तहसील मुख्यालय देसूरी से लगभग 18 किमी दूर वीरमपुरा माताजी, कोटड़ी, गुड़ा पृथ्वीराज, गुड़ा अखेराज, गुड़ा केशरसिंह, गुड़ा रुपसिंह, खारड़ा, किशनपुरा,आकड़ावास और गुड़ा मेहराम के मध्य चौहाणों की कुलदेवी आशापुरा माताजी के विख्यात पाट स्थान वाला वह गांव जहां सीरवी समाज के श्री गुमानिंग पीर के ऐतिहासिक स्थल के रूप में याद किया जाने वाला गांव है – *नाडोल*।
*छत्तीस कौम के लगभग 3500 घर की बड़ी बस्ती में मात्र चारण,जाट और जणवा नहीं है* बाकी सभी जातियों का यहां पर निवास है।
नाडोल में सीरवी समाज के लगभग 700 घर है जिनमें परिहारिया, गहलोत, सोलंकी, परिहार, परमार,काग, आगलेचा, चोयल, देवड़ा, लचेटा, भायल, सानपुरा, सैणचा,बरफा सहित कुल *14 गौत्र के सीरवी यहां पर बसे हुए हैं।*
श्री आई माताजी का मंदिर बडेर यहां पर बहुत पुराना है जिसकी प्राण प्रतिष्ठा लगभग 60 वर्ष पूर्व सम्पन्न हुई थी अतः समारोह की अधिक जानकारी इस समय किसी को नहीं है।
आई माताजी की बेल में गाये जाने वाले *गुमानिंग जी पीर* का यहां पर श्री आई माताजी बडेर से कुछ कदम की दूरी पर भव्य मंदिर बनाया गया है जिसमें एक तरफ उनकी माताश्री एवं दूसरी तरफ उनके साथ विवाह नहीं कर सकी पर उनके पीछे सती हुई गंगा खंडाली की प्रतिमा स्थापित है एवं सामने झूला रखा हुआ है। यहां पर ट्रस्ट बना हुआ है।
*श्री गुमानिंग पीर के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा दिनांक 02 जून 2010 जेठ बदी पांचम बुधवार को श्री आई माताजी धर्म रथ भैल और परम पूज्य दीवान साहब माधव सिंह जी* के कर कमलों से हर्षोल्लास से सम्पन्न हुई थी।
*नाडोल बडेर से दो कोटवाल एवं दो जमादारी चुने हुए हैं, वर्तमान में यहां पर श्री भानाराम जी भीकाजी परिहारिया एवं श्री रंगनाथ जी गोमाजी चोयल कोटवाल तथा श्री दौलाराम जी चमनाजी गहलोत एवं नेनारामजी केसाजी परिहारिया जमादारी पद पर पूर्ण निष्ठा एवं सादगी के साथ सेवा में समर्पित है जिनकी जितनी प्रशंसा की जाये उतनी कम है। इनके साथ व्यवस्थापक रुप में जल की बोतल वाली थैली हरदम हाथ में लेकर चलने वाले लालोबा परिहारिया भी दो दिन पूरी तरह से सेवा में लगे रहे*।
नाडोल से सरकारी सेवा में श्री पुखराज जी पीथारामजी सोलंकी सेवानिवृत वरिष्ठ अध्यापक है, श्री कानाराम जी मोतीजी परिहारिया कार्यालय अध्यक्ष पद से सेवानिवृत है। *डॉक्टर श्री मांगीलाल जी मगाजी परिहार एवं आपकी धर्मपत्नी डाॅक्टर श्रीमती रेखा मांगीलाल जी परिहार बांगड़ चिकित्सालय पाली में अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं*, श्री गजाराम जी रामाजी परिहार कम्पाउन्डर रुप में जोधपुर में सेवा दे रहे हैं, श्री भीकाराम जी कानाजी परिहारिया नेत्र विभाग बांगड़ चिकित्सालय पाली में सेवा दे रहे हैं। *श्री लक्ष्मणराम जी चूनाजी परिहार रानी में नायब तहसीलदार* के पद पर कार्यरत हैं, श्री अचलारामजी मूलाजी सोलंकी देवली पाबूजी में अध्यापक, श्री कन्हैयालाल जी ताराचंद जी सोलंकी नाडोल में पुस्तकालयाध्यक्ष, श्री हेमाराम जी गजाजी परिहारिया आना में अध्यापक, श्री मोहनलाल जी ओगड़जी गहलोत किशनपुरा में वरिष्ठ अध्यापक, श्री रमेश जी हंसाजी गहलोत अध्यापक एवं श्री पेमारामजी चेनाराम जी परिहार विद्युत विभाग रानी में बाबू है।
नाडोल की राजनीति में *श्री पुखराज जी पीथारामजी सोलंकी सेवानिवृत्ति बाद सरपंच रहे*, श्री मूलारामजी डूंगाजी परिहारिया नाडोल के प्रथम सीरवी उप सरपंच रहे। श्री वेलारामजी गमनाजी सैणचा उप सरपंच रहे एवं श्री रुपारामजी चूनाजी परिहारिया भी उप सरपंच रहे आप वर्तमान में भाजपा नाडोल इकाई के अध्यक्ष पद पर अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं। श्री धन्नाराम जी मगाजी गहलोत नाडोल कोपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष पद पर सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। श्री भूराराम जी केनाजी गहलोत हिन्दू जागरण मंच जोधपुर की प्रान्तीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं।
नाडोल से व्यापार व्यवसाय हेतु अहमदाबाद, सूरत, मुंबई, पुणे, हैदराबाद, बेंगलुरु, चैन्नई और कोयम्बतूर में सीरवी बंधु सफलतम रूप से आगे बढ़ रहे हैं।
यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में श्री पकारामजी चमनाजी चोयल मुंबई, भूराराम जी मगाजी गहलोत चैन्नई, जगारामजी उदाजी सोलंकी, पोमाराम जी अचलाजी परिहारिया पूना और ओगड़राम जी देवाजी गहलोत कोयम्बतूर गये।
नाडोल में ग्राम विकास कार्य में श्री घीसाराम जी कूपाजी लचेटा द्वारा गोगाजी महाराज के मंदिर और हाल का निर्माण करवाया गया,आप द्वारा ही कबूतरों के दो चबूतरे भी बनवाये गये। देवाराम जी वेलाजी गहलोत ने गुमानिंग पीर मंदिर के सामने मुख्य द्वार का निर्माण करवाया। जगाराम जी उदाजी सोलंकी और पुखराजजी चमनाजी चोयल द्वारा सीरवी जागृति संस्थान पाली का नाडोल में प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित करवाया। श्री पुखराज जी चमनाजी चोयल द्वारा बायोंसा भटियाणी जी माजीसा के मुख्य द्वार का निर्माण करवाया गया।
नाडोल में गुमानिंग जी पीर की छतरी के साथ हनुमान बालाजी मंदिर पर पूजा करने वाले *परिहारिया “बाबा”* कहलाते हैं और ये श्री आई माताजी की जात भी नहीं करवाते हैं अभी इनके लगभग 20 परिवार है एवं श्री दल्ला बाबाजी अभी पुजारी हैं।
यहां के *श्री लखमो बा गियावत लचेटा जाने माने पंच और स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं* कहा जाता है कि खर्चे में घाणेराव के रावले की भांति नाडोल में लकमो बा का रावला कहलाता था एवं यहां लोगों का आना-जाना लगा रहता था। आपने ठिकाने से सामना किया एवं किसानो के लिए सदैव आगे रहते थे।
दक्षिण भारत की संस्थाओं के पदाधिकारी रूप में नाडोल के सकारामजी रामाजी सोलंकी हड़पसर पूना बडेर के उपाध्यक्ष रहे। श्री जगारामजी उदाजी सोलंकी निगड़ी पुणे बडेर के सचिव, कोषाध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं वर्तमान में संरक्षक का दायित्व निर्वहन कर रहे हैं। धन्नाराम जी मगाजी गहलोत निगड़ी पुणे बडेर के अध्यक्ष रहे। श्री भूराराम जी मगाजी गहलोत पौन्नेरी चैन्नई बडेर के अध्यक्ष रहे। श्री पोमाराम जी अचलाजी परिहारिया निगड़ी पुणे बडेर के वर्तमान में सचिव है।
*नाडोल में श्री आई माताजी धर्म रथ भैल का दो दिवसीय ठहराव रहता है* दोनों दिन रात में धर्म सभा का आयोजन हुआ जिसमें माताओं बहनों और बांडेरुओं ने पूर्ण मनोयोग से श्री आई माताजी के इतिहास को सुना एवं प्रसन्नता व्यक्त की। आशापुरा माताजी एवं गुमानिंग जी पीर को नमन करते हुए नाडोल की धन्य धरा के सीरवी समाज के लिए श्री आई माताजी से चंहुमुखी विकास और खुशहाली की कामना करता हूं-दीपाराम काग गुड़िया।