तहसील मुख्यालय सोजत से 20 किमी दूर सुरायता, शिवपुरा, बीजापुर, मोड़ावास,खामल, मालपुरिया खुर्द, कानावास, जाडन, बागावास और धाकड़ी के मध्य सुरायता पंचायत का छोटा सा गांव है- *मालपुरिया कलां।*
छत्तीस कौम की लगभग 200 घर की बस्ती में गुर्जर, राजपुरोहित, सीरवी, मेघवाल, वादी, सरगरा, कुम्हार और वैष्णव यहां पर बसे हुए हैं।
इस गांव को मालपुरिया राजपुरोहितान भी कहते हैं। *मालपुरिया में सीरवी समाज के मात्र 15 घर है, जो सभी काग गौत्र के हैं*।
सीरवी समाज के घरों की संख्या नगण्य होते हुए भी यहां के सीरवी बंधुओं द्वारा छोटी सी पर भव्य बडेर बनाई और शानदार प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न करवाई गई थी। जो इनकी धर्म के प्रति आस्था और जागृति का जीता जागता उदाहरण है।
यहां पर श्री आई माता जी के मंदिर बडेर की *प्राण प्रतिष्ठा जेठ बदी बारस दिनांक 25 मई 2014 को श्री आई माता जी के धर्म रथ भैल और परम पूज्य दीवान साहब श्री माधव सिंह जी के कर कमलों से हर्षोल्लास से संपन्न हुई थी*।
यहां पर वर्तमान में *कोटवाल श्री तुलसाराम जी भीखाराम जी काग जमादारी श्री ढगलाराम जी मोतीराम जी काग अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं,* यहां पर श्री आई माता जी की पूजा के लिए अलग से पुजारी रखा हुआ नहीं है और बारी-बारी से सभी मिलकर ही पूजा करते हैं।
*सरकारी नौकरी में यहां से मात्र मातृशक्ति ने ही नाम दर्ज करवाया है जो इतिहास है श्रीमती गवरी धर्मपत्नी पन्नालाल जी काग आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मालपुरिया और श्रीमती कमला धर्मपत्नी दिनेशजी काग आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कानावास में कार्यरत है*।
राजनीति में *श्री तुलसाराम जी काग सुरायता पंचायत के उप सरपंच* रहे हैं।
व्यापार व्यवसाय में यहां से पाली,भीलवाड़ा, सूरत, पुणे, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद में सीरवी बंधु व्यवसाय रत है।
यहां से सर्वप्रथम स्वर्गीय कूपाराम जी लालाराम जी काग ने पाली में अपना व्यवसाय प्रारंभ किया था, श्री तुलसारामजी भीकाराम जी काग चेन्नई गए और मिश्रीलाल जी नारायण लाल जी काग मुंबई गए।
सीरवी समाज द्वारा मालपुरिया कलां में विकास के कोई कार्य नहीं करवाए गए एवं किसी भी बड़े संगठन में यहां से कोई पदाधिकारी भी नहीं है।
श्री खरताराम जी उदाजी काग वर्तमान में मालपुरिया कलां डेयरी के अध्यक्ष पद पर अपनी सेवा दे रहे हैं।
*यहां पर हर साल श्री आई माताजी धर्म रथ भैल का आगमन नहीं होता है*, केवल श्री आई माताजी मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के समय श्री आई माताजी का धर्म रथ भैल का आगमन हुआ था बाकी भैल का आगमन कानावास में होने पर यहां पर ही मालपुरिया कलां के सीरवी आकर अपनी जात करवाते हैं एवं बेल प्राप्त करते हैं। इस बार जात प्राप्त करने हेतु मालपुरिया कलां में आकर यह जानकारी प्राप्त की। कानावास से यह गांव मात्र 02 किमी की दूरी पर बसा हुआ है।
मालपुरिया कलां सीरवी समाज के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की मां श्री आई माताजी से कामना करता हूं-दीपाराम काग गुड़िया।