सोजत तहसील मुख्यालय से 14 किमी दूर एवं पास की तहसील मारवाड़ जंक्शन के मुख्यालय से मात्र 10 किमी दूर दूदौड़, भैसाणा, खारिया सोडा और बिजलियावास के मध्य खारिया सोडा पंचायत का छोटा सा गांव है- *खारिया स्वामी।*
सोजत पंचायत समिति के सीमावर्ती गांव खारिया स्वामी में छत्तीस कौम के मात्र 60-70 घर है, जिनमें सर्वाधिक गोस्वामी है उनके अलावा सीरवी, देवासी, राजपूत, जाट, मेघवाल, सरगरा, वादी आदि जातियां यहां निवास कर रही है।
खारिया स्वामी में सीरवी समाज के मात्र *परिहार और देवड़ा* गौत्र के कुल 11 घर है, जो तीन बेरे *निंबड़िया, हुकी और हनुमान सागर* पर निवास कर रहे हैं।
श्री आई माताजी के *पाट* की स्थापना कानाराम जी परिहार पूर्व सरपंच खारिया सोडा के निवास *बेरा निम्बड़िया* पर परम पूज्य दीवान साहब माधव सिंह जी के कर कमलों से आज से लगभग 30 वर्ष पूर्व की हुई है, आसपास के गांवों द्वारा खेड़ा रुप में मान्यता भी प्रदान की हुई है।पाट स्थापना मकान के बरामदे में की हुई है, यहां पर पूजा अर्चना कानाराम जी एवं इनके परिवार द्वारा की जा रही है।
यहां पर वर्तमान में *कोटवाल प्रताप राम जी देवड़ा तथा जमादारी देवाराम जी परिहार है।* दोनों को ऐसे काम के समय में भी याद करते ही दौड़े आये एवं सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं। नई बडेर बनाने का पूछे जाने पर बताया कि आपस में सहमति ली जा रही है और अति शीघ्र आपसी सहमति से किसी एक बेरे पर श्री आई माता जी की बडेर का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।
यहां पर सरकारी नौकरी में घरों की संख्या नगण्य होने तथा दक्षिण भारत की तरफ़ आकर्षित होने से एक मात्र *श्री रमेश कुमार जी पुत्र श्री कानाराम जी परिहार मुसालिया में वरिष्ठ अध्यापक विज्ञान* के पद पर सेवा दे रहे हैं।
राजनीति में यहां पर *श्री कानाराम जी पुत्र श्री तुलसाराम जी परिहार 2010 से 2014 तक 7 गांव की पंचायत खारिया सोडा के सरपंच रहे थे*, यह बहुत ही गर्व की बात है की सीरवी समाज के मात्र 11 घर और सात गांव की पंचायत पर सरपंच बनना सहज नहीं था, यह आपकी मिलनसारिता और सरल हृदय का परिणाम है कि छत्तीस कौम ने आपको इस पद पर आसीन किया और आपने यह सौभाग्य प्राप्त किया।
व्यापार व्यवसाय में यहां से मात्र तीन शहर सूरत, मुंबई और बेंगलुरु में सीरवी बंधु निवास कर रहे हैं यहां से सर्वप्रथम दक्षिण भारत जाने वालों में श्री बाबूलाल पुत्र श्री कानाराम जी परिहार मुंबई, श्री जगदीश पुत्र श्री लुंबा राम जी देवड़ा मुंबई और भंवरलाल पुत्र श्री चेनाराम जी परिहार बेंगलुरु गए थे।
दक्षिण भारत के संगठनों के पदाधिकारी रूप में इस गांव के सीरवी कहीं कोई पदाधिकारी नहीं है।
विकास कार्य में श्री कानाराम जी पुत्र श्री तुलसारामजी परिहार द्वारा दूदौड़ के तालाब की पाल पर कबूतरों के चबूतरे का निर्माण करवाया गया।
यहां पर श्री आई माताजी के धर्मरथ भैल का आगमन नहीं होता है, एवं यहां से सीरवी बंधु भैल आगमन पर मामावास बडेर अथवा दूदौड़ में जाकर अपनी जात करवाते हैं।
इस बार सूचना संकलन के लिए मुझे पूर्व सरपंच श्री कानाराम जी परिहार के साथ बेरा निम्बड़िया जाकर यह सूचना संकलन करने का मौका मिला जो आपके समक्ष प्रस्तुत की गई है।
गांव छोटा पर काम मोटा।
सात गांव के सरपंच बने।
कानाराम जी परिहार अठै।
नौकरी में नाम राखियों।
बेटा रमेशजी परिहार जठै।
धिन धिन गांव खारियो।
सीरवी मात्र ग्यारह अठै।।