सीरवी समाज का प्रथम चिंतन शिविर जो शिक्षा,संस्कार और संगठन जैसे महत्वपूर्ण विषय पर दिनांक 26/27 फरवरी को हुआ।इस चिंतन शिविर में सम्पूर्ण भारत से समाज के विभिन्न संस्थाओं,संगठनों , वडेर कार्यकारिणी के ट्रस्टों एवं प्रबुद्धजनो ने भाग लिया। इस दो दिवसीय चिंतन शिविर में समाज के शुभ चिंतकों ने समाज मे शिक्षा,संस्कार और संगठन के वर्तमान स्वरूप के स्तर पर व्यापक चर्चा की गई। इस चिंतन शिविर में समाज के बुद्धिजीवियों, विचारकों और आध्यात्मिक शुभ चिंतकों ने अपने-अपने विचार रखे और उन विचारों को समाजहित में सहमति बनाकर लागू करने पर बल दिया गया।किसी भी श्रेष्ठ व उत्तम विचार का सुखद परिणाम उसे जीवन में आत्मसात कर अपनाने से प्राप्त होता है। शिक्षा,संस्कार और संगठन के विषय पर सीरवी समाज के प्रथम चिंतन शिविर में समाज के प्रबुद्धजन श्रीमान फूटरमल जी,सेवानिवृत प्रधानाचार्य (देवली आऊवा),श्रीमान भगा महाराज,नारलाई धाम,श्रीमान गोपाराम जी पंवार,समन्वयक,नशा मुक्ति अभियान(जोधपुर),श्रीमान पृथ्वीसिंह जी सोलंकी,खारगोन(मध्य प्रदेश),श्रीमान दीपाराम जी आगलेचा(बिलाड़ा), श्रीमान भूराराम जी सीरवी,एसएन (सुरायता),श्रीमान केसाराम जी चौधरी,पूर्व विधायक खारची, श्रीमती नवरतन चौधरी,पूर्व प्रधान,रानी, श्रीमान डूंगाराम जी गेहलोत, सचिव,डायलाना धाम,श्रीमान सुरेश चौधरी,पार्षद पाली,श्रीमान दिनेश जी सतपुड़ा(मध्यप्रदेश),श्रीमान जगदीश जी हाम्बड़,व्याख्याता(बिलाड़ा),श्रीमान हीराराम गेहलोत,सचिव श्री आईजी विद्यापीठ संस्थान,जवाली,श्रीमान भंवरलाल जी जोजावर,श्रीमान नेनाराम जी काग,श्रीमान दिनेश जी (सिवास),श्रीमान दिनेश जी,पंचायत समिति सदस्य,श्रीमान भानाराम जी,सेवानिवृत लेखाधिकारी,(पाली),श्रीमान डूंगाराम जी सचिव श्री आईजी जिजीवड ट्रस्ट,(डायलाना),श्रीमान रामलाल जी वरपा,(देवली पाबूजी) श्रीमान भुंडाराम जी, श्रीमान लुम्बाराम जी गेहलोत,( पाली),श्रीमान प्रभुलाल जी जैसे विचारको के विचारो एवं समाज के प्रबुद्धजनो की गरिमामय उपस्थिति में 26 फरवरी की रात्रि कालीन गहन चिंतन चर्चा के बाद जो विचार उभरकर आए, वे इस प्रकार से है:-
१.सामाजिक रीति-रिवाज एवं परम्पराए:- चिंतन शिविर में समाज के प्रबुद्ध विचारको ने इस बात पर चिंता जाहिर की कि- समाज की युवा पीढ़ी समाज के रीति-रिवाजों और परम्पराओ से दूर होती जा रही है और सामाजिक प्रतिमाओं व आदर्शो से विस्मृत होती जा रही है। इसके लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।समाज की पहचान उसके रीति-रिवाज,परम्पराए और आदर्श प्रतिमान होते है। हमारे महान पुरखों ने हमारी समाज के रीति-रिवाजों,परम्पराओ और आदर्श प्रतिमानों को अपने बौद्धिक कौशल से बनाये रखा,जबकि उनका शैक्षिक स्तर न्यून था लेकिन आज समाज का शैक्षिक स्तर के उन्नत होने के बावजूद रीति-रिवाज,परम्पराए और आदर्श प्रतिमानो का पतन हो रहा है जो बहुत विचारणीय एवं गहन चिंतनीय है। सामाजिक रीति-रिवाज,परम्पराए और आदर्श प्रतिमान समाज की अनमोल धरोहर है। कोई भी समाज अपने श्रेष्ठ रीति-रिवाजों,परम्पराओ और आदर्श प्रतिमानों को खोकर सभ्य नही बन सकता है। यह सही है कि समय के साथ सामाजिक रीति-रिवाजों और परम्पराओ में बदलाव आता है और समाजहित में ऐसे बदलावों को स्वीकार भी किया जाता है जिससे सामाजिक श्रेष्ठ प्रतिमानों का पतन न हो लेकिन जब सामाजिक श्रेष्ठ प्रतिमानों और आदर्शो का पतन हो तो समाज को ऐसे बदलाव पर पुनर्विचार कर उसे समाजहित में बंद करना जरूरी है। जो निम्न है-
:- विवाह जैसी पवित्र संस्था में जो नया बदलाव आया है जैसे हल्दी कार्यक्रम,डीजे का चलन और प्री-वेडिंग(वैवाहिक बंधन से पूर्व दूल्हा-दुल्हन का मिलन व फोटोग्राफी) इत्यादि।ऐसे बदलावों से समाज की युवा पीढ़ी के सामाजिक आदर्श प्रतिमानों एवं संस्कारो का पतन हुआ है। समाजहित में ऐसे बदलावों को रोकना जरूरी है।
समाज को चाहिए कि ऐसे बदलाव एक सामाजिक विधान से सर्वमान्यता पाकर रोके।
:- सामाजिक उत्सव जैसे विवाह,ढूँढ़ोत्सव ,जागरण और मृत्युभोज पर नशे की प्रवृत्ति पर पूर्णतया रोक।
:- सामाजिक उत्सव,महोत्सव पर अनावश्यक खर्चो पर लगाम लगे।
२.परिवार एक पाठशाला:-समाज के चिंतन शिविर में एक विचार यह उभरकर आया कि आज हम बच्चों में जो संस्कारो का अभाव देख रहे हैं उसकी वजह परिवार का वातावरण भी है। परिवार को बच्चे की पहली पाठशाला माना गया है और माता-पिता को पहला गुरु माना गया है। बच्चो में संस्कारों के बीजारोपण में माता-पिता अपना परम दायित्व समझे।
बच्चो में उचित संस्कारो के बीजारोपण में माता-पिता यह दायित्व निभाए कि-
:-बच्चो में अच्छी आदतों डाले।बच्चो को उठना,बैठना,बड़ो का आदर करना, मधुर बोलना और अपने धर्म के आदर्शो के अनुरूप चलना सिखाये।
:- बच्चो को सद्गुणों की सीख देवे।बच्चो की गलती होने पर उन्हें डांटे।बच्चो को जीवन मे उचित-अनुचित का बोध जरूर कराए।
:-माता-पिता एवं परिवार के बड़े बुजुर्ग स्वयं मर्यादित एवं अपनी सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप आचरण कर उनके सामने श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत करें।
:-माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को सबसे बड़ी सम्पदा समझे और उनके लिए अपना वक्त जरूर निकाले।
३.शिक्षा फंड:-चिंतन शिविर में समाज के बुद्धिजीवियों ने अपना विचार रखा कि -नई वडेरो की प्राण प्रतिष्ठा होने पर उसकी बोलियों का 5 या10 प्रतिशत हिस्सा शिक्षा फण्ड में लिया जाय और उस फण्ड से समाज की होनहार गरीब प्रतिभाओं को तराशने में किया जाय।समाज को प्रशासनिक सेवाओं की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में अपनी प्रतिभाओं को सामाजिक स्तर पर निशुल्क कोचिंग व्यवस्था दी जाय।ऐसा होने से समाज के लोगो की प्रशासनिक सेवाओं में हिस्सेदारी बढ़ेगी जो समाज के लिए शुभकारी होगी।
४. महासभा के पुनर्गठन:-,सीरवी समाज के प्रथम चिंतन शिविर में समाज के सबसे प्रमुख संगठन “अखिल भारतीय सीरवी महासभा” के पुनर्गठन पर बुद्धिजियो के विचार प्राप्त हुए।समाज के बुद्धिजीवी विचारको ने अपना विचार रखा कि -समाज के प्रमुख संगठन” अखिल भारतीय सीरवी महासभा” को सक्रिय किया जाय।इसके लिए इस संगठन का पुनर्गठन किया जाय और वर्तमान कार्यकारिणी को पुनर्गठन के लिए एक पत्र प्रेषित कर अवगत कराया जाय।इस विचार पर सबकी सहमति बनी।
५.सामाजिक साहित्य सृजन:- सीरवी समाज के इस प्रथम चिंतन शिविर में प्रबुद्ध विचारको ने समाज की वर्तमान साहित्य स्थिति पर असंतोष जाहिर किया।समाज का अपना साहित्य नगण्य है उसे नए सिरे से सृजित किया जाय और साहित्यकारों को प्रोत्साहित किया जाय।इसके लिए समाज के श्रेष्ठ आध्यात्मिक लेखक एवं रचनाकार आदरणीय श्रीमान पी सी कोटवाल(भोपाल) के नेतृत्व में पांच सदस्यों की साहित्य समिति बनाई गई।इस समिति में समाज के श्री आईजी विद्यापीठ संस्थान जवाली से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका”श्री आई ज्योति” के संपादक हीराराम गेहलोत, श्री आईजी कन्या महाविद्यालय बिलाड़ा से प्रकाशित मासिक पत्रिका “श्री केशर ज्योति”के संपादक श्रीमान मोहनलाल राठौड़(उचियारड़ा),व्याख्याता श्रीमान जगदीश जी हाम्बड़ तथा श्रीमान मोहनलाल जी पंवार(बाला) को समाज के इतिहास लेखन पर कार्य करने को कहा गया।
समाज के विचारको ने समाज की हृदय साम्राज्ञी मासिक पत्रिका”सीरवी संदेश”का प्रकाशन अधिकार वर्तमान”सीरवी चेरिटेबल ट्रस्ट” से अपने हाथों में लेने या नए सिरे से ट्रस्ट के पुनर्गठन करने पर सहमति बनी।
६.अखिल भारतीय सीरवी नवयुवक मंडल का गठन:- समाज के चिंतन शिविर में एक विचार पर सहमति बनी कि सीरवी समाज नवयुवक मंडल का गठन नए सिरे से किया जाय।इसकी जिम्मेदारी समाज के युवा और अखिल भारतीय सीरवी महासभा युवा परिषद के अध्यक्ष श्रीमान सुरेश चौधरी को सौंपी गई। अपेक्षा की गई कि वे एक माह के भीतर कार्यकारिणी का गठन कर अखिल भारतीय सीरवी समाज को अवगत करावे। इस संगठन में युवाओं की उम्र 21 वर्ष से लगाकर 50 वर्ष रखी गयी। जो भी युवा इस संगठन से जुड़ना चाहे वह इसकी सदस्यता ले सकता है। इस प्रस्ताव का सर्वानुमति से पारित किया गया।
७. समाज के विभिन्न संस्थानों,ट्र्स्ट और संगठनों में समन्वय एवं तकनीकी रुप से अपडेट करना:-अखिल भारतीय सीरवी समाज के तत्वावधान में आयोजित शिक्षा,संस्कार और संगठन के महत्वपूर्ण विषय पर आयोजित प्रथम चिंतन शिविर में एक बात पर सहमति बनी कि-समाज द्वारा संचालित विभिन्न संस्थानों,ट्रस्ट एवं संगठनों की कार्यकारिणी में थोड़ा बहुत भी मनमुटाव हो तो उसे समाज स्तर पर दूर किया जाय। ट्रस्ट एवं संस्थानों की कार्यकारिणी अपने ट्रस्ट एवं संस्थान के रजिस्ट्रीकरण एवं उनके लेखांकन पर ध्यान देवे और सरकारी मानकों एवं दिशानिर्देशों की पालना करते हुए अपने ट्रस्ट एवं संस्थान को अपडेट रखे।
अखिल भारतीय सीरवी महासभा के पूर्व सचिव रहे श्रीमान भूराराम जी ,सुरायता ने दो दिवसीय चितन शिविर का निष्कर्ष बिंदुवार बहुत ही शानदार ढंग से सभी के सामने समाजहित में रखा और सभी से निवेदन किया कि आप इस पर सकारात्मक चिंतन कर समाजहित में उचित निर्णय लेवे और अपनी समाज की युवा पीढ़ी को नैतिक मूल्यों से पतित होने से बचाये।
इस प्रकार सीरवी समाज के प्रथम चिंतन शिविर में शिक्षा,संस्कार और संगठन जैसे विषय पर समाज के प्रबुद्धजनो ,शिक्षाविदों और विचारको ने जो समाजहित में सुझाव रखे,वे बहुत ही अनुकरणीय है।अब समाज को चाहिए कि वे अपनी समाज को एक सभ्य व श्रेष्ठ समाज बनाने तथा सामाजिक समरसता के लिए एक विधान बनाकर समाजहित में सर्वमान्यता द्वारा लागू करे और युवा पीढ़ी के भावी जीवन को उज्ज्वल एवं उत्तम बनाने के लिए एक सकारात्मक पहल करे।
श्री आईजी जिजीवड डायलाना धाम के वर्तमान अध्यक्ष श्रीमान नेनाराम जी परिहार ने चितन शिविर में पधारे सभी समाजी बंधुजनों-बहनो का आभार व्यक्त किया तथा चितन शिविर के समापन की घोषणा की।चिंतन शिविर में आए सभी माननीय महानुभावो के लिए भोजन-प्रसाद की व्यवस्था अखिल भारतीय सीरवी समाज युवा संगठन की ओर से की गई। इस संगठन से श्रीमान डायाराम जी काग(खिंवाड़ा),श्रीमान दिनेश जी गेहलोत(सिवास) और श्रीमान भंवरलाल जी(जोजावर) ने अपनी महत्ती भूमिका निभाई।
सीरवी समाज के प्रसिद्ध केटर्स श्रीमान गोमाराम जी सीरवी (देवली पाबूजी) ने भोजन प्रसादी में सराहनीय योगदान दिया। इस शिविर का मंच संचालन श्रीमान घीसाराम जी व्याख्याता(ठाकुरवास) और श्रीमान घीसाराम जी लचेटा,उपाध्यक्ष श्री आईजी विद्यापीठ संस्थान जवाली ने बेहतरीन ढंग से किया।
द्वारा:-
हीराराम गेहलोत
सचिव
श्री आईजी विद्यापीठ संस्थान,जवाली