उपखंड मुख्यालय, तहसील मुख्यालय और नगर पालिका मुख्यालय के रूप में पाली जिला मुख्यालय से 78 किमी दूर और फालना रेल्वे स्टेशन से 08 किलोमीटर दूर फालना सादड़ी मार्ग पर आया हुआ बड़ा कस्बा है- *बाली।*
बाली नगर अपने आसपास के गांव कोट बालियान, चामुण्डेरी,श्रीसेला,बोया, सेसली, पुनाड़िया और राडावा के मध्य आया हुआ है, बाली नगर में वैसे तो छत्तीस कौम के लोग रहते हैं पर चारण, गुर्जर, जाट और बंजारा यहां पर नहीं है छत्तीस कौम के इस नगर में 2011 की जनगणना अनुसार 29779 की जनसंख्या दर्ज की हुई है जिसमें 20% जनसंख्या सीरवी समाज की है, *सीरवी समाज के यहां पर लगभग 1500 घर है जिनमें सीरवी समाज की चौबीस गौत्र में से परमार,गहलोत, हाम्बड़, काग, लचेटा,सोलंकी,देवड़ा,बरफा, राठौड़,चोयल,भायल,मुलेवा, सेपटा, आगलेचा, सैणचा, सानपुरा और सिंदडा़ सहित सत्रह गौत्र के सीरवी यहां पर बसे हुए हैं।*
वर्तमान समय में *बाली नगर में तीन बडेर है जिन्हें जूनी बडेर,नवी बडेर और कागों की बडेर कहा जाता है*।
जूनी बडेर बाली के प्रसिद्ध किले के पास संकड़ी गली में स्थित है जहां की संकड़ी गलियों के कारण भैल को ले जाया जाना संभव नहीं होता है, पृथ्वीराज चौक,रंजन सराय बस स्टैंड बाली से प्रतिवर्ष श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल का बधावा प्रारंभ किया जाता है ऐसा बताया जाता है कि पहले के समय में श्री आईजी चौक में भैल आगमन पर भैल को यहां पर रोक कर ढोल के साथ जोत लेकर कोटवाल, जमादारी, पंच गण,बांडेरु एवं बाबाजी जूनी बडेर पधारते थे और यहां पर श्री आई माताजी को धोक देकर पुनः श्री आईजी चौक लौटते हैं और फिर गाजे-बाजे के साथ भैल नवी बडेर पहुंचती है।
*बाली में सीरवी समाज के घरों की संख्या भरपूर होने, आसपास के गांवों पूनाड़िया, मिरगेसर, सेवाड़ी, पातावा, बलवना, सेसली, श्रीसेला, चामुण्डेरी, दांतीवाड़ा और केरापुरा के सीरवी बंधुओं द्वारा यहां जात करवाने के कारण कड़ाके की ठंड में बाबा मंडली की पूरी सेवा के साथ इस जंक्शन स्टेशन पर लगभग 15 दिन का लम्बा ठहराव रहता था*।अब मिरगेसर और पातावा भैल जाने लग गई है तथा पाली जिले में और नये गांवों में भैल के बुलावे के कारण *इस बार ठहराव मात्र पांच दिन का रखा गया*, कोटवाल, जमादारी, पुजारी और जागरूक बन्धुओं की तत्परता से सम्पूर्ण जात का कार्यक्रम तय समय में सम्पन्न हुआ। इसके लिए सीरवी समाज बाली का हार्दिक अभिनन्दन।
यहां पर श्री आई माताजी मंदिर बडेर बाली की प्राण प्रतिष्ठा समारोह भी ऐतिहासिक एवं भव्य रहा था। श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल और परम पूज्य दीवान साहब श्री माधव सिंह जी के कर कमलों से *विक्रम संवत् २०७६ मिति माघ सुदी तेरस दिनांक 07 फरवरी 2020 को प्राण प्रतिष्ठा हर्षोल्लास से सम्पन्न हुई थी*।
यहां पर वर्तमान में *कोटवाल श्री नत्थारामजी नवाजी सोलंकी, जमादारी श्री कानाराम जी शेषाजी काग* पूर्ण आस्था और मनोयोग से सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं। जूनी बडेर बाली में पुजारी श्री ललित भारती गोस्वामी एवं इनकी पीढ़ियों से सेवा कर रहे हैं। *नवी बडेर बाली में श्री मांगीलाल जी समाराम जी देवड़ा* और कागों की बडेर में काग परिवार के भूदाराम जी शेषाजी काग के द्वारा सेवा पूजा की जा रही है। समाज सेवा हेतु बारह खूंटियां पंच एवं 53 एरिया पंच अपनी सेवा दे रहे हैं।
बाली सीरवी समाज की आबादी अनुसार बिलाड़ा के बाद सबसे बड़ी सीरवी आबाद नगर पालिका है शिक्षा का स्तर भी आसपास के क्षेत्र से काफी उच्च है इसलिए गोड़वाड़ क्षेत्र में सरकारी सेवा में सर्वाधिक आंकड़ा यहां पर हैं जो संलग्न सूची में दर्ज किया गया है –
*बाली नगरपालिका में भी सीरवी समाज अच्छी आबादी, शिक्षा तथा जागरुकता के फलस्वरूप पिछले पच्चीस साल से एक छत्र नगरपालिका के चेयरमैन पद को सुशोभित कर रहे हैं।*
सीरवी समाज का दक्षिण भारत में व्यापार व्यवसाय में फैलाव रहा है पर बाली सीरवी समाज के लिए बाली भी दक्षिण भारत के मुकाबले में कम नहीं है यहां पर सीरवी बंधु किराणा, मिठाई, मेडिकल,आप्टीशियन, कपड़ा, हार्डवेयर, इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रीकल,होम एप्लायंस, कम्प्यूटर, फोटो स्टूडियो,खाद बीज दवाई, प्रिंटिंग प्रेस, एग्रीकल्चर पाइप उद्योग,स्टील गोदाम, मार्बल, सेनेटरी, कृषि उपकरण यंत्र उद्योग, लेबोरेट्री, डेन्टल क्लिनिक, चश्मा लेन्स उद्योग, पेट्रोल पंप,गैस एजेंसी सहित कोई ऐसा व्यापार नहीं बचा है जो बाली में सीरवी बंधुओं के पास नहीं हो। *विशेष कर लाला धन्नाजी का हलवावाला और प्रेमजी मिठाई वालों की मिठाई (फीणी,काजू कतली,घेवर,गुलाब जामुन) गोड़वाड़ ही नहीं दक्षिण भारत में भी प्रसिद्ध रहा है, और युवा उद्यमी श्री बाबूलाल जी हाम्बड़ द्वारा फालना में स्थापित चश्मा लेन्स उद्योग पूरे भारतवर्ष में तीसरा उपक्रम है जो सीरवी समाज के लिए बड़े गौरव की बात है*। फिर भी बाजार में संख्यात्मक रुप से सीरवी समाज की भागीदारी अपेक्षा से कम है।
बाली के अलावा अन्य नगरों में रानी, फालना, अहमदाबाद सिहोर, बड़ौदा, सूरत,वापी,दमण, मुंबई, पुणे, नाशिक और बंगलौर में सीरवी बंधु अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं।
बाली से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में स्वर्गीय श्री मगाराम जी लकमाजी गहलोत मुंबई गये थे, स्वर्गीय श्री धन्नाराम जी नवाजी गहलोत भी मुम्बई और श्री रामलाल जी लालाजी चोयल बंगलौर गये थे।
दक्षिण भारत में बडेर संगठनों के पदाधिकारी में भी बाली आगे रहा है *श्री धन्नाराम जी हकाजी गहलोत कलम्बोली मुम्बई बडेर के अध्यक्ष हैं,आप सीरवी समाज छात्रावास उदयपुर के कोषाध्यक्ष है तथा सीरवी ज्ञान कोष शिक्षा सेवा संस्था के अध्यक्ष पद को सुशोभित कर रहे हैं। श्री रामलाल जी रताजी काग अखिल भारतीय सीरवी महासभा महाराष्ट्र प्रांत के सचिव पद को सुशोभित कर रहे हैं। श्री अचलारामजी (अशोक) अमराजी गहलोत तुर्भे नवी मुंबई बडेर के अध्यक्ष रहे, खारघर मुम्बई के पूर्व उपाध्यक्ष, पूर्व सचिव रहे आप वर्तमान में सीरवी आईजी युवा समिति बाली के अध्यक्ष पद पर आसीन है। श्री सुजाराम जी पेमाजी गहलोत वसई मुंबई राष्ट्रीय शिक्षा समिति के अध्यक्ष हैं। श्री नगराज जी ओटाजी खारघर मुम्बई गौशाला में प्रभारी का दायित्व निर्वहन कर रहे हैं। श्री पोमाराम जी पीथाजी परमार विरार मुम्बई बडेर के सचिव पद पर आसीन है श्री गमनाराम जी चेनाजी गहलोत बाली प्रवासी महाराष्ट्र प्रांत के अध्यक्ष पद पर सेवा दे रहे हैं। श्री राजाराम जी पूनाजी गहलोत सीरवी जागृति संस्था जवाली पाली के उपाध्यक्ष पद को सुशोभित कर रहे हैं।*
बाली में सन् 1996 में सामाजिक जागृति के लिए श्री *आईजी युवा समिति बाली* का गठन किया गया जिसके सर्वप्रथम अध्यक्ष नेनारामजी गहलोत को बनाया गया।श्री आईजी युवा समिति द्वारा पिछले अठ्ठाईस साल में शैक्षिक, धार्मिक एवं सामाजिक कार्य कर सराहनीय कार्य किया है।इस समिति द्वारा लगातार बारह वर्ष बाली से बिलाड़ा पैदल यात्रा की, नारलाई में गुरु पूर्णिमा पर्व मनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बाली में भादवी बीज का मेला शुरू करवाया, भादवी बीज के अवसर पर प्रतिभा सम्मान समारोह प्रारम्भ किया सीरवी जागृति संस्था की स्थापना में बाली का मुख्य योगदान रहा।
सीरवी समाज *श्री आई माताजी बडेर समिति बाली का गठन किया हुआ है जिसके वर्तमान अध्यक्ष श्री चेलाराम जी लूम्बाजी परमार, उपाध्यक्ष प्रथम श्री बाबूलाल जी उमाजी हाम्बड़, उपाध्यक्ष द्वितीय श्री उमाराम जी दरगाजी परमार, सचिव श्री राजाराम जी पूनाजी गहलोत तथा कोषाध्यक्ष पद पर श्री नेनारामजी खीमाजी काग अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं*।
बाली में सीरवी समाज की महिलाओं के *महिला मंडल* का भी सन् 2001 में गठन किया गया जिनका वर्तमान में नेतृत्व *श्रीमती तुलसी बाई धर्मपत्नी श्री गमनाराम जी परमार कर रही है* आपके साथ में श्रीमती गीता बाई घीसूलाल जी सोलंकी, श्रीमती पानी बाई स्वर्गीय जीवाजी गहलोत, श्रीमती गीता बाई घीसूलाल जी चोयल के अलावा श्रीमती ममता गहलोत, श्रीमती सुखी गहलोत, श्रीमती कमला परमार और श्रीमती कमला सीरवी कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग कर रहे हैं।
बाली के नाक रंजन सराय और नदी के बीच में *श्री जैकलजी* का प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर बना हुआ है जो मेवाड़ के महाराणा जी द्वारा निर्मित और प्राण प्रतिष्ठा करवा कर सीरवी समाज के परमार परिवार के तपस्वी संत की तपस्या से प्रसन्न होकर सीरवी समाज को सुपुर्द किया सीरवी समाज के सभी आयोजन यहां होते हैं। वर्तमान में पुजारी परमार परिवार के द्वारा ट्रस्ट बनाया गया है। इस मंदिर के साथ सड़क के दूसरी तरफ एक बीघा जमीन आई हुई है जिसका कब्जा भी सीरवी समाज द्वारा किया हुआ है।
बाली में ही हनुमान बालाजी का प्राचीन मंदिर है जिनकी स्थापना धामली से आये हुए गहलोत टापरजी पुत्र श्री रतनाजी एवं इनके परिवार द्वारा भव्य प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई जिसका उल्लेख रावजी की बही में भी है।
*बाली में श्री आई माताजी धर्म रथ भैल का बधावा प्रति वर्ष ऐतिहासिक रहता है भैल बधावे से पूर्व यहां पर और राडावा में भैलियों को झूल ओढ़ाई जाती है, बधावे में भैलियों के पाग,भैल के हागड़ी को भी पाग के स्थान पर साफ़ा बंधवा कर पग मंडणे बिछा कर ढोल थाली की थाप पर श्री आई माताजी की जय जयकार से आकाश गुंजायमान होता है*।इस बार पांच दिवसीय ठहराव में प्रतिदिन दिन में जात का कार्य और रात्रि में धर्म सभा और भजन संध्या का आयोजन किया गया एवं प्रतिदिन श्रद्धालु भक्तों ने पूर्ण आस्था प्रकट की पुनः *श्री आई माताजी धर्म रथ भैल की विदाई भी ऐतिहासिक रही।*
बाली के आसपास सेसली, श्रीसेला,चामुण्डेरी,दांतीवाड़ा और केरापुरा में भी सीरवी परिवार बसे हुए हैं जो श्री आई माताजी बडेर बाली से जुड़े हुए हैं इन गांवों में भी भैल का आगमन नहीं होता है ये परिवार बाली भैल आगमन पर बाली में आकर जात करवाते हैं इनका विवरण निम्नानुसार है –
*सेसली*- सेसली बाली से चार किमी की दूरी पर स्थित है जहां पर दो बेरों आकाश और काकड़ीवाला पर गहलोत और बरफा निवास कर रहे हैं जिनमें आकाश पर श्री चुन्नीलाल जी चेनाजी गहलोत का परिवार एवं काकड़ीवाला पर शेषाराम जी, पुखराज जी, मांगीलाल जी पुत्र श्री जीवाजी एवं केरारामजी, हकारामजी पुत्र श्री केसाजी बरफा का परिवार यहां निवास कर रहे हैं। बाली एवं आसपास के क्षेत्र में फोटो एवं वीडियोग्राफी के लिए मशहूर श्री आईजी स्टुडियो बाली श्री अमृत जी बरफा यहीं के निवासी हैं।
*श्रीसेला* – बाली से फालना मार्ग पर बाली से तीन किमी की दूरी पर स्थित श्रीसेला गांव में ही लचेटा और परमार परिवार निवास कर रहे हैं इनके बेरे नहीं है इनके नाम हैं – श्री देवाराम जी भगाजी लचेटा, हीरालाल जी भीमाराम जी उमाजी लचेटा, जगाराम जी मोटाराम जी मगाजी लचेटा और भगाराम जी मगाजी परमार।
*चामुंडेरी* – बाली से चार किमी दूर खीमेल मार्ग पर चामुण्डेरी में श्री कसाराम जी, सवाराम जी, देवाराम जी,मनाराम जी, हीराराम जी शेषाजी मुलेवा और इनका केवल मुलेवा परिवार गांव में ही निवास कर रहे हैं।
*दांतीवाड़ा* – बाली से आठ किमी दूर पांचलवाड़ा मार्ग पर स्थित दांतीवाड़ा में बेरों पर गहलोत, सोलंकी और हाम्बड़ निवास कर रहे हैं जिनमें श्री राजूराम जी शेषाजी गहलोत, श्री वेलारामजी फुआजी गहलोत, चुन्नीलाल जी पोमारामजी शेषाजी सोलंकी और नेनाराम जी चेलाजी हाम्बड़ और इनके परिवार यहां निवास कर रहे हैं।
*केरापुरा*- बाली से दांतीवाड़ा होते हुए कोट बालियान मार्ग पर स्थित केरापुरा गांव के बेरा लंगरों वाला पर परमार परिवार के पूनाराम जी, दरगाराम जी उमाराम जी पुत्र श्री सवाजी परमार और इनका परिवार यहां पर निवास कर रहे हैं।
कोटवाल जमादारी,सकल पंच गण, युवा, बुद्धिजीवी, मातृशक्ति एवं सम्पूर्ण सीरवी समाज द्वारा भैल के प्रति आपकी सेवा सराहनीय रही है बाली नगर के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की मां श्री आई से कामना करता हूं-दीपाराम काग गुड़िया।