सादर नमस्कार
मां आईजी के सभी भक्तों ,आईपंथी अनुयायियों को मां आईजी के 609 वें अवतरण दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
प्रति वर्ष की भांति इस बार भी विभिन्न स्थानों पर मां आईजी के दरबार बडेरों (मंदिरों) में सभी अपने अपने श्रद्धा सामर्थ्य अनुसार मां आईजी के अवतरण दिवस यानी भादवी बीज महोत्सव को बड़ी धूमधाम से मना रहे हैं और मनाएंगे ।
कहीं कहीं शाम को भक्त पूर्ण भक्ति भाव के साथ भजनों से खुद को माताजी के चरणों में समर्पित करते हैं।कहीं भजनों के साथ नन्हे मुन्ने बालक बालिकाएं भी इस महोत्सव में अपनी नृत्य संगीत की कला से माताजी को मनाते हैं।कहा जाएं तो इस दो दिवसीय महोत्सव को मां आईजी के भक्त एक त्यौहार की तरह बड़े हर्षोल्लास से गाते नाचते हुए मनाते हैं।
खेती-बाड़ी से जुड़े हुए सिर्फ किसानी कौम कहलाने वाले आईपंथी बंधुओं ने आजकल के दौर में देखा जाए तो हर क्षेत्र में अपना नाम रोशन किया है चाहे व्यापार -व्यवसाय, शिक्षा और राजनैतिक जैसे हर क्षेत्र में उच्च मुकाम हासिल किया है।
लेकिन जब बात आती है धर्म की तो मेरा मानना है कि कहीं ना कहीं इसमें कमी हो रही है। हमारे पूर्वज किसानी कार्य करते थे उनके पास समय की कमी थी इस कारण माताजी ने उन्हें बहुत ही सरल और सहज नियम और सर्व साधारण भक्ति का मार्ग बताया।इन नियमों का जो परिवार पूर्णतः पालन करते हैं माताजी उनको सपरिवार खुशी से परिपूर्ण रखते हैं।आज हम तो मां आईजी और उनके नियमों पर पूर्ण विश्वास रखते हैं उन्हें मानते हैं लेकिन विशेषकर हम अपने बच्चों में ये विश्वास नहीं जगा पाएं हैं।
आजकल के बच्चे मंदिर में होने वाले कार्यक्रमों में भाग लेने उसे सुनने समझने से दूर भागने लगे हैं।(ये सबकी नहीं लेकिन कुछ जगहों पर जैसा मैंने देखा और सुना है उसकी बात कर रही हूं)
अतः मेरा आप सभी मां आईजी के भक्तों से विनम्र अनुरोध है कि आप अपने बच्चों को साथ बडेर ले जाएं माताजी के विशेष दिवस यानी चार बड़ी बीज, माताजी की बैल और उसके नियम, अखंड ज्योति और आई पंथ आदि की महत्ता बताएं। उनके मन में भक्ति रूपी ज्योति जगाएं।ये हमारा परम दायित्व बनता है।आशा करती हूं आप सभी मेरा निवेदन स्वीकार करेंगे।
धन्यवाद
भारती सीरवी
संपादक:– सीरवी समाज सम्पूर्ण भारत डॉट कॉम
सचिव:–महिला मण्डल सीरवी समाज शमसाबाद तेलंगाना
आज हम तो मां आईजी और उनके नियमों पर पूर्ण विश्वास रखते हैं उन्हें मानते हैं लेकिन विशेषकर हम अपने बच्चों में ये विश्वास नहीं जगा पाएं हैं।
