महिलाओं ने दशा माता की पूजा-अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की
बेंगलुरु । शहर के सराई पालिया स्थित शिव मन्दिर परिसर में राजस्थानी परम्परा के अनुसार राजस्थानी महिलाओं ने दशामाता की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की। दशा माता की पूजा करने के लिए सुबह से ही मंदिर में महिलाओं की कतारें देखने को मिली। इस दौरान महिलाओं ने पीपल की परिक्रमा कर वृक्ष पर धागा बांधकर जीवन साथी की लंबी उम्र की कामना की। सुहागिनों ने व्रत रख कर दशा माता की पूजा-अर्चना कर कथा भी सुनी। साथ ही कथा पूर्ण करने के बाद घर के बाहर स्वास्तिक व हाथों के छापे लगाए। पूजा सीरवी ने जानकारी में बताया की होली के दसवे दिन राजस्थान में दशामाता व्रत पूजा का विधान है। सौभाग्यवती महिलाएं ये व्रत अपने पति कि दीर्घ आयु के लिए रखती है। प्रात: जल्दी उठकर आटे से माता के पूजन के लिए विभिन्न गहने और विविध सामग्री बनाई जाती है। पीपल वृक्ष की छाव में ये पूजा करने की रीत है। कच्चे सूत के साथ पीपल की परिक्रमा की जाती है। तत्पश्चात पीपल को चुनरी ओढाई जाती है। पीपल छाल को ‘स्वर्ण’ समझकर घर लाया जाता है और तिजोरी में सुरक्षित रखा जाता है। महिलाएं समूह में बैठकर व्रत से सम्बंधित कहानिया कहती और सुनती है। दशामाता पूजन के पश्चात ‘पथवारी’ पूजी जाती है। पथवारी पूजन घर के समृद्धि के लिए किया जाता है। इस दिन नव-विवाहिताओं का श्रृंगार देखते ही बनता है। नव-विवाहिताओं के लिए इस दिन शादी का जोड़ा पहनना अनिवार्य माना गया है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित रही।