श्री आई माताजी ने गांव-गांव भ्रमण करते हुए सभी जगह बांडेरुओं को कुछ न कुछ प्रदान किया, उनके दुख दर्द दूर किये और सभी को आशीर्वाद दिया लेकिन एक गांव ऐसा है जहां से माताजी ने धर्म प्रचार हेतु दो बाबा को प्राप्त किया, वह गांव है- *गांम कोटडी*।
गांव कोटडी से श्री आई माताजी ने श्री डूंगर गिरी जी महाराज के मठ से दो बाबा *श्री केशव गिरी और श्री रूप गिरी* को अपने साथ लिया और उनमें से एक को श्री आई माता जी के धर्म रथ भैल पर धर्म प्रचार हेतु तथा दूसरे बाबा को श्री आई माताजी मंदिर बिलाड़ा में पूजा अर्चना हेतु रखा, तब से बाबा मंडली बनी इस तरह से *बाबा मंडली का मायका है- गाम कोटड़ी*।
कोटड़ी तहसील देसूरी मुख्यालय से 12 किलोमीटर दूर नाडोल, नवागुड़ा, विरमपुरा माताजी, ढालोप, करणवा और गुड़ा पृथ्वीराज के मध्य नाडोल के पास पंचायत मुख्यालय का गांव है- कोटडी।
कोटड़ी में लगभग 450 सौ घर है जिनमें सीरवी, मेघवाल, सुथार, देवासी, राजपूत, कुम्हार, गर्ग, कुमावत, नाई, दरजी, वैष्णव, ब्राह्मण, राव, वागरी, ढोली, मदारी आदि जाति के लोग निवास करते हैं।
यहां पर सीरवी समाज के लगभग 200 घर है जिनमें काग, *सानपुरा (यहां सोमतरा बोला जाता है*), सोलंकी, सेपटा, हाम्बड़,गहलोत, बरफा, परमार और लचेटा यहां निवास कर रहे हैं।
यहां पर श्री आई माताजी मंदिर बडेर की *प्राण प्रतिष्ठा विक्रम संवत २०५५ में जेठ सुदी बीज, बुधवार, दिनांक 27 मई 1998 को परम पूज्य दीवान साहब और श्री आई माता जी के धर्म रथ भैल के बधावे के साथ संपन्न हुई थी*।
यहां पर वर्तमान में *कोटवाल श्री पकाराम जी चतराजी सेपटा, जमादारी श्री मूलाराम जी गोमाजी गहलोत और पुजारी श्री पकाराम जी गलाजी हाम्बड़* अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं।
यहां पर *सरकारी नौकरी में एकमात्र धन्नाराम जी पोमाराम जी सोलंकी विंगरला में अध्यापक* है।
राजनीति में भी यहां पर स्थिति अच्छी नहीं है पंचायत मुख्यालय का गांव और सीरवी बाहुल्य गांव होते हुए भी एकमात्र *श्री वागारामजी भैराजी सोलंकी उपसरपंच* रहे हैं।
यहां से व्यापार व्यवसाय में जोधपुर, दिल्ली, अंबाजी, सूरत, वलसाड, मुंबई, पुणे, हैदराबाद, नासिक, कोल्हापुर, बेंगलुरु आदि जगहों पर सीरवी अपनी सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं।
यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में मगाराम जी पन्नाजी काग मुंबई, सकाजी दीपा जी सानपुरा मुंबई, वेलाराम जी दौलाराम जी सानपुरा पुणे, कानाराम जी रताजी काग पूना एवं स्वर्गीय गमनाजी भगाजी सोलंकी मुंबई गए थे।
ग्राम विकास के कार्य में गांव के *श्री आई माता प्रवेश द्वार का निर्माण श्री पूनाराम जी/ गेमाजी, वजारामजी, शेषाराम जी/ डूंगारामजी परमार द्वारा करवाया गया। स्वर्गीय अचलाराम जी रतारामजी काग के द्वारा विद्यालय में कमरा निर्माण करवाया गया। श्री नेनारामजी, नेमाराम जी, भोलाराम जी/ खीमाजी काग द्वारा भी विद्यालय में कमरा निर्माण करवाया गया। श्री खंगारराम जी केसाजी सोलंकी द्वारा कबूतरों का चबूतरा, पानी टंका और अवाला निर्माण करवाया गया। श्री हंसाराम जी खेमाजी सोलंकी द्वारा काकर पर कबूतरों का चबूतरा व अवाला निर्माण करवाया गया।श्री अमराराम जी, पकाराम जी, मगाराम जी/खरताजी द्वारा नवा आट पर अवाला निर्माण करवाया गया। श्री पोकरराम जी कानाजी काग द्वारा विद्यालय में वाटर कूलर भेंट किया गया*।
कोटड़ी में सीरवी समाज का ट्रस्ट बना हुआ है जिसके *अध्यक्ष श्री हंसराज खीमाजी सोलंकी, श्री भल्लाराम जी सखाजी सानपुरा सचिव तथा श्री धन्नाराम जी पोमाजी सोलंकी कोषाध्यक्ष* पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
फिलहाल मंदिर के पास आवश्यक सुविधाओं का अभाव है लेकिन अब बडेर के पास *दो मंजिला भवन निर्माणाधीन* है जिसके तैयार हो जाने के बाद समाज और भैल आगमन पर सुविधाएं उपलब्ध हो जाएगी।
श्री आई माताजी धर्म रथ भैल का यहां पर 10 नवंबर 2023 को भव्य बधावा किया गया, शाम को संध्या आरती तथा रात्रि में धर्म सभा का आयोजन हुआ जिसमें माताओं बहनों और बांडेरुओं ने श्री आई माताजी के इतिहास को तन्मयता से सुना एवं प्रसन्नता व्यक्त की।
*भैल दौरे में यह प्रथम गांव था जहां पर इतिहास कायम करते हुए भैल आगमन पर हर घर से धूप के लिए प्रसाद लाया गया धर्म सभा से पूर्व प्रसाद का निवेल बना कर माताओं बहनों और बांडेरुओं द्वारा प्रसाद ग्रहण किया गया और कंवली का जाप बोला गया, यहां बड़ी बीज पर भी कंवली जाप किया जाता है। बताया जाता है कि पहले हर गांव में यह परंपरा थी लेकिन हमने भैल आगमन पर केवल यहां पर यह परंपरा जीवंत देखी, ग्राम कोटड़ी सीरवी समाज को हमारी संस्कृति के रक्षण के लिए लाख लाख धन्यवाद।*
सीरवी समाज कोटड़ी के चंहुमुखी विकास और खुशहाली की मां श्री आई माताजी से कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।