श्री सीरवी समाज महासभा तमिलनाडु नं. 132, डॉ. बेसन्ट रोड, ट्रिपलीकेन, चेन्नई – 600005
तमिलनाडु के सभी बढेर संस्थाओं से विनम्र अपील
दिनांक 24.07.2023
आदरणीय स्वजातिय बंधुओं, सादर जय श्री आईमाताजी की।
श्री सीरवी समाज के परम पूजनीय धर्मगुरू दीवान साहब श्री माधव सिंहजी की पिछले दो सप्ताह चेन्नई आगमन पर इनके सानिध्य में तमिलनाडु प्रांत के लगभग सभी बढ़ेरों के मुख्य प्रतिनिधिगणों ने समाज में प्रचलित कुरीतियों व समाज सुधार के लिए गहन विचार विमर्श किया गया। जिसमें सभी प्रतिनिधियों ने पुरजोर से समाज में फैली इन कुरीतियों का विरोध किया और सर्वसम्मति से निम्नलिखित प्रस्ताव व निर्णय लिए गए। जिसकी पालना तमिलनाडु प्रांत के सभी बड़ेरों व सदस्यों को अनिवार्य रूप से करनी होगी।
1) नशापता (अफीम) पर पूर्ण रूप से पाबन्दी
किसी भी छोटे बड़े शुभ अथवा शोक मिलन कार्यक्रम पर नशा (अफीम) का जाजम पर, कमरे के अंदर अथवा किसी भी जगह पर पूर्णत वर्जित है। इसमें घर के मुखिया का यह दायित्व बनेगा कि ऐसे मौके पर इन चीजों का उपयोग नहीं होने दें। संस्था के पदाधिकारियों का दायित्व बनता है कि इसकी पालना करावें।
2) मृत्युभोज पर पूर्ण रूप से पाबन्दी तमिलनाडु प्रांत के किसी भी बंधु के परिवार में अगर कोई मौत मरतंग पर शोक मिलन के कार्यक्रम में जैसे शुक्ली तथा रंग बदलना वगैरह, राजस्थान या तमिलनाडु से बाहर किसी अन्य जगह पर सम्पूर्ण हो जाए और उस परिवार के सदस्य वापस तमिलनाडु आकर यहां शोक मिलन (बैठक) रखे तो इसका समय दोपहर 2 बजे के बाद ही रखें और इसमें चाय और जलपान के अलावा किसी अन्य चीज का मनुवार नहीं करेंगे। दाह संस्कार तमिलनाडु में करने पर गाँव जाकर वापस आने पर नख खुलवाने की प्रथा पर भी पूर्ण रूप से पाबंदी रहेगी।
3) शादी विवाह के अवसर पर गृहस्वामी की सामर्थ्य व इच्छानुसार घोड़े पर तोरण भांदना टिकना स्वीकार्य है।
यदि गृहस्वामी घोड़े की व्यवस्था नहीं कर पाता है तो बाजोट पर भी टिकना स्वीकार्य रहेगा।
3) विवाह के समय दूल्हा की वेशभूषा धोती कमीज व पायजामा शेरवानी दोनों ही अपनी इच्छानुसार स्वीकार्य है। कपड़ों का रंग अवश्य काला नहीं होना चाहिए। दूल्हे को इस मौके पर दादी (क्लीन शेव) करवाना अनिवार्य है।
5) विवाह के मौके पर हल्दी रस्म प्री-वेडिंग कार्यक्रमों पर पूर्ण रूप से पाबंदी है और ऐसा करने पर वह समाज का दोषी माना जाएगा। समाज के सभी बंधुओं से यह अपील की जाती है कि विवाह की इस रस्म को ज्यादा दिखावा व आडम्बर नहीं करके इनको पूर्णतया सादगी पूर्वक सम्पन्न करवायें।
6) विवाह में वरमाला के समय दूल्हा या दुल्हन को आपस में ऊपर उठाना मना है।
7) विवाह में डोरिया की प्रथा में वरपक्ष की तरफ से 40 रूपये रखने का व्यवहार होगा। पुनः वधुपक्ष की तरफ से 20 रूपये मिलाकर व्यवहार धर्म विवाह के हिसाब से वापस किया जाएगा।
8) विवाह के पश्चात् कानूनी तौर पर पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) करवाना अनिवार्य है। जिसकी समय सीमा (अवधि) विवाह के 30 दिन के अंदर-अंदर करवानी आवश्यक है।
9) शादी विवाह तथा आणा मुकलावा के मौके पर भायपा, तनु गनायत तथा बहन हुवायनी के अलावा अन्य किसी का औरणा तथा वेश देने पर प्रतिबन्ध है। अगर देना जरूरी हो तो औरणा के 100 रूपये तथा वेश के 200 रूपये समाज की तरफ से तय किये गये हैं। समाज के सभी बंधुओं से करबद्ध निवेदन है कि उपरोक्त समाज सुधार के फैसलों का समाज हित व
विकास में श्री आईमाताजी को साक्षी मानकर पालन करें। आपका सहयोग ही समाज का विकास है।
निवेदक :
श्री सीरवी समाज महासभा तमिलनाड।