम पात्रता देकर अति शीघ्र अपने मंजिल की और आगे बढ़ने वाली अगर कोई समाज है तो वह सीरवी समाज है जो अन्य समाजो से अलग है ।। धन कमाते समय धर्म को साथ मे रखकर व्यापार करते है ,इसीलिए सीरवी समाज प्रत्येक वर्ष अन्य समाजो की अपेक्षा सर्वाधिक दान पुण्य करके सबसे ज्यादा धार्मिक कार्यक्रमो का आयोजन करता है और जगत जननी अम्बापुर वाली आई माँ जो बिलाडा नगर को अपना पवित्र धाम बनाया ऐसी दयालु माँ के आशिर्वाद और धर्म गुरुओं कि महती प्रेरणा से कई मंदिर,गौ शालाये,धर्म शालाये, विद्यालय भवनों का निर्माण, प्याऊ, या अन्य परोपकारी कार्य जैसे बाद पीड़ितों की सहायता करना,अनाथ और गरीब बच्चों कि निः शुल्क पढ़ाई हेतु उनकी मदत करना,स्वच्छता अभियान में बढ़चढ़कर भाग लेना , नदियों को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए कई उपाय करना ,किसानों के हक की लड़ाई लड़ने हेतु सक्रियता की भूमिका निभाना,और भी कितने ही कार्य ऐसे है जो अन्य समाजो से अधिक अच्छाइयां हमारे समाज मे प्रत्यक्ष देखने को मिलती है ।।कला और कारीगरी में सीरवी समाज राजस्थान की अच्छाइयां सबसे अलग है ।संस्कृति और सभ्यता में भी समाज का नाम सर्वोपरि है।सभी भाषाओं में राजस्थानी भाषा मधुर और शुद्ध भाषा मानी जाती है जो प्रयोग करने के बाद सबके दिल को भाती है ।और भारतीय संस्कृति को धारण करने में सीरवी समाज ने सर्वोपरि भूमिका निभाई है।धोती, कुर्ता, और साफा जैसे पहनावे को सर्वाधिक पात्रता दी है तो हमारे सीरवी समाज ने दी है जो अन्य समाजो से बिल्कुल अलग थलग है । मेहनत और ईमानदारी से युक्त व्यवहार और एक दूसरे को मदत करके आगे बढ़ाने की परंपरा को आज भी कायम रखा है तभी हर जगह सीरवी समाज की दुकानों की संख्या सर्वाधिक है ।।दुकाने तो अन्य प्रांतों में अन्य समाजो की भी है परंतु सीरवी समाज की दुनाने सर्वाधिक देखने को मिल रही है ।। व्यापार करने का जो हुनर सीरवी समाज के पास है वह अन्यं समाजो के पास काम देखने को मिलता है। वर्तमान अनुपात में ढल कर व्यापार को आगे बढ़ाने में सीरवी समाज के लोग सकुशल और गुण सम्पन्न होते है । राजस्थान की पावन धरा पर जिस समाज के पूर्वजों ने जन्म लेकर व्यापार व्यवसाय को देश के हर कोने में स्थापित करके सब समाजो से आगे निकल कर अपना परचम लहराया है ,चाहे वह पूरब से लेकर पश्चिम के कोने तक हो या उत्तर से लेकर दक्षिण दिशा तक हर स्थान पर मारवाड़ी और राजस्थानी के नाम से सीरवी समाज की एक अलग थलग पेहचान है ,अतः हमारी समाज की मेहनत की तारीफ करते हुए अन्य समाज वाले भी कहते है कि जहा ना पहुचे बैलगाड़ी ,वहा पहुच जाता है मारवाड़ी ।।ऐसे सर्वगुण सम्पन्न मेरे सीरवी समाज पर मुझे गर्व है।।जय हो सीरवी समाज और आई पंथ री जय हो,जय हो ,जय हो बिलाडा धाम वाली श्री आई माताजी री ,जय हो ,जय हो धर्म गुरु देवजी और सभी सीरवी बंधुओ के माता ,पिता और मात्रा भूमि की ,जय हो,जय हो ।।
श्री बाबूलाल राठौर, पुजारी श्री आई माताजी वडेर पालघर, बोइसर, मुम्बई,,महाराष्ट्र ।। 09294874716
सीरवी समाज की अनगिनत अच्छाइयां है जो सबसे जुदा और अन्य समाजो की अपेक्षा अलग, थलग देखने को मिलती है, श्री बाबूलाल राठौर
