तहसील मुख्यालय सुमेरपुर से लगभग 25 किमी दूर खीमेल, दूदवर, बीरामी और देवतरा पंचायत में आया हुआ छोटा सा गांव है *-वेनपुरा*।
छत्तीस कौम के लगभग 300 घर की बस्ती में सीरवी समाज के अलावा देवासी, राजपूत,भील, मेघवाल, घांची, कुम्हार, माली, लौहार, हाटिया, सरगरा और जोगी यहां पर बसे हुए हैं।
यहां पर सीरवी समाज के चार गौत्र के मात्र चौबीस घर है इन चार गौत्र में 18 गहलोत,03 काग,02 आगलेचा और एक सोलंकी है।
यहां पर सभी डोरा बंद है और विशेषकर प्रति बेरे 10 रुपये बेरे के अलग से जमा करवाते हैं आठ बेरों के अस्सी रुपए जमा कराए गये।
यहां पर श्री आई माताजी का बडेर पक्का बना हुआ है जो बहुत प्राचीन है जिसकी प्राण प्रतिष्ठा लगभग 1982 में जति मोती बाबा के कर कमलों से संपन्न हुई थी अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाई है।
यहां वर्तमान में कोटवाल श्री पकारामजी भीकाजी काग, जमादारी श्री खूमाराम जी मन्नाजी गहलोत एवं पुजारी श्री जगारामजी जीवाजी गहलोत अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं।
यहां से सरकारी सेवा और राजनीति में किसी ने खाता ही नहीं खोला है।
यहां से व्यापार व्यवसाय में मात्र दो नगर सूरत और मुम्बई में सीरवी बंधु अपने गांव का नाम रोशन कर रहे हैं।
यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में स्वर्गीय आशाराम जी नाथाजी गहलोत मुंबई, स्वर्गीय वजारामजी नाथाजी गहलोत मुम्बई गये उ।
ग्राम विकास के कार्य में यहां के सीरवी बंधुओं ने अपना नाम अंकित करवाया है जिनमें श्री आशारामजी नाथाजी गहलोत द्वारा धणा माताजी मंदिर पर कबूतरों का चबूतरा बनवाया एवं श्री रामलाल नाथाजी गहलोत द्वारा बूसी बालाजी के धर्मशाला में हौद बनवाया,आपके परिवार द्वारा ही श्री आई माताजी के बडेर हेतु निःशुल्क भूखंड भेंट किया गया।
दक्षिण भारत के बडेरों में पदाधिकारी रूप में अभी तक किसी ने कोई पद प्राप्त नहीं किया है।
वेनपुरा में हर दूसरे वर्ष भैल जाती है एक वर्ष बाबाजी जात प्राप्त कर लाते हैं।इस बार श्री प्रेमाराम जी लचेटा की कर्मभूमि अध्यापक जी को साथ लेकर वेनपुरा से सूचनाएं प्राप्त की ग्राम के सीरवी बंधुओं का अच्छा सहयोग मिला। यहां पर मेघवाल और सरगरा भी डोरा बंद है बडेर में आकर बेल प्राप्त करते हैं।
सीरवी समाज वेनपुरा के चंहुमुखी विकास एवं खुशहाली की मां श्री आईजी से कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।