देसूरी तहसील मुख्यालय से 17 किमी दूर गिराली, पदमपुरा, वीरामपुरा माताजी, कोटडी और करणवा के मध्य पंचायत मुख्यालय का गांव है- *ढालोप*।
लगभग 400 घर की बस्ती में सीरवी, सोलंकी राजपूत, राजपुरोहित, रावल, कुम्हार, मेघवाल, देवासी, माली, नाई, सरगरा, ब्राह्मण, सुथार,जैन, सुनार और लखारा यहां पर निवास करते हैं।
ढालोप में सीरवी समाज के लगभग 100 घर है जिनमें बरफा, परिहार, गहलोत, मुलेवा, परमार और सैणचा यहां पर निवास कर रहे हैं।
ढालोप में श्री आई माता जी का मंदिर बडेर बहुत पुराना है लगभग 50 वर्ष पूर्व वैशाख सुदी पंचमी को श्री आई माता जी के धर्म रथ भैल ,उस समय के *जति मोती बाबाजी और परम पूज्य दीवान साहब के कर कमलों से यहां श्री आई माताजी बडेर की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई थी*। ऐसा बताया जाता हैं कि उस समय *भैल के लिए दादाई से बैल लेकर के आए थे*।
यहां पर वर्तमान में *कोटवाल श्री जेठाराम जी उमाराम जी परिहार, जमादारी श्री भूराराम जी भीकाजी बरफा और पुजारी श्री केसाराम जी नवलाजी बरफा* अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं।
सरकारी नौकरी में यहां पर श्री मेघाराम जी कोपरेटिव मार्केटिंग सोसायटी के मैनेजर पद से सेवानिवृत है, श्री प्रमोद धनाराम जी बरफा और श्री हिमताराम शेषाराम जी मुलेवा नेवी में सेवा दे रहे है। सुश्री भावना पुत्री श्री राकेश जी बरफा और सुश्री दुर्गा रताराम जी बरफा पुणे में सीए है।
इस गांव का पंचायत मुख्यालय के होने के बावजूद सीरवी समाज का राजनीति में खाता ही नहीं खुला है।
यहां से व्यवसाय में पुणे, मुंबई, नासिक और अहमदाबाद में सीरवी बंधु सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं।
यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में स्वर्गीय दुदाराम जी कलाजी बरफा, उमारामजी नगाजी गहलोत और मूलारामजी भीकाजी मुलेवा मुंबई गए थे।
ढालोप में सीरवी नवयुवक मंडल का गठन किया हुआ है जो सामाजिक समारोह एवं कार्यक्रम में अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं।
ग्राम विकास के कार्यों में सीरवी समाज ढालोप के द्वारा *सीरवी छात्रावास पाली में कमरा निर्माण*, श्री शेषाराम जी मोटाजी बरफा द्वारा *मोती बाबा छात्रावास रानी में एक कमरा* निर्माण करवाया गया, श्री वेलारामजी, लालाराम जी पुत्र श्री पकाजी बरफा द्वारा *आईजी विद्यापीठ जवाली में कमरा* निर्माण और आपके द्वारा ही *कबूतरों का चबूतरा* निर्माण करवाया गया।
ढालोप गांव में *स्वयंभू प्रकट ब्रह्मा जी* का मंदिर है यहां पर *रघुनाथ पीर* की जीवित समाधि है जो कि मेघवाल जाति से परम तपस्वी संत रहे थे। यहां पर उनके समाधि लेने के समय रघुनाथ पीर सहित 07 जीवों ने अपना शरीर छोड़ा जिनमें सांड, कुत्ता, बिल्ली, एक मीणा, एक चौकीदार और एक सुथार साथ थे। उन सभी की यहां पर समाधियां बनी हुई बताते हैं।
11नवंबर 2023 को ढालोप में श्री आई माताजी धर्म रथ भैल का भव्य बधावा किया गया शाम को संध्या आरती में भी अच्छी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे रात में धर्म सभा का आयोजन हुआ जिसमें माताओं बहनों और बांडेरुओं ने बड़ी तन्मयता से श्री आई माताजी के इतिहास को सुना एवं प्रसन्नता व्यक्त की, दूसरे दिन सुबह दीपावली के दिन गांव के अन्य जातियों के श्रद्धालु श्री आई माताजी के दर्शन के लिए पधारे उन्होंने श्री आई माताजी के इतिहास को सुनने की इच्छा जताई तब फिर से इतिहास सुनाया गया।
ढालोप गांव की श्री आई माताजी के प्रति भाव से पूरी बाबा मंडली को प्रसन्नता हुई, सीरवी समाज और गांव की खुशहाली की मां श्री आईजी से कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।