दलपुरा में हुआ आई माता के धर्म रथ भेल का आगमन, निकाली शोभायात्रा, प्रथम धर्मगुरु माधवजी के साथ माता ने प्रारंभ किया था आई पंथ का प्रचार – श्री राठौर

विनोद सिर्वी (धुलेट) राजगढ़। शनिवार शाम को नगर के दलपुरा (छोटा बिलाड़ा) में आई माता के धर्म रथ भेल का आगमन हुआ। ग्रामीणों ने धर्मरथ भेल का भव्य स्वागत किया। आज रविवार को सुबह धर्म सभा हुई। जिसमें सर्वप्रथम आए अतिथियों का गांव की जनता ने पुष्पमाला से स्वागत किया। उसके बाद धर्म सभा को संबोधित करते हुए सिरवी संदेश पत्रिका के पूर्व संपादक महेंद्र सिंह राठौर ने कहा कि एक बार सिर्वी समाज के प्रथम धर्मगुरु माधवजी ने मां आईजी से अर्ज किया की मां आप मेरे साथ घूम कर आई पंथ का प्रचार करें। माधवजी की बात सुनकर श्री आई माताजी ने कहा माधव वृद्धावस्था के कारण मुझे चलने फिरने में कठिनाई होती है। मेरी भी इच्छा है कि गांव-गांव घूमकर लोगों के कष्ट दूर कर को सदाचरण का पाठ पढ़ाने की इच्छा रखती हूं। तुम मेरे लिए एक बैलगाड़ी नुमा रथ बनाओ मैं इसमें बैठकर तुम्हारे साथ गांव-गांव धर्म का प्रचार करूंगी। तब माधव जी श्री आई माता जी की आज्ञा से विक्रम संवत 1525 में एक बैलगाड़ी नुमा रथ बनवाया जो आज भी चल रहा है। और यह वही रथ है तथा उन्होंने बताया कि आज मध्यप्रदेश में 251 गांव में 13500 परिवार के साथ 95000 सिर्वी समाज जन निवासरत है। साथ ही 175 मां आई जी के मंदिर बने हुए हैं।

वही सीरवी संदेश पत्रिका के अध्यक्ष कानाराम चोयल ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम सबको पता है कि यदि इंसान के शरीर में सुई चुभाई जाए तो रक्त ही निकलता है। सूर्य से प्रकाश, चांद से चांदनी, उसी प्रकार दीपक से धुआ निकलता है। परंतु सिर्वी समाज के मंदिरों में जल रही अखंड ज्योत से धुँआ नहीं केसर निकलती है। यह साक्षात मां आई जी का चमत्कार है। प्रत्येक समाज के व्यक्ति का अपना दायित्व है कि वहां धर्म की रक्षा करें और धार्मिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें वही समाज के नागरिकों को अपने हाथों में बेल बांधना चाहिए तथा माताजी द्वारा बताए गए 11 नियमों का पालन करना चाहिए। सभा के अंत में धर्म रथ के साथ गांव के प्रमुख मार्गो से होकर शोभा यात्रा निकाली गई। इस दौरान नारायण पवार गुमानपुरा, हुकमीचंद सेंचा, हरिराम सोलंकी, गणपत कोटवाल, शंकरलाल परवार, गोविंद परवार गोवर्धन मुलेवा, शंभूलाल परवार, दीपक सोलंकी आदि सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण व महिलाएं मौजूद थी। कार्यक्रम का संचालन प्रेम सोलंकी ने किया।

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