श्री आईमाता जी ने अपने भक्तों को धर्म व आध्यात्म के उत्तम नियम बताए जिन्हें हम श्री आईपंथ के सिद्धान्त या नियम कहते है।श्री आईमाता जी ने श्री आईपंथ के नियमों के प्रचार-प्रसार के लिए भेल(धर्म रथ) की शुभ शुरुआत की। आध्यात्मिक धर्म रथ ने समाज में धर्म, आध्यात्म और जीवन दर्शन की त्रिवेणी का समागम कराया। श्री आईमाता जी की भेल ने सीरवी समाज में सामाजिक समरसता और एकात्मकता को नई दिशा प्रदान की है। समाज में श्री आईपंथ के सिद्धांतों-नियमों का प्रचार-प्रसार हुआ और समाज के लोगों का धर्म व आध्यात्म से जुड़ाव बना रहा। श्री आईपंथ के सिद्वान्त-नियम शास्त्र सम्मत एव शाश्वत है। श्री आईपंथ के हर अनुयायी का यह दायित्व बनता है कि वह उसकी पालना करने का सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें। श्री आईपंथ के सिद्धान्तों पर चलने वाले व्यक्ति का जीवन धन्य हो जाता है।
समय की मांग है कि हम श्री आईमाता के भेल को श्री आईपंथ के सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार के साथ हमारी नव पीढ़ी को समाज की उत्पत्ति,आराध्य देवी श्री आईमाता जी का अवतरण,दीवान परम्परा,पीरोसा, जति, बाबा मंडली के इतिहास,समाज की श्रेष्ठ परम्पराएआस्था और विश्वास एवं
समाज के प्रसिद्घ धार्मिक स्थानों के बारे में अवगत कराएं।
श्री आईमाता जी के परम भक्त,उपासक,धर्म-आध्यात्म के ज्ञाता,निष्काम कर्मयोगी,सामाजिक सेवार्थी,कर्तव्यपरायण, उच्च मानवीय मूल्यों के धनी एव श्रेष्ठ शिक्षाविद परम आदरणीय श्रीमान दीपाराम जी काग ने अपने आपको एक वर्ष के लिए श्री आईमाता जी के भेल पर समर्पित कर जो अनुकरणीय उदाहरण दिया है उसकी प्रशंसा में शब्द की कम पड़ जाते है। समाज को धर्म व आध्यात्मिक जीवन दर्शन की शिक्षा देने की आपने जो पहल की है वह अविश्वसनीय,अकल्पनीय और अतुलनीय है। आपने विक्रम संवत २०८० के एक वर्ष के कार्यकाल को श्री आईमाता जी भेल के साथ रहकर सामान्य जीवन जी कर और अपने घर-परिवार से दूर रहकर जो सामाजिक हित मे त्याग और अर्पण किया है वह अति वन्दनीय व सराहनीय है। सच्चे अर्थों में आप श्रीमान जी ने श्री आईमाता जी भेल को धर्म रथ की सार्थकता को साकार करने की एक नवीन पहल व दिशा दी है। आपने श्री आईमाता जी भेल के साथ रहकर भेल के बँधावे की रस्म,पूजा-पाठ एवं श्री आईमाता जी का चालीसा का पाठ किया और प्रातः कालीन व संध्या कालीन श्री आईमाता जी आरती करना तथा रात्रि को समाज के लोगों को धर्म व आध्यात्म के बारे में जानकारी देना। आप श्रीमान जी ने अपनी मायण भाषा में सीरवी समाज की उत्पत्ति, श्री आईमाता जी का अवतरण,माताजी के चमत्कार,उपदेश, दीवान व पीरोसा के बारे में जानकारी,जति बाबा,श्री आईमाता के भेल,बाबा मंडली और मिढिया बैल के बारे में बहुत ही श्रेष्ठ जानकारियां दी।
मैं स्वयं अपने ग्राम सोनाई माँझी में आप श्रीमान जी के द्वारा दिए गए धर्म व आध्यात्म से परिपूर्ण जीवन दर्शन के उद्बोधन को सुनकर अभिभूत हो गया। आप जैसे श्रेष्ठ धर्म-आध्यात्म के ज्ञाता को हमारा कोटिशः वन्दन-अभिनंदन सा।👏👏
आप श्रीमान जी ने श्री आईमाता जी भेल के साथ रहकर धर्म व आध्यात्म के साथ नव पीढ़ी को जो उच्च मानवीय मूल्यों की शिक्षा दी है उससे निश्चित ही समाज को लाभ मिलेगा।आप श्रीमान ने न केवल समाज को धर्म व आध्यात्म का ज्ञान कराया बल्कि आपने उस हर ग्राम के इतिहास व उसकी वर्तमान प्रगति , राजकीय कर्मचारियों के साथ प्रवास में रह रहे समाजी बंधुजनों की जानकारी को भी लिपिबद्ध किया जो समाज के बहुत ही उपयोगी है। आप श्रीमान जी ने अपने सामाजिक दायित्व को बहुत ही नेक दरियादिली से निभाया है और आपने अपनी जीवन व कर्मशैली से हमारे समक्ष एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। हम सबका दायित्व बनता है कि हम भी समाजहित में त्याग व अर्पण करें। राजकीय सेवा से सेवानिवृत्त समाज के श्रेष्ठजनों से हमारी विनती है कि आदरणीय श्रीमान दीपाराम जी काग की तरह समाज में धर्म व आध्यात्म की सरिता के सतत प्रवाह के लिए आगे आए और समाज की युवा पीढ़ी को अपने ज्ञान ज्योति से आलोकित करने का परम पुनीत कर्तव्य कर्म करे।
हमें अगाध विश्वास है कि राजकीय सेवा से सेवानिवृत्त श्रेष्ठजन समाजहित में अपना त्याग और अर्पण जरूर करेंगे।
आप सभी श्रेष्ठ भक्तजनों को मेरा सादर प्रणाम सा।🙏🙏
आपका अपना
हीराराम गेहलोत
संपादक
श्री आई ज्योति पत्रिका।
श्री आईमाता जी भेल(धर्म रथ):-एक युगान्तकारी पहल
