राजस्थान:–तहसील देसूरी से 06 किमी दूर गुड़ा पृथ्वीराज, करणवा, शोभावास,देसूरी,अणैवा, अटाटिया,गुड़ा अखेराज और नाडोल के मध्य पंचायत मुख्यालय का आई पंथ का मुख्य धाम है –नारलाई।

*नारलाई में दियो परचो भारी*।
*पत्थर शिला मां अधर धराई*।
तहसील देसूरी से 06 किमी दूर गुड़ा पृथ्वीराज, करणवा, शोभावास,देसूरी,अणैवा, अटाटिया,गुड़ा अखेराज और नाडोल के मध्य पंचायत मुख्यालय का आई पंथ का मुख्य धाम है *-नारलाई।*
लगभग 2000 घर की बस्ती नारलाई में छत्तीस कौम के लोग निवास करते हैं।
यह श्री आई माताजी द्वारा दिये गये परचों में *प्रथम परचा स्थल* है जहां पर जैकल भाकर (पहाड़ी) पर पत्थर की शिला प्रकट की,पहाड़ को थोथा कर भंवर गुफा प्रकट की एवं परिहारों की गवाड़ी (मौहल्ले) में भैलिये को जिस पत्थर से खूंटे रुप में मानकर बांधा उन्हें खूंटियां बावजी के रूप माना गया। श्री आई माताजी द्वारा नारलाई के चमत्कार और परचों को आज भी जन जन सुनकर और दर्शन लाभ लेकर अपने शीश नवाते हैं।
*नारलाई देव ऋषि नारद मुनि द्वारा बसाया गया* नारदलाई नगर है जिसका नाम कालान्तर में बदल कर नारलाई हो गया है।यह देव भूमि और मंदिरों की नगरी है। जहां तपोबल से आकाश मार्ग से ले जाये जा रहे मंदिर को यहां उतार लिया गया था। जिनमें जैन मंदिर और हिन्दू मंदिर दोनों है।
यहां पर सीरवी समाज का *श्री आई माताजी का भव्य बडेर* बना हुआ है जिसकी प्राण प्रतिष्ठा सन् 2008 में श्री आई माताजी धर्म रथ भैल और परम पूज्य दीवान साहब माधव सिंह जी के कर कमलों से हर्षोल्लास सम्पन्न हुई थी।
बडेर से आगे परिहारों की गवाड़ी में *खूंटियां बावजी का मंदिर* है जिसे केवल परिहार भाइयों ने मिलकर बनाया एवं प्राण प्रतिष्ठा करवाई। यहां पर भी श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल और दीवान साहब माधव सिंह जी के कर कमलों से हर्षोल्लास से प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी।
जैकल भाकर (पहाड़ी) पर जैकलजी (जय एकलिंग जी) के मंदिर पर अधर शिला प्राकट्य स्थल पर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पूर्व दीवान साहब और जति भगा बाबा जी के मध्य विवाद में फूट में लूट की कहावत सिद्ध हुई और यहां प्राण प्रतिष्ठा बिना भैल तथा बिना दीवान साहब के सम्पन्न हुई। उस दिन से आज दिन तक इस खाई को कोई पाट नहीं सका है और सीरवी समाज में विघटन का यह प्रमुख कारण आज भी बना हुआ है।आम आदमी आज भी दोनों पक्ष को एक देखना चाहते हैं, पर यह कब और कैसे सम्भव होगा श्री आई माताजी जाने।
यहां पर वर्तमान में *कोटवाल श्री श्री कानाराम जी हेमाजी परिहार, जमादारी श्री रताराम जी कूपाजी काग और पुजारी श्री देवाराम जी कानाजी चोयल* अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं।
सरकारी सेवा में आज भी जिसे सभी याद करते हैं वह नाम है *-स्वर्गीय श्री पोमाराम जी चमनाजी परिहार* प्रधानाचार्य, शिक्षाविद और कलम के धनी अच्छे लेखक का असमय देवलोक गमन सीरवी समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।
श्री कानाराम जी कसाजी परिहार, श्री भोलाराम जी वेलाजी परिहार और श्री शोभाराम जी कूपाजी काग विद्युत विभाग से सेवानिवृत लाइनमैन है।
श्री नाथूराम जी घीसाजी बरफा, श्री मूलाराम जी घीसाजी बरफा जलदाय विभाग जयपुर से सेवानिवृत और स्वर्गीय जस्साराम जी दीपाजी परिहार जलदाय विभाग बीकानेर से सेवा निवृत्त हैं।
श्री पुखराज जी घीसाजी बरफा वरिष्ठ अध्यापक सोनाणा, श्री सुजाराम जी चेनाजी राठौड़ वरिष्ठ अध्यापक नाडोल, श्री शेषाराम जी मोटाजी हाम्बड़ शारीरिक शिक्षक किशनपुरा, श्री लालाराम जी सुजाजी काग शारीरिक शिक्षक दूदापुरा कार्यरत है।
श्री रमेशजी जगाराम जी परिहार रेल्वे पुलिस फालना में एसआई के पद पर सेवा दे रहे हैं।श्री स्वप्निल भानाजी मुलेवा एसबीआई पूना में महाप्रबंधक के पद पर आसीन है तथा श्री भावेश जोधाराम जी काग यहां पर सीरवी समाज के प्रथम आईआईटी बंगलौर में सेवा दे रहे हैं।
नारलाई में सीरवी समाज का राजनीति में भी नाम रहा है जिनमें *श्री वेना बाबाजी नारलाई पंचायत के दो बार सरपंच रहे हैं। श्री मगनाराम जी नेमाजी परिहार और कंकुबाई शोभाजी परिहार ने भी सरपंच पद का दायित्व निर्वहन किया है*।
*श्री नेनाराम जी शोभाजी हाम्बड़ पंचायत समिति सदस्य रहे वर्तमान में युवा ताकत श्री पुनीत जी घीसाजी बरफा पंचायत समिति सदस्य* का दायित्व निर्वहन कर रहे हैं।
*श्री पुनीत जी घीसाजी बरफा* जयपुर में निजी विद्यालय संचालित कर रहे हैं साथ ही कांग्रेस में अपनी पकड़ मजबूत करते हुए वर्तमान में *किसान कांग्रेस के प्रदेश सचिव* है। श्री *पुखराज जी घीसाजी बरफा* वरिष्ठ अध्यापक *अखिल भारतीय सीरवी समाज जागृति संस्था पाली मारवाड़ के अध्यक्ष पद* का दायित्व निर्वहन करते हुए शिक्षा, संस्कार और धर्म को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।श्री मूलारामजी घीसाजी बरफा अखिल सीरवी समाज राजस्थान एसोसिएशन जयपुर के उपाध्यक्ष पद का दायित्व निर्वहन कर रहे हैं आपके व्यवसाय सीरवी केटर्स जयपुर का बड़ा नाम है एवं जयपुर में सीरवी समाज के सामाजिक आयोजन में केटरिंग का कार्य आपके द्वारा ही किया जाता है।
नारलाई से सीरवी बन्धुओं का व्यापार व्यवसाय जयपुर के अलावा गुजरात और महाराष्ट्र में फ़ैला हुआ है।
यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में श्री नेनारामजी जी शोभाजी हाम्बड़ पूना, लच्छाराम जी गमनाजी काग पूना और भीमाराम जी रामाजी परिहार पूना मुख्य है।
सीरवी समाज द्वारा ग्राम विकास में सबसे बड़ा एक नाम *श्री नेनारामजी जी शोभाजी हाम्बड़* का सभी द्वारा लिया जाता है जिन्होंने हर कदम पर दान पुण्य कर नाम रोशन किया।
नारलाई में पिछले चार पांच वर्षों से *श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल का आवागमन बन्द है,* विवादों की खाई में सीरवी बांडेरु श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल के दर्शन के लिए लालायित हैं पर दर्शन से वंचित किये हुए है जो बुद्धिजीवी वर्ग के लिए सोचनीय और विचारणीय है। श्री आई माताजी के आदेशानुसार श्री आई माताजी का धर्म रथ भैल गांव गांव भ्रमण करता है ऐसे में किसी प्रकार के विवाद में आम जन को माताजी के दर्शन से वंचित करना अशोभनीय कदम है।
श्री आई माताजी के प्रथम धाम नारलाई को बारम्बार नमन करते हुए अब तक पड़ी हुई खाई की चरम सीमा के समाधान हेतु मां श्री आईजी से कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।

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