बिलाड़ा । हैल्थ को लेकर सजग हो रहे लोग बिलाड़ा निवासी पूर्व आईजी पुखराज सीरवी 60 बीघा पर कर रहे खेती, 25 साल से जैविक खेती , फसल बेचने कभी बाजार जाना नहीं पड़ा , चार महीनेबाद आनेवाली गेहूं की अभी से एडवांस बुकिंग। केमिकल की बजाय पूर्व आईजी व राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष गोबर का इस्तेमाल पुखराज सीरवी 60 बीघा जमीन पर पिछले 25 सालों से जैविक खेती कर रहे हैं । उन्होंने कभी रसायनिक खाद का जैविक खेती के लिए गोबर जैविक प्रयोग नहीं किया । इन सालों में उन्हें कभी फसल लेकर बाजार खाद ही प्रयोग में ले रहे हैं । कभी उनके नहीं जाना पड़ा । घर बैठे ही उनकी फसल बिक जाती है । काश्तकार कहते हैं कि रसायनिक दवाओं बल्कि ज्यादा भाव में बिक रही है । इन दिनों गेहूं की बुवाई को छिड़काव करवा दें क्या । लेकिन उन्होंने की जा रही है लेकिन ग्राहकों ने पहले से ही गेहूं खरीदने की सख्त हिदायत दे रखी है कि जैविक खाद ही एडवांस बुकिंग करवा दी है । सीरवी बताते हैं कि लोग कृषि इस्तेमाल हो । पानी खारा होने व रसायनिक फार्म पर आकर ही अनाज ले जाते हैं । जयपुर सहित साउथ से खाद के प्रयोग से जमीन में मित्र कीट खूब लोग जैविक प्रोडक्ट की डिमांड करते हैं । बाजार में गेहूं केचुएं की उत्पति नहीं होती । जबकि जैविक कैंसर प्रोडक्टः जैविक खेती से उत्पन्न अनाज खाने में स्वादिष्ट 2500 रुपए विकते हैं लेकिन जैविक 3000 से 3500 रुपए खाद से जमीन उपजाऊ होती है और केचुएं होता है । साथ ही पोष्टिक भी होता है । सीरवी ने कहा कि रासायनिक खेती से उत्पन्न में भी खरीद रहे हैं । बारिश के मौसम में कपास , ग्वार , मूंग , की उत्पति होती है । उन्होंने बताया कि अनाज खाने से कई प्रकार की बीमारियां होती है , इसमें कैंसर विशेषरूप से है । ज्वार की फसल लेते हैं । इस सीजन में सौंफ , जीरा , गेहूं व जो रसायनिक खाद के प्रयोग से उत्पन्न कपास उन्होंने कहा कि कैंसर घातक रूप लेता जा रहा है । समय रहते हमें जैविक की तरफ की फसल कर रखी है । जैविक खाद में पानी की जरूरत कम की खाद सूख जाती है लेकिन जैविक खाद कदम बढ़ाना चाहिए । सीरवी 2004 में आईजी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे और होती है । दाम भी अच्छे मिलते हैं । में ये समस्या नहीं आती । उसके बाद 2006 से 2011 तक राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष भी रहे ।