कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री भारत सरकार के अभूतपूर्व ‘जनता कर्फ्यू’ के आह्वान का समर्थन करते हुए चिकित्सा विभाग एवं आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए पांच बजते ही देशभर के लोग ने अपने घर की बालकनी, लॉन, और छतों पर बाहर निकल आए और तालियों की गड़गड़ाहट से आकाश गूंज उठा।
पूरे देश में लोगों ने रविवार शाम पांच बजे घंटी, थाली और ताली बजाकर चिकित्सा और अन्य क्षेत्रों से जुड़े कर्मियों के प्रति आभार व्यक्त किया जो कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में अग्रिम मोर्चे पर लड़ रहे हैं।
यह अभिनन्दन ही नही बल्की वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो घंटियां या थाली बजाने से इससे उत्पन्न होने वाली ध्वनि वातावरण में एक कंपन पैदा करती है जिससे सभी शुक्ष्म जीवाणु एवं विषाणु आदि सभी नष्ट हो जाते है तथा साथ ही आपके आसपास का वातावरण भी शुद्घ हो जाता है।
इस ध्वनी से हमारी इम्यून पॉवर (रोग प्रतिरोधक क्षमता) भी बढती है।
हमारी बॉडी के अंदर विभिन्न प्रकार के हीलिंक तत्व (नकारात्मक उर्जा को सकारात्मक उर्जा मे परिवर्तित करने वाले तत्व) मौजूद होते हैं, लेकिन कई बार विभिन्न कारणो से यह ठीक से काम नहीं करते हैं। घंटी, ताली या थाली की आवाज सुनकर ये चक्र एक्टिवेट हो जाता है और शरीर की प्राण शक्ति बढ जाती है। नतीजतन इसके बाद वायरस का भी असर नहीं होता है।
सनातन धर्म की सभी परंपराएं वैज्ञानिक और वैदिक, दोनों दृष्टि से लाभकारी हैं।
शिवपुराण के साथ ही विज्ञान / आयुर्वेद मे भी पारंपरिक पूजा पद्धति में शंख, कांस्य, घंट, झांझ, मजीरा, क्षुद्रघंट इत्यादि की ध्वनि का विशेष महत्व बताया गया है। इन मंगलध्वनि से नकारात्मक शक्तियां का ह्रास होता है तथा सकारात्मक उर्जा विकसित होकर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है।
अतः सनातन धर्म की परंपरा, वैज्ञानिक और वैदिक दृष्टीकोण से किये गये इस आम जन अभिवादन से कोराना वाइरस की महामारी से लड़ने वाले कोरोना योद्धाओं (चिकित्सा विभाग के साथ ही अन्य आवश्यक वस्तु विभाग के कर्मियों) मे महाशक्ति जागृत होगी जो इस महामारी को परास्त करके रहेगी।
जय हिन्द, जय भारत, वन्दे मातरण
ओमप्रकाश सीरवी पंवार, जोधपुर