हमारी प्रतिभाएँ (2) श्री नरेश कुमार सोलंकी, दौलपुरा 6 बार तीरंदाजी मे नेशनल यानि राष्ट्रीय स्तर पर खेले, 3-गोल्ड, 2-सिल्वर, 1-ब्रोंज मेडल जीते।
मंजिल उन्हें मिलती है जिनके सपनो मे जान होती है,
पंखों से कुछ नही होता हौसलो से उडान होती है।
उक्त पंक्तियों को चरितार्थ किया है, गांव दौलपुरा निवासी नरेश कुमार सोलंकी ने।
आधुनिकता के इस दौर मे जहाँ पालक अपने बच्चों को इंग्लिश मिडियम वाली हाईटेक स्कूलों मे शिक्षा ग्रहण करवाते, जिससें बच्चा किसी से पीछे न रहे परन्तु जब सरकारी स्कूल से ग्रामीण बच्चा खेल मे आसमां छुने व हाई लेवल की शिक्षा प्राप्त करता है तो आश्चर्य होना स्वभाविक है, ऐसा ही आश्चर्यजनक कारनामा कर दिखाया भाई नरेश कुमार सोलंकी ने।
अपने लक्ष्य के प्रति कठिन मेहनत, नियमित अध्ययन, सकारात्मक सोच, दृढ इच्छाशक्ति, जूनून, जोश, शारीरीक, मानसिक और बौद्धिक क्षमता के बल पर खेलो के शिखर व पढाई के प्रति समर्पण से समाज की श्रेष्ठतम प्रतिभाओ में अपने आपको स्थापित किया।
ऐसी ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी दृढ आत्मविश्वासी, शांत स्वभाव, व्यवहारशील व कठिन परिश्रमी, शुरू से ही मेधावी व लक्ष्य ओलंपिक मे खेलने का रखे गांव दौलपुरा निवासी *श्री नरेश कुमार सोलंकी*।
आपके पिता श्रीमान गणेशरामजी सोलंकी कृषि कार्य के साथ साथ समय मिलने पर अहमदाबाद रसोईये का काम भी करते है। सितंबर 2001 को जन्मे, मां शांति देवी के पवित्र आंचल में पले बढे नरेश कुमार की प्राथमिक शिक्षा पास के गांव कोसेलाव में हुई। कक्षा 6 से जवाहर नवोदय विद्यालय, जोजावर में आपका चयन हुआ।
*हमेशा कक्षा मे अव्वल रहे, दसवीं मे 90% व बारहवीं मे 95% तथा छठी से बारहवीं तक भारत सरकार की नवोदय विद्यालय समिति द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में हर साल यानि 6 बार नेशनल खेलते हुए व SGFI (School Games Federation of India) से राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली, मनीपुर, बंगलौर, रांची, सोनभद्र आदि देश के विभिन्न शहरों में खेलते हुए आपने 3-गोल्ड, 2-सिल्वर व 1-ब्रोंज मेडल जीता, जो समाज के लिए बहुत ही गर्व की बात है।*
तीरंदाजी में आपकी प्रतिभा को निखारने में कोच की भूमिका में सबसे बड़ा योगदान, मार्गदर्शन श्रीमान गिरधारीलालजी सेन व श्रीमान गजेंद्रसिंहजी राणावत साहब का है।
तीरंदाजी में आप की प्रतिभा को पहचान कर उसमें ओर निखार लाने, आपके सपनों को साकार करने में सहयोगी बने, गुरुजी श्रीमान जसारामजी बर्फा, बाबागांव जिनके अथक प्रयासों से स्थानीय विधायक महोदय द्वारा विधायक मद से ₹250000 का फाइबर ग्लास आर्चरी बो यानी तीरंदाजी कीट आपको दिलवाया गया।
बारहवीं कक्षा नवोदय से करने के बाद देश की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी मे से एक, दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में उच्च शिक्षा हेतु आपका चयन हुआ, जहां लाखों बच्चों के पढ़ने का एक सपना होता है और जहाँ हजारों में से कुछेक का ही चयन होता है, अभी आप वहां से बी. ए. फाइनल ईयर में भूगोल एवं राजनीति विज्ञान विषय के साथ अध्यनरत है।
तीरंदाज भाई श्री नरेश कुमार अपने तीन भाईयो मे सबसे बडे है। छोटा भाई विक्रम सोलंकी ग्यारहवीं मे व सबसे छोटा भाई सुरेश कुमार सोलंकी आंठवी मे अध्ययनरत है।
अंग्रेजी में एक कहावत है SOUND MIND in a SOUND BODI अर्थात स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। शिक्षा केवल पढ़ने लिखने को नही, अपितु व्यक्ति के बहुमुखी विकास को कहते है। भला शरीर के विकास की उपेक्षा करके इस लक्ष्य की प्राप्ति कैसे हो सकती है?
एक समय बच्चों को खेलों से दूर रखने के लिए एक कहावत चलन में हुआ करती थी कि *पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो होंगे खराब।* आज यह बिलकुल भी प्रासंगिक नजर नही आता हैं। देशभर में लाखों होनहार खिलाड़ियों के लिए खेल उनके जीवन में रोजगार, दौलत एवं शोहरत का कारण भी बना हैं।
देश दुनियां में आज खेलों की लाखों प्रतियोगिताएं होती है जिनमें भाग लेने वाले खिलाड़ियों को प्रसिद्धि, पद और पैसे तीनों की प्राप्ति होती हैं।
दोस्तो, क्योंकि जो लक्ष्य को चुनौती के रूप में लेकर आगे बढ़ते है वे ही लोग समाज, देश मे उदाहरण बन जाते है।
अतः युवा शक्ति को चाहिए कि वे नकारात्मक बातों से विचलित न होकर अपने मन-मस्तिष्क व दिलो-दिमाग में केरियर के लिए जो सपना संजोया है उसे पूरा करने के लिए सकारात्मक सोच ,दृढ़ इच्छाशक्ति और पूर्ण आत्मविश्वास से अपनी सम्पूर्ण मानसिक, बौद्धिक व शारीरिक क्षमता से काम करे और सफलता के शिखर तक पहूंचे।
जीवन में सदा याद रखे कि,”असम्भव कुछ भी नही है।”
बस जरूरत है कि व्यक्ति अपनी सामर्थ्यता और सकारात्मक- संकल्पवादी सोच से कठोर पुरुषार्थ करे। ऐसे समर्थ व योग्य व्यक्ति जीवन में जरूर सफल होते है।
आप जेसी श्रेष्ठ वन्दनीय प्रतिभा को मेरा सादर अभिनंदन-वन्दन सा।
एक बार पुनः तीरंदाज भाई नरेशजी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाओ के साथ उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। आपका भविष्य का लक्ष्य यानि सपना है, कि आप शिक्षा मे उच्च डिग्री प्राप्त करके भारतीय प्रशासनिक सेवाओं मे व खेल मे ओलंपिक तक पहुंचकर समाज, देश की पूर्ण निष्ठा के साथ सेवा करने का, वह अवश्य पुरा होगा। मां श्री आईजी का आशीर्वाद सदा आप पर बना रहे।
दौलाराम सोलंकी, धणा, उदयपुर