सीरवी समाज में शिक्षा और संगठन को लेकर विशेष प्रयास किए जा रहे हैं जो वन्दनीय है लेकिन उसका परिणाम धरातल पर विजन के अनुरूप दृष्टिगोचर नहीं हो रहे हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कि समाज में सही नैतृत्व का अभाव है और समाज के पास कार्ययोजना नहीं है। महापुरुषों ने कहा है कि,”बिना कार्य के योजना और योजना के बिना कार्य करना दोनों का परिणाम शून्य ही होता है।” यह सच्चाई है कि सीरवी समाज में शिक्षा और संगठन के प्रति किसी प्रकार की कार्ययोजना नहीं है। कार्ययोजना के अभाव से ही समाज के सामने ऐसे-ऐसे कारनामे सामने आ रहे हैं जिससे एक निष्ठावान व समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता को ठेस पहुँचती है लेकिन वह भी उसे चुप रहकर सहन करता है कि -छोड़ो जो भी होगा समाजहित में ही होगा। एक छोटे-से सामाजिक सेवार्थी होने के नाते मैं अपने अनुभव से यह बात लिख रहा हूँ कि -सीरवी समाज के शिक्षा और संगठनात्मक ढाँचे को सुदृढ़ करना है तो समाज का एक शीर्ष संगठन चाहे वह सीरवी महासभा हो या सीरवी नवयुवक मंडल उसे सर्वोच्च शक्तियां प्रदान करनी होगी जिसके लिए समाजहित सर्वोपरि हो।उस संगठन की सम्पूर्ण कार्यकारिणी गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़ी हुई हो। उस संगठन की समाज को शिक्षा,संगठन और सामाजिक परम्पराओ के निर्वाहन की एक कार्ययोजना बनाई जाय और उस योजना के अनुरूप धरातल पर कार्य हो तभी समाज में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा। वह समाज तेज कदमों से आगे बढ़ता है जो अपनी कार्ययोजना के अनुरूप कार्य करता हो।
आज हमें समाज पटल पर जो कुछ भी विवाद सुनने या सोशल मीडिया पर पढ़ने को मिलता है यह समाजहित में नहीं है। छोटे-मोटे विवाद हर संस्था में देखने को मिल रहा है उसकी वजह है कि कुछ लोग बड़े ही हठधर्मी प्रवृत्ति के होते है जिनके लिए समाज सर्वोपरि न होकर अपना निजी एजेंडा सर्वोपरि रहता है। वे एकला चलो की नीति से कार्य करते है।यह वास्तविकता है। ऐसे लोगों को नियंत्रित करने के लिए समाज के शीर्ष संगठन को मजबूत करना नितांत आवश्यक है। जिन समाजों ने अपने संगठन को मजबूती प्रदान की उनका विजन धरातल पर पूर्ण होते नजर आ रहे हैं। सीरवी समाज में यही एक सबसे बड़ी कमी है।इस कमी का निवारण बहुत ही जरूरी है।सीरवी समाज के शिक्षा और संगठनात्मक ढाँचे को सुदृढ़ किए बिना हम अपने विजन-मिशन को मुकाम नहीं दिला सकते है।सीरवी समाज के शीर्ष संगठनो को मिलबैठकर आत्मचिंतन करने की जरूरत है। यह कार्य जल्दी से जल्दी हो इसी में समाज का हित है।
कहते है कि:-” बिखरी हुई बूंदे ओस की तरह उड़ जाती है।
वही बूंदे एक साथ बरसकर सागर को भर जाती है।”
समाज को एकात्मक रूप से मजबूत होना अति आवश्यक है। सीरवी समाज हर दृष्टि से सक्षम है जो कमजोर कड़ी है वह उसके संगठन में है।उस संगठन को मजबूत करें।”एक साधे ,सब सधे” से हम सब मिलकर समाज को प्रगति की बुलंदियों पर स्थापित करने में सफल हो जायेगे।
सीरवी समाज के समस्त श्रेष्ठ वन्दनीय महानुभावों से विनम्र विनती है कि समाजहित में मेरे विचारों पर आत्मचिंतन जरूर करे और खुलकर अपने विचारों का आदान-प्रदान करे।
विचारों के मंथन से ही समाजहित का नवनीत निकलेगा जिससे समाज का भला ही भला होगा।
आप सभी श्रेष्ठजनों को मेरा सादर वन्दन-अभिनंदन सा।
आपका अपना
हीराराम गेहलोत
सचिव
श्री आईजी विद्यापीठ जवाली(पाली)
शिक्षा,संगठन और सामाजिक कार्ययोजना
