*बीला थारी ढाणी भदो सवाई*
सोजत तहसील मुख्यालय से मात्र 5 किमी दूर सोजत पश्चिम परगना का सबसे बड़ा गांव, जो कभी बीलाजी की ढाणी था बीलोजी ने श्री आई माताजी की सेवा की जिससे श्री आई माताजी प्रसन्न हुए और श्री आई माताजी के आशीर्वाद से आज यही गांव सभी तरह से सुखी है एवं फल फूल रहा है उस गांव का नाम है- *बिलावास।*
लगभग 2000 घर की बस्ती बिलावास में सीरवी, मेघवाल, सरगरा, राजपुरोहित,सुनार, घांची, कुम्हार, माली, ब्रह्मण आदि जाति निवास करते हैं जबकि राजपूत देवासी और गुर्जर बिल्कुल नहीं है।
बिलावास सीरवी बाहुल्य गांव है जिनमें सीरवी समाज के लगभग 800घर है, बीलोजी पंवार थे लेकिन आश्चर्य हैं कि आज एक भी पंवार परिवार नहीं है। यहां पर चोयल और आगलेचा बहुमत में हैं, अन्य गौत्र में परेरिया (परिहारिया),बरफा, गहलोत, खंडाला, राठौड़,भगत,काग, हाम्बड़, देवड़ा और भायल निवास करते हैं।
श्री आई माताजी का शानदार मंदिर बडेर बना हुआ है श्वेत मार्बल में मंदिर बहुत भव्य बनाया गया है जो कि श्री आई माताजी के प्रति सीरवी समाज की आस्था एवं भाव को प्रकट कर रहा है।इस बडेर की प्राण प्रतिष्ठा श्री आई माताजी के धर्म रथ भैल के बधावे और आई पंथ के धर्मगुरु परम पूज्य दीवान साहब माधव सिंह जी के कर कमलों से दिनांक 17 मई 2009 की जेठ बदी अष्टमी को हर्षोल्लास से सम्पन्न हुई थी। बडेर के पीछे सभा भवन के रूप में विशाल हॉल बना हुआ है सभी तरह की सुविधाओं की पूर्णतया व्यवस्था है मंदिर के सामने एक और शानदार सभा भवन बना हुआ है सीरवी समाज द्वारा सार्वजनिक पिचका के पास शानदार सभा भवन का निर्माण करवाया जा रहा है जो और भी विशाल है।
इस बडेर के वर्तमान में कोटवाल श्री नारायण लाल जी परेरिया (परिहारिया)लपूंदरी, जमादारी श्री नेमाराम जी आगलेचा और पुजारी श्री जीवाराम जी राठौड़ अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं *विशेषता यह है कि तीनों ही डोरा बंद नहीं है।*
यहां पर हिसाब किताब की देखरेख करने के लिए कोषाध्यक्ष रुप में श्री अमराराम जी आगलेचा और भंवरलाल जी हाम्बड़ अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं।
यहां पर सीरवी समाज आई माता सेवा समिति का गठन किया हुआ है जिसके अध्यक्ष श्री खींवाराम जी आगलेचा, सचिव श्री तेजाराम जी परेरिया अपनी सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं।
सीरवी आबाद गांवों में निराला गांव एवं निराली परंपरा का गांव है बिलावास। यह गांव श्री आई माताजी के एक नहीं दो नहीं तीन बडेर बना कर श्री आई माताजी को पूज रहे हैं यहां पर हाम्बड़ों की पुरानी बडेर यथावत है जहां से जोत नयी बडेर में लाये लेकिन वहां पर पाट को यथावत रखा और आज भी अंधेरे ओरे (कमरे) में श्री आई माताजी की पूजा हो रही है, दूसरी कागों की बडेर है वहां पर भी अंधेरे ओरे (कमरे) में श्री आई माताजी पूजे जा रहे हैं नये बडेर का निर्माण कार्य चल रहा है, तीसरे चोयलों की गवाड़ी में बिठौड़ा की सफेद गादी पाट स्थापना की हुई है आपके यहां भी नये बडेर का निर्माण कार्य चल रहा है। यहां अगले माघ महीने में प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां शुरू हो चुकी है। चौथे श्री आई माताजी प्राकट्य स्थल बेरा वाड़िया बिलावास में श्री कानाराम जी परेरिया के निवास पर पौष बदी पंचमी बुधवार विक्रम संवत २०६२ सन् 2006 में रात्रि सवा ग्यारह बजे श्री आई माताजी स्वयं प्रकट हुए एवं आज के दिन यहां पर भव्य मंदिर एवं मनोहारी देवी प्रतिमा की श्री आई माताजी रुप में पूजा अर्चना हो रही है और दूर दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं ये परिवार भी डोरा बंद नहीं है लेकिन कानाराम जी महाराज के सुपुत्र श्री चन्दा राम जी (पपजी)बेल धारण किये हुए हैं बाक़ी पूरा परिवार बेल नहीं बांधता हैं। यहां माघ सुदी पंचमी को 2010 में मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई अतः प्रति वर्ष वार्षिक उत्सव एवं नवरात्र में विशेष मेला रहता है।
*श्री आई माताजी की जय हो।* सीरवी समाज बिलावास की आस्था कहें या कुछ और? यहां पर सम्पूर्ण सीरवी समाज बिलावास के खरे पसीने के पैसे से श्री आई माताजी के करोड़ों की लागत से बने मुख्य मंदिर में डोरा बंद कोटवाल जमादारी और पुजारी नहीं,भैल आगमन पर बांडेरुओं के पास बधावे में आने एवं धर्म सभा में आने का समय नहीं पर बडेर अलग अलग अवश्य बन रहे हैं। भैल आगमन पर डोरा बंद के अलावा सीरवी जात के बारे में जानकारी नहीं रखते है।
*दीपक तले अंधेरा।*
सभी गांवों में डोरा बंद के अलावा थूल और सैणचा भगत आधी जात करवाते हैं, सैंकड़ों वर्षों से यह रिकॉर्ड बिलाड़ा बडेर में सुरक्षित हैं,कई वर्षों पूर्व बिलावास चौताले में भैल बंद रही पुनः भैल के बिलावास में आगमन पर डोरा बंद द्वारा जात प्रारंभ कर दी गई लेकिन अन्य आज भी बिल्कुल आधी जात भी नहीं करवाते हैं 800 घरों में से मात्र लगभग 200 घर डोरा बंद की जात होती है, बिलावास के ही जाये जन्मे, प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत श्री नारायण लाल जी चोयल ने जब पूछा कि भैल आगमन पर क्या क्या होता है, बाबाजी द्वारा जात की जाती है ये जात क्या हैं? और डोरा बंद के अलावा हमसे क्यों नहीं ली जाती है? तब आमजन का जानकारी रखने का सवाल ही नहीं है, इसलिए सीरवी बंधु रास्ते चलते निकलते हुए आते हैं और श्री आई माताजी धर्म रथ भैल को बड़े भाव से नमन कर अपने रास्ते आगे बढ़ जाते हैं।😄😄।
सभी सीरवी बंधुओं में आस्था और भक्ति भाव कूट कूट कर भरा हुआ है अगर भाव नहीं होता तो करोड़ों की लागत से भव्य बडेर नहीं बनता,गैर डोरा बंद कोटवाल जमादारी एवं पुजारी सेवा नहीं करते अतः धन्य है गांव *बिलावास।*
चौहान वंश की कुल देवी आशापुरा माताजी नाडोल है चौहान वंश से चोयल, मुलेवा सेपटा और देवड़ा निकले हुए हैं लेकिन यहां पर चोयलों द्वारा प्राचीन काल से ब्राह्मणी माता को पूजते हुए, ब्राह्मणी माता कुल देवी का मंदिर निर्माण करवा कर प्राण प्रतिष्ठा भी करवाई गई है। आगलेचा परिवार सोनाणा खेतलाजी तथा राठौड़ पूनागर माताजी की पूजा करते हैं।
सरकारी नौकरी में यहां से सर्वप्रथम हिम्मताराम जी चोयल शिक्षक रहे एवं समाज के कोषाध्यक्ष रहे। नारायण लाल जी चोयल सकारात्मक सोच के उर्जावान पुरुष सेवानिवृत प्रधानाचार्य है, डाक्टर खेताराम जी आगलेचा जोधपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं, भंवरलाल जी गहलोत और मांगीलाल जी परेरिया उप प्रधानाचार्य है, हेमाराम जी गहलोत वरिष्ठ अध्यापक, कानाराम जी राठौड़ अध्यापक है। श्रीमती गीता उच्च प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका एवं प्रतियोगी परीक्षा की ट्यूटर है।
श्री राजाराम जी चोयल और चेनाराम जी आगलेचा सोजत चिकित्सालय में मेल नर्स है, श्री ओमप्रकाश जी चोयल इंडियन बैंक सूरत में सीनियर मैनेजर हैं, श्री तेजाराम जी परेरिया इंजीनियर है, श्री नारायण लाल जी गहलोत माइंस और छैलाराम जी भगत जलदाय विभाग से सेवानिवृत है, चुन्नीलाल जी ग्राम विकास अधिकारी हैं। योगेश पुत्र श्री लक्ष्मणराम जी आगलेचा ग्रेट ब्रिटेन में अध्ययनरत हैं।उत्तम गणेश राम जी चोयल, विनोद भंवरलाल जी चोयल, गीता भंवरलाल जी चोयल, प्रकाश खेताराम जी देवड़ा सीए है, मुकेश देवाराम जी चोयल मेकेनिकल इंजीनियर और दिनेश भंवरलाल जी चोयल इंश्योरेंस में अपनी सेवा दे रहे हैं। अधिकांश प्रवासी बंधुओं की और भी प्रतिभाएं देश विदेश में अध्ययन और सेवा में लगे हुए हैं जिनकी सूचनाएं प्राप्त नहीं होने से उनके नाम प्रकाशित नहीं हो सके हैं।इसे अन्यथा नहीं लेंगे ऐसी आशा करता हूं।
वर्तमान में सीरवी समाज का राजस्थान राज्य स्तर पर क्रिकेट में नाम रोशन करने में भी बिलावास का नाम किया है उस बिटिया का नाम है- *उषा परेरिया।* आप क्रिकेट के उभरते सितारे के रूप में अपने गांव बिलावास और सीरवी समाज का नाम रोशन कर रही है।
राजनीति में भी इस गांव से सीरवी समाज ने नाम कमाया है भीकाराम जी आगलेचा पूर्व उप जिला प्रमुख रहे हैं आप वर्तमान में सीरवी समाज परगना समिति सोजत पश्चिम के अध्यक्ष भी हैं। ढगलाराम जी गहलोत पूर्व सरपंच एवं श्रीमती डिम्पल आगलेचा वर्तमान में उर्जावान सरपंच है और विकास कार्य करवा रहे हैं।भैल आगमन पर आपने टीकने का लाभ लिया और दो दिन माताजी की भैल की सेवा में तत्पर रहे।
सोजत पश्चिम के भीष्म पितामह श्री पुखजी काग (बिलावास) अच्छे वक्ता और ख्याति प्राप्त पुरुष है, राजनीति में सफलता प्राप्त नहीं हुई लेकिन सीरवी समाज परगना समिति सोजत पश्चिम के आप भी अध्यक्ष पद को सुशोभित कर चुके हैं।
बिलावास से दक्षिण भारत में भी सीरवी बंधुओं का डंका है नेमाराम जी देवड़ा, खींवाराम जी आगलेचा, छैलाराम जी हाम्बड़, छैलाराम जी राठोड़, छैलाराम जी काग, मांगीलाल जी चोयल और लक्ष्मण जी आगलेचा ने सर्वप्रथम दक्षिण भारत की राह दिखाई।
दक्षिण भारत की संस्थाओं के पदाधिकारियों में भी बिलावास का नाम है।
अखिल भारतीय सीरवी महासभा कर्नाटक प्रांत के सचिव पद का दायित्व निर्वहन श्री लक्ष्मणराम जी आगलेचा कर रहे हैं।
HSR ले आउट बडेर में उपाध्यक्ष मांगीलाल जी चोयल, सचिव लक्ष्मण जी आगलेचा एवं सह सचिव पद पर छैलाराम काग का कब्जा है।
बलेपेट बडेर के वर्तमान सचिव श्री अमराराम जी चोयल है, हनुमंत नगर बेंगलुरु बडेर के सचिव जुगराज जी चोयल है।
श्री आईजी सेवा संस्थान बिलावास बंगलौर प्रति वर्ष दिसम्बर माह में नेत्र ज्योति हेतु शिविर का आयोजन करते हैं बिलावास बडेर में आयोजित शिविर में जांच के पश्चात चिकित्सालय में निशुल्क ऑपरेशन किए जाते हैं एवं निशुल्क चश्मे वितरित किए जाते हैं।
यहां पर श्री हेमाराम जी,छगनाराम जी, भंवरलाल जी पुत्र श्री अचलाराम जी चोयल द्वारा सार्वजनिक पिचका पर ट्यूबवेल खुदवाया एवं पम्प सेट लगा कर गांव को सुपुर्द किया। आपके द्वारा ही राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्याऊ निर्माण करवा कर दीवान साहब माधव सिंह जी से उद्घाटन करवाया गया। श्री वोराराम जी, नारायण लाल जी पुत्र श्री मुकनाराम जी परेरिया ने विद्यालय में कमरा निर्माण करवाया। *सीरवी समाज बिलावास द्वारा विद्यालय में प्रयोग शाला कक्षों का निर्माण करवाया गया।*
रनिया बेरा के श्री जेठाराम जी रामलाल जी हाम्बड़ निस्वार्थ भाव के सेवाभावी कार्यकर्ता हैं जो वर्तमान में गैर मंडली के अध्यक्ष हैं आप द्वारा शमसान में पेड़ पौधों को लगाकर बहुत ही रमणीक स्थल के रूप में विकास कराया है।आप सामाजिक समारोह एवं धार्मिक कार्यों में सदैव अग्रणी रहते हैं।
यहां गायों की सेवा के लिए बिलावास गौ सेवा समिति बनी हुई है,जो गौ सेवा कर रहे हैं।
*सीरवी समाज से अलग हट कर पूरे सीरवी समाज में से केवल मात्र तीन गांव धिनावास, बिलावास और भावी में निराली परंपरा है कि यहां पर मौत मरतंग पर बारह दिन पूरे होने पर सुकली नहीं भरते है एवं तागा नहीं तोड़ते हैं इस दिन केवल खिजमतियां (दाढी बनवाना)करवाई जाती है, इसलिए इस दिन पीहर पक्ष से खाजा भी नहीं लाया जाता है।*
22 सितंबर 2023 को श्री आई माताजी धर्म रथ भैल के आगमन पर बडेर के सामने बधावा किया गया सभा भवन के सामने गली में धर्म रथ भैल को खड़ा किया गया रात्रि में धर्म सभा नहीं हो पाई लेकिन दूसरे दिन जात के लिए आये हुए बांडेरूओं ने धर्म सभा का लाभ लिया।
बीलोजी पंवार द्वारा श्री आई माताजी के आशीर्वाद से बसे बिलावास गांव में आज भी श्री आई माताजी का जबरदस्त आशीर्वाद है धन- धरा, नौकरी, व्यवसाय, राजनीति और सेवा आस्था भरपूर है, यहां से एक से बढ़कर एक भामाशाह है, दक्षिण भारत में भी बिलावास का डंका है पर कहीं आपस में तारतम्य की कमी है कि एक भव्य बडेर के बावजूद एक ही माताजी के अनेक मंदिर निर्माण वर्तमान समय के अनुसार समझ से परे की बातें हैं।
समृद्ध गांव बिलावास की खुशहाली और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रगति की मां श्री आई माताजी से कामना करता हूं -दीपाराम काग गुड़िया।
राजस्थान:– 22 सितंबर 2023 को बिलावास में श्री आई माताजी धर्म रथ भैल के आगमन पर बडेर के सामने बधावा किया गया
